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स्वास्थ्य

बिहार में ब्लैक फंगस पीड़ितों की संख्या 400 पार, नीतीश के दावों से उलट मेडिकल कॉलेजों में ऑपरेशन का इंतजाम तक नहीं

Janjwar Desk
5 Jun 2021 2:04 PM GMT
बिहार में ब्लैक फंगस पीड़ितों की संख्या 400 पार, नीतीश के दावों से उलट मेडिकल कॉलेजों में ऑपरेशन का इंतजाम तक नहीं
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(राज्य सरकार के अनुसार राजधानी पटना में सरकारी और निजी अस्पताल में क़रीब 400 से अधिक लोगों का इलाज चल रहा है)

बिहार में भी 22 मई को स्वास्थ्य विभाग ने ब्लैक फंगस यानी म्यूकोरमायकोसिस को महामारी घोषित किया था। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से छह नियम बनाये गये हैं...

जनज्वार। बिहार में अभी कोरोना का कहर खत्म भी नहीं हुआ कि ब्लैक फंगस महामारी के रूप में कहर बरपा रहा है। राज्यभर में इस बीमारी से पीड़ितों की संख्या 400 के पार हो चुकी है। इस बीच राज्य सरकार ने दावा किया है कि पीड़ितों के इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों से पांच लाख तक की दवा मुफ्त दी जा रही है, उधर हाल यह है कि राजधानी स्थित दोनों मेडिकल कॉलेजों में पीड़ितों के ऑपरेशन का कोई इंतजाम तक नहीं है।

राजधानी पटना में सरकारी और निजी अस्पताल में क़रीब राज्य सरकार के अनुसार 400 से अधिक लोगों का इलाज चल रहा है। अब तक इस बीमारी से मृतकों की संख्या 39 पहुंच गयी है। जिसमें एम्स पटना में 15 लोगों की मौत हुई है। इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) व पटना एम्स में ब्लैक फंगस के एक-एक मरीज की मौत हो गयी।

आइजीआइएमएस में 10 संदिग्ध को लेकर कुल 107 संक्रमित हैं। जबकि एम्स में 98 संक्रमित भर्ती हैं। ब्लैक फंगस के 23 मरीज कोरोना से भी संक्रमित हैं इसलिए उन्हें कोविड वार्ड में भी रखा गया है। फंगस संक्रमितों की लगातार बढ़ती संख्या के कारण आइजीआइएमएस के 100 बेड और एम्स के 75 बेड का फंगस वार्ड अब मरीजों से पूरी तरह से भर गया है।

प्रबंधन का कहना है कि बेड बढ़ाने का इंतजाम किया जा रहा है। इस बीच आइजीआइएमएस में 24 घंटे के अंदर 10 मरीजों का ऑपरेशन इएनटी विभाग और नेत्र रोग विभाग के अंतर्गत किया गया। ऑपरेशन के बाद मरीजों को फंगस वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। पीएमसीएच में भर्ती ब्लैक फंगस के गंभीर मरीजों को तत्काल ऑपरेशन की सुविधा देने के लिए आइजीआइएमएस में ओपन ऑपरेशन किया जा रहा है। यही वजह है कि 24 घंटे के अंदर एक साथ 10 मरीजों का ऑपरेशन दो विभागों के अंतर्गत कर दिया गया, जबकि अब तक संस्थान में इंडोस्कोपिक विधि से ही ब्लैक फंगस का ऑपरेशन किया जा रहा था।

अस्पताल अधीक्षक डॉ मनीष मंडल ने बताया कि ब्लैक फंगस के संक्रमित कई ऐसे मरीज भर्ती हो रहे हैं, जिनका तत्काल ऑपरेशन किया जाना जरूरी होता है। कुछ मरीजों का ओपन ऑपरेशन भी किया जा रहा है। कल छह मरीजों का ऑपरेशन इंडोस्कोपिक विधि से और चार का ओपन विधि से किया गया।

