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स्वास्थ्य

Ground Report : PM मोदी के बनारस में बेपटरी स्वास्थ्य व्यवस्था, तेजी से फैलते डेंगू के बीच गर्भवती महिलाओं का बुरा हाल

Janjwar Desk
10 Oct 2022 4:52 PM IST
Ground Report : PM मोदी के बनारस में बेपटरी स्वास्थ्य व्यवस्था, तेजी से फैलते डेंगू के बीच गर्भवती महिलाओं का बुरा हाल
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राजकीय महिला अस्पताल में इलाज के लिए लगी महिलाओं की लंबी लाइन

Ground Report : मोदी योगी की डबल इंजन सरकार और सूबे के स्वास्थ्य मंत्री का दावा है कि सबकुछ पटरी पर है, जबकि हकीकत में स्मार्ट सिटी और PM मोदी के लोकसभा वाराणसी में चिकित्सा के सालों से उपेक्षित ढांचे बेपटरी और मरीजों के ओवरलोड से ध्वस्त होने की कगार पर आ गई है...

बनारस से पवन कुमार मौर्य की रिपोर्ट

बनारस में डेंगू के 89 पेशेंट मिले हैं। डेंगू से अब तक बच्चों समेत दो की मौत से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मचा हुआ है, मगर पूर्वांचल के करोड़ों की आबादी पर एमरजेंसी और जटिल रोगों के लिए कबीरचौरा स्थित मंडलीय अस्पताल की व्यवस्थाएं इन दिनों नाकाफी साबित हो रही है। स्वास्थ्य व्यवस्था डबल इंजन सरकार की तैयारियों और व्यवस्थाओं की पोल भी खोल रही हैं। मानसूनी सीजन और गंगा की बाढ़ उतरने के बाद बनारस जनपद में रोजाना चार हजार से अधिक डेंगू, मलेरिया, टायफायड, उल्टी-दस्त, डायरिया, बुखार समेत गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्ग मरीजों को बेड, प्लेटलेट्स, जांच लैब, ब्लड की डिमांड व अन्य प्रकार की जांच व दवा के लिए अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ रहा है।

हालांकि बनारस सरकारी दस्तावेजों में स्मार्ट सिटी बन चुका है, क्योंकि यह प्रधानमंत्री मोदी की लोकसभा क्षेत्र है। बनारस के स्मार्टसिटी होने की चकाचौंध की मुनादी रोड-चौराहों पर लगे होर्डिंग्स और इश्तिहार करते अघा नहीं रहे हैं। मोदी योगी की डबल इंजन सरकार और सूबे के स्वास्थ्य मंत्री का दावा है कि सबकुछ पटरी पर है, जबकि हकीकत में स्मार्ट सिटी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा वाराणसी में चिकित्सा के सालों से उपेक्षित ढांचे बेपटरी और मरीजों के ओवरलोड से ध्वस्त होने की कगार पर आ गई है।

पहले से ही डॉक्टर, स्पेशलिस्ट और मेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहे वाराणसी के तीन बड़े सरकारी जिला अस्पताल पांडेयपुर, राजकीय महिला अस्पताल और कबीरचौरा स्थित मंडलीय अस्पताल में मरीजों की बाढ़ सी आ गई है। रोजाना साढ़े चार हजार से अधिक पेशेंट इलाज को पहुंच रहे हैं, वहीं जनपद में डेंगू के मरीजों की संख्या 89 को पार कर चली है, और दो दिनों में दो लोगों की मौत से स्वास्थ्य विभाग में खलबली मची हुई है।

वाराणसी स्वास्थ्य महकमे द्वारा जारी डेंगू पेशेंट्स के आंकड़े

डेंगू, चाइल्ड और महिला-पुरुषों के जनरल भर्ती वार्ड फुल हो गए हैं। इनके इलाज के लिए इन अस्पतालों की व्यवस्था पर्याप्त साबित नहीं हो रही है। थायरॉइड और एचबीवन-सी की जांच मशीन के खराब होने की वजह से महीनों से बंद हैं। इससे गंभीर रोगों से पीड़ित पेशेंट दोहरी मुश्किल में घिर गए हैं। मज़बूरी में गरीब मरीजों को अधिक पैसे देकर प्राइवेट पैथ लैब का सहारा लेना पड़ रहा है। डेंगू मरीजों को आठ हजार रुपए की एसडीपी (सिंगल डोनर प्लैटलेट्स) को प्राइवेट अस्पताल व पैथ संचालकों की मनमानी से 15 से 18 रुपए में खरीदने पड़ रहे हैं।

