क्या संत को सत्ता पर बिठाने का पश्चाताप कर रहा है यूपी, यहां व्यवस्था के बजाय लागू हो रहे तुगलकी फरमान
जनज्वार ब्यूरो, लखनऊ। यूपी की सरकार इतनी महान है कि पहले फरमान जारी किया था कि बिना सीएमओ की मुहर के कोई कोरोना पेशेंट हॉस्पिटल में भर्ती नहीं हो सकता। अब उसका नया फरमान आया है कि किसी इंडिविजुअल पेशेंट को ऑक्सीजन सिलिंडर नहीं बेचा जा सकेगा। नए फरमान से पहले सरकार ने यह साफ नहीं किया कि सीएमओ वाले फरमान का क्या कौतूहल रहेगा।
कोविड के संक्रमण से तबाही पूरे देश में है पर उत्तर प्रदेश छोड़ किसी ने इलाज के लिए सीधे सीएमओ की इज़ाज़त की शर्त नहीं लगाई है। सीएमओ पूरे जिले में एक होता है और संक्रमण हज़ार। अब लोग अपने मरीज़ को अस्पताल ले जाएँ या फिर सीएमओ को ढूंढते फिरें। वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश छोड़ किसी ने निजी लैब्स में टेस्ट प्रतिबंधित नहीं किये। अब बिना टेस्ट अस्पताल भर्ती कर नहीं रहे और सरकारी में मरने भर का समय लग जा रहा।
संक्रमण से तबाही पूरे देश में है। अस्पतालों तक में न ऑक्सीजन मिल रही है न खाली बेड ही पर उत्तर प्रदेश छोड़ किसी ने मरीजों के खुद ऑक्सीजन सिलिंडर ढूंढने पर, उसकी बिक्री पर प्रतिबंध नहीं लगाया। जान पड़ रहा है कि मोदी ने कश्मीर से धारा 370 हटाकर यूपी में लगाने के लिए योगी आदित्यनाथ के सुपुर्द कर दी है। क्योंकि इस नए आए फरमान के मुताबिक सरकार खुद तो व्यवस्था कर नहीं रही और तो मरीज को भी अपने लिए नहीं करने देंगे।
यूपी में लखनऊ से लेकर कानपुर व कई जनपदों में ऑक्सिजन की भारी कमी हो रही है। लोग जान माल के लिए गिड़गिड़ा रहे हैं लेकिन उन्हें मिल रहा है तो बस फरमान। ऐसे में भाजपा नेता कोविड से मरने वालों पर दुख जताना तो दूर दांत चियारते हुए विज्ञापनों पर फ़ोटो छपवा रहे हैं। जनता को छलनी करते ट्वीट और एफबी वॉल भरे जा रहे हैं। सही मायनो में ये मौजूदा सत्ता का आत्मविलाप करता असंवेदनशील उदाहरण है। जो सदियों तक याद रखा जाएगा।