कोविड अस्पताल नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ब्लैक फंगस के तीन संदिग्ध और मरीज भर्ती हुए है। अस्पताल में छह का उपचार किया जा रहा है। अस्पताल के चिकित्सकों ने बताया कि संक्रमित कोविड के मरीज थे, अस्पताल में भर्ती करायी गयी थी। जहां उपचार के दौरान मरीज में ब्लैक फंगस के लक्षण दिखे है। अस्पताल में ब्लैक फंगस के संक्रमित मरीज के लिए इएनटी विभाग में 12 बेड की व्यवस्था अस्पताल प्रशासन की ओर से की गयी है। अस्पताल के अधीक्षक डॉ विनोद कुमार सिंह व उपाधीक्षक डॉ सरोज कुमार ने बताया कि छह संक्रमित संदिग्ध मरीज भर्ती है, जिनका उपचार चल रहा है।

हाल यह है कि इसके इलाज में महंगा खर्च के चलते मरीजों व उनके परिजनों पर भारी पड़ रहा है। बिहार में ब्लैक फ़ंगस से प्रभावित मरीजों की संख्या और इस बीमारी से प्रभावित लोगों की मौत की संख्या हर दिन बढ़ती जा रही हैं।

खास बात यह है कि पीड़ित मरीजों के ऑपरेशन का राजधानी में एम्स व इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान ( आईजीआईएमएस) में हैं। जबकि कोविड अस्पताल नालंदा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल और पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में इसका कोई इंतजाम न रहने से मरीज व उनके परिजन रोज निराश होकर लौट रहे हैं। इसके अलावा राज्य के अन्य हिस्सों में सर्जरी को लेकर कोई इंतजाम नहीं दिख रहा है।जबकि हाल यह है कि पीड़ित मरीजों में से अधिकांश के सर्जरी की ही आवश्यकता पड़ रही है।

उधर बिहार राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने दावा किया है कि राज्य के सरकारी अस्पतालों में ब्लैक फंगस के मरीजों को मुफ्त दवा दी जा रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मंगल पांडे ने कहा है कि ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों के इलाज पर बिहार सरकार की ओर से प्रति मरीज चार-पांच लाख तक की दवा सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दी जा रही है। इससे मरीजों की जान को बचाई जा रही है।

स्वास्थ्य मंत्री ने यह बताया कि ब्लैक फंगस से बचाव की दवा एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की अब तक लगभग 14 हजार वायल राज्य के विभिन्न अस्पतालों में उपलब्ध करायी गयी है। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग दवाओं की उपलब्धता पर भी नजर रख रही है। कोरोना महामारी के साथ ही उससे उत्पन्न ब्लैक फंगस से बचाव का हर प्रयास किया जा रहा है।

(बिहार के स्वास्थ मंत्री मंगल पांडे का दावा ब्लैक फंगस का सरकारी अस्पतालों में पांच लाख तक का इलाज मुफ्त)

बकौल स्वास्थ्य मंत्री विशेषज्ञों द्वारा तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की आशंका को देखते हुए राज्य के सभी सरकारी मेडिकल काॅलेज एवं अस्पताल समेत जिला अस्पतालों में नीकू, पीकू एवं एसएनसीयू की व्यवस्था को ठीक किया जा रहा है।

उन्होंने यह भी बताया कि कोरोना को कंट्रोल करने के लिए ट्रेसिंग, टेस्टिंग, ट्रीटमेंट एवं ट्रैकिंग के तहत एक्शन प्लान पर लगातार काम चल रहा है। एक मई को राज्य में कोरोना संक्रमण की दर जहां 16 प्रतिशत के करीब था, वहीं एक महीने में यह दर मात्र एक प्रतिशत पर आ गया है।

बिहार में भी ब्लैक फंगस महामारी घोषित

बिहार में भी 22 मई को स्वास्थ्य विभाग ने ब्लैक फंगस यानी म्यूकोरमायकोसिस को महामारी घोषित किया था। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से छह नियम बनाये गये हैं। इसमें सभी निजी और सरकारी अस्पतालों को सिविल सर्जन के माध्यम से ब्लैक फंगस