गौरतलब है कि बनारस जनपद में वर्तमान में 41 लाख से अधिक जनसंख्या पर एक जिला अस्पताल बना हुआ है। वहीं पूर्वांचल की करोड़ों की आबादी पर एमरजेंसी और जटिल रोगों के लिए कबीरचौरा स्थित मंडलीय अस्पताल की व्यवस्थाएं इन दिनों नाकाफी साबित हो रही हैं। मानसूनी सीजन और गंगा की बाढ़ उतरने के बाद जनपद में डेंगू, मलेरिया, टायफायड, उल्टी-दस्त, डायरिया, बुखार समते गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों मरीजों की तादात में भारी इजाफा हुआ है। अस्पतालों में सुबह से देर शाम तक लोग पर्ची, ओपीडी, वार्ड, पैथलैब, रिपोट्स, बर्न यूनिट, चाइल्ड-महिला वार्ड और ब्लड के लिए आपाधापी करते हुए देखे जा रहे हैं। वहीं बेड, प्लेटलेट्स, जांच लैब, ब्लड की डिमांड व अन्य प्रकार की जांच के लिए लंबी लाइन में सुबह से दोपहर तक मरीजों को अपनी बारी का पड़ रहा है। मरीजों और तीमारदारों की अग्नि परीक्षा इसके बाद भी जारी रहती है, और जांच के लिए सैम्पल देने और रिपोर्ट लेने के लिए कई दिनों अस्पताल का चक्कर काटना पड़ रहा है।

डेंगू वार्ड फुल, पेशेंट परेशान

जिला अस्पताल के डेंगू वार्ड में इन दिनों अव्यवस्था का आलम यह है कि यहां भारी उमस और गर्मी हो रही है। छोटे से रूम में लगे सीलिंग फैन चल नहीं रहे, हालांकि चलने पर भी वे राहत के बजाय उमस पैदा कर रहे थे। दम घुटने वाले वातावरण में डेंगू से पीड़ित मरीज अपने बेड पर करवट बदल रहे थे।

डेंगू वार्ड अपने बेटे को लेकर भर्ती बाबतपुर के रामसूरत कहते हैं, उनके बेटे को डेंगू होने पर यहां शिफ्ट किया गया है। इतने छोटे से कमरे में (दस गुणा दस) चार डेंगू पेशेंट को भर्ती किया गया है। मच्छरों ने तो जैसे अस्पताल को घर बना रखा है, मगर इससे बचाव के लिए यहां कोई उपाय नहीं है। इससे तीमारदारों को भी मच्छरजनित अन्य प्रकार के बीमारी का भय सत्ता रहा है। हमलोग सुनते आ रहे हैं कि बनारस स्मार्ट और यहां कि हर प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करा दी गई हैं, लेकिन हकीकत में आए दिन अस्पताल में बेड और अच्छी सुविधाओं के मारामारी करनी पड़ती है। बहुत दिक्कत हो रही है, मजबूरी है। हम गरीब लोग आखिर कहां जाएं?'

जिला अस्पताल में बगैर मच्छरदानी का डेंगू वार्ड

तीमारदार धर्मेंद्र कुशवाहा की समस्या भी कमोबेश यही है। विदित हो कि जिला अस्पताल और मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा के डेंगू वार्ड फुल हो गए हैं। मरीजों को एडमिट करने के लिए तीमारदारों को नर्स व डॉक्टरों की चिरौरी करनी पड़ रही है। इसके बाद भी अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो जा रही है। वाराणसी में सोमवार 10 अक्टूबर तक डेंगू मरीजों की संख्या 89 से अधिक हो चली है, और दो लोगों की मौत भी हो गई। पिछले वर्ष की तुलना में साल 2022 में डेंगू की स्पीड डबल है।

