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ग्राउंड रिपोर्ट

Jalore kand : 'सवर्ण ही नहीं OBC भी करते हैं हम पर अत्याचार', जालोर के दलितों ने बताई अपनी आपबीती

Janjwar Desk
20 Aug 2022 6:00 AM GMT
Jalore kand : सवर्ण ही नहीं OBC भी करते हैं हम पर अत्याचार, जालोर के दलितों ने बताई अपनी आपबीती
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Jalore kand : सिर्फ स्वर्ण ही नहीं ओबीसी भी दलितों पर अत्याचार करते हैं, मटकी का पानी पीने के बाद जान गवाने वाले इंद्र मेघवाल के गांव सुराणा उसके घर पहुंचे दलितों ने बताया गांव इलाकों में सामाजिक बराबरी का हाल बेहाल है...

Jalore Kand : समाज चाहे कितना भी आगे बढ़ जाए परन्तु जातिवाद का कीड़ा खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। इसका जीता जगता सबूत राजस्थान के जालोर में हुई घटना से मिलता है, जहां एक शिक्षक ने अपने ही छात्र को महज मटके से पानी पीने के कारण बेरहमी से पीट-पीटकर उसकी जान ले ली, बच्चे का कसूर सिर्फ इतना था कि वो इस बात से अनजान था कि वो एक दलित परिवार से है और इस कारण वो किसी ऊंची जाति के व्यक्ति के घड़े से पानी नहीं पी सकता।

सवर्ण ही नहीं ओबीसी भी हम पर करते हैं अत्याचार

जनज्वार टीम से बातचीत के दौरान जालोर में इंद्र मेघवाल के घर जुटे दलितों ने बताया कि उनके साथ जातिवाद के नाम पर बहुत अत्याचार होता है। ऊंची जाति वाले उन्हें दबाकर रखते हैं। उन्हें किसी तरह का कोई अधिकार नहीं दिया जाता। वो अपना जीवन यापन अपनी मर्जी से नहीं कर सकते, उनके ऊपर बहुत सी पाबंदियां लगाई गई हैं।

उन्होंने बताया कि, सिर्फ स्वर्ण ही नहीं ओबीसी भी उन पर अत्याचार करते हैं। मटकी का पानी पीने के बाद जान गवाने वाले इंद्र मेघवाल के गांव सुराणा उसके घर पहुंचे दलितों ने बताया गांव इलाकों में सामाजिक बराबरी का हाल बेहाल है। भीड़ में खड़े एक दलित युवक ने बताया कि उसके परिवार पर ऊंची जाति वाले लोग बहुत अत्याचार करते हैं। दलित समाज के लोगों को आज भी मंदिरों में जाने नहीं दिया जाता। यहां तक की शादी में दलित दूल्हे के घोड़ी पर बैठने पर भी राजपूतों को ऐतराज है।

आज भी दलितों का मंदिरों के जाना है वर्जित

इंद्र मेघवाल कांड के बाद आक्रोश से भरे दलित समाज के युवा कहते हैं बड़े-बड़े नेता चुनाव के दौरान आकर हमारे पैर पकड़ते हैं। हमारे साथ वोट बैंक की राजनीति होती है। चुनाव खत्म होते ही सभी नेता हमें भूल जाते हैं और हम फिर से दलित बन जाते हैं। हमारी जाति के जो नेता हैं वो भी सब बिके हुए हैं। वो भी हमारी नहीं सुनते। चाहे किसी की भी सरकार हो हमारी हालत में कभी सुधार नहीं होगा। दलितों का कहना है कि वो 2024 के चुनाव में इस घटना का पूरा बदला लेंगे। इस बार हम चुनावों में दलितों की पावर को दिखा देंगे।

दलित समाज की एक महिला कहती है, जब हम इंद्र मेघवाल को न्याय दिलाने के लिए धरना कर रहे थे, तब हम पर लाठीचार्ज किया गया। मेरे भाइयों को बहुत बुरी तरह से मारा गया। दलित होने के कारण हमारी कोई नहीं सुनता। हम अत्याचारों के खिलाफ आवाज भी उठाते हैं, तो ऐसे ही हमारी आवाज को दबाने की कोशिश की जाती है।

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