डेंगू की डबल स्पीड, तैयारी की खो गई जमीन

वाराणसी जनपद में बाढ़ के बाद अब डेंगू पब्लिक पर आफत बनकर टूट पड़ा है। गत 23 अगस्त को जनपद में पहला डेंगू का मरीज मिला था और अब डेंगू मरीजों की संख्या 90 तक पहुंचने वाली है। डेंगू के बढ़ते मामले से को स्वास्थ्य महकमे द्वारा व्यापक रूप से लार्वा कलेक्शन और मच्छर रोधी दवाओं के छिड़काव में बरती गई ढिलाई अब नागरिकों पर डेंगू बनाकर टूट रही है। पिछले वर्ष यानि सितंबर 2021 में डेंगू के 20 केस थे। वर्तमान में डेंगू मरीजों का आंकड़ा 90 तक पहुंचने वाला है। इधर, डेंगू मरीजों को प्लेटलेट्स की डिमांड भी रोजाना 150 यूनिट की आ रही है, जबकि जिला अस्पताल में 15 यूनिट और कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल में 30 यूनिट प्लेटलेट्स की ही आपूर्ति हो पा रही है।

मंडलीय अस्पताल ब्लड बैंक के सीनियर फार्मासिस्ट जीतेन्द्र पटेल कहते हैं, 'हमारी लैब में दशकों पुरानी मशीनें हैं। अब तकनीक नई आ गई है और ब्लड-प्लैटलेट्स की डिमांड भी बढ़ गई है। इसलिए शासन को पत्र लिखकर अप्रेसिस मशीन की मांग की गई है।

वहीं जिला मलेरिया अधिकारी शरदचंद पांडेय ने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को मच्छरों के प्रकोप से बचाने के लिए एंटी लार्वा का छिड़काव कराने के साथ ही फॉगिंग पर विशेष जोर दिया जा रहा है।

जिला अस्पताल में जांच रिपोर्ट के लिए उमड़ी भीड़

लापरवाही की भेंट चढ़ा महिला अस्पताल

कबीरचौरा स्थित राजकीय महिला अस्पताल में महिलाओं और गर्भवती महिलाओं के लिए डॉक्टर के केबिन तक पहुंचा आसान काम नहीं है। पर्ची कटाने के बाद तकरीबन घंटाभर लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इन्तजार करती कई महिलाओं की तबियत भी बिगड़ जाती है।

पांडेयपुर के कमल अपनी पत्नी को दवा दिलवाने महिला अस्पताल आये हुए हैं और नवजात शिशु को अपने गोद में लेकर पत्थर की सीढ़ियों पर बैठे हुए हैं। कमल ने जनज्वार को बताया कि मैं सुबह आठ बजे का आया हूं। पत्नी लाइन में लगी हैं, आधे घंटे अधिक समय से खड़े होने पर चक्कर आ रहा है, मैं कर भी क्या सकता हूँ? महिला की लाइन में खड़ा नहीं हो सकता। पत्नी को परेशानी उठानी पड़ रही है। यहां भीड़ इतनी अधिक और बैठने, हवा और स्तनपान के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं है। शिशुओं को स्तनपान कराने में महिलाओं को बहुत दिक्कत हो रही है। बैठने की व्यवस्था नहीं होने से मैं यहां उमस में बच्चे को लेकर बैठा हूं। सरकार जो आम लोगों के लिए इतने दावे करती है, वह तो हवा-हवाई ही है न... जब आम लोगों को सहूलियत ही नहीं होगी तो झूठ परोसने का क्या फायदा?

आंकड़ों पर एक नजर...

अस्पताल में रोजाना पहुंचने वालों मरीजों की तादात

वाराणसी जिला अस्पताल - 2000

कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल - 1700

राजकीय महिला चिकित्सालय - 350

रोजाना प्लेटलेट की डिमांड -150 यूनिट

जिला व मंडलीय अस्पताल मिलाकर आपूर्ति- 35 यूनिट

महिलाएं काटती रहती हैं चक्कर

रिजवाना की पसली में दर्द है, और इनकी जगह पर लाइन में खड़ी नक्खीघाट की तबस्सुम को भी खड़े होने में दिक्कत हो रही है। अपनी बारी का इंतज़ार करती वैक्सीन लगवाने आईं कोनिया की सोनिया कहती हैं, इससे पहले भी एक घंटे के बाद मेरी बारी आई थी और कह दिया गया था कि वैक्सीन लगाने की मशीन ख़राब है, पास वाले विभाग में जाकर लगवा लीजिये। वहां गई तो उन्होंने कहा कि लिखवा लाइए। अब फिर से लाइन में खड़ी हूं। ऐसी व्यवस्था किस काम की, जहां कोई ईमानदारी से काम ही नहीं करना चाह रहा है। दूसरी ओर पब्लिक परेशानी होती है। इसकी फ़िक्र किसी को नहीं है।

हालांकि महिला अस्पताल के इंचार्ज डॉ. श्रीवास्तव ने अस्पताल की अव्यवस्था को स्वीकारते हुए जरूरी मुद्दों पर सुधार के लिए काम करवाने की बात कही।

मंडलीय अस्पताल में पर्ची काउंटर पर नागरिकों की भीड़

मंडलीय अस्पताल परिसर में स्थित बर्न केयर यूनिट भी बदहाली और लापरवाही का शिकार है। इस बर्न यूनिट पर पूर्वांचल के दर्जनों जिलों का भार रहता है। बर्न यूनिट में 40 टन के कुल 13 एयर कंडीशनर लगे हुए हैं, लेकिन इनमें से 11 एसी साल भर से खराब हैं और सिर्फ दो ही एसी एक्टिव हैं। वार्ड में पर्याप्त कूलिंग नहीं होने से गर्मी और उमस के चलते पेशेंटों की परेशानी बढ़ गई है, जिसकी कोई सुध लेने वाला नहीं है। बर्न यूनिट में एडमिट सोनू गुप्ता कहते हैं, वह यहां कई दिनों से भर्ती हैं। पर्याप्त मात्रा में कूलिंग नहीं होने से उनके शरीर और जख्म वाले हिस्से में परेशानी होती है। कई बार नर्स व डॉक्टर से शिकायत करने के बाद भी हालात जस के तस हैं। मेरे बाद यहां कई पेशेंट आए और बर्न वार्ड की बदहाल स्थिति को देखकर अन्यत्र इलाज कराने चले गए।

रोजाना 600 लोग पहुंच रहे एंटी रेबीज वैक्सीन को

जनपद में रोजाना दो सौ से अधिक डॉग्स बाइट के केसेज सामने आ रहे हैं। खूंखार कुत्तों का सबसे आसान शिकार बच्चे हो रहे हैं। नगर निगम स्ट्रीट डॉग्स के बधियाकरण में फिसड्डी साबित हो रहा है। जनवरी से अब तक महज 150 कुत्तों का ही बधियाकरण किया जा सका है। वहीं कबीरचौरा स्थित मंडलीय अस्पताल के रैबीज सेंटर में हाल के पांच दिनों में 600 से अधिक कुत्तों के हमले में घायल लोग रैबीज वैक्सीन लगवाने पहुंचे। रैबीज सेंटर इंचार्ज का कहना है कि आगामी दिनों में बड़े तादात में मरीजों के आने से रैबीज इंजेक्शन का स्टॉक भी खत्म हो सकता है।

पत्र भेजकर जवाब के इंतज़ार में जिम्मेदार

अस्पताल की अव्यवस्था और मरीजों को रही दिक्कत के संबंध में मंडलीय अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ घनश्याम मौर्य ने जनज्वार को बताया कि हमारे पास जो संसाधन उपलब्ध हैं उससे परिजन की सेवा करने में जुटे हुए हैं। हाल के दिनों में मंडलीय अस्पताल में वायरल बुखार के केसेज अधिक होने से पैथलैब पर दबाव बढ़ा है। अस्पताल में निर्धारित पदों के सापेक्ष डॉक्टरों की कमी है। इसके बारे में शासन को पत्र लिखकर मेडिकल इक्यूपमेंट और डॉक्टरों की मांग की गई है। जो व्यवस्था है, उसमे भी लगातार जांच की जी रही है। डेंगू व अन्य वार्ड भर जाने की दशा में फौरी तौर पर वैकल्पिक वार्ड बनाया गया है।

महिला अस्पताल में व्यवस्थाएं अपर्याप्त होने की वजह से सीढ़ी पर नवजात शिशु को लेकर के बैठक कमल

वहीं जिला अस्पताल के सीएमएस आरके सिंह का कहना है कि इन दिनों रोजाना 2000 से अधिक पेशेंट इलाज के लिए आ रहे हैं। इनकी दवा और इलाज की मुकम्मल व्यवस्था का प्रयास किया जा रहा है। अस्पताल में चिकित्सा सेवा से जुड़े चालीस फीसदी से अधिक लोगों के पद खाली होने से थोड़ी दिक्कतें हो रही हैं। इसके लिए शासन को पत्र लिखा गया है। जांच लैब, डेंगू, एमरजेंसी वार्ड, महिला-पुरुष वार्ड, ओपीडी, नेत्र, दन्त, ऑर्थो सभी विभागों की मॉनिटरिंग की जा रही है। फौरी तौर पर डेंगू वार्ड भर जाने से अतिरेक वार्ड बनाया गया है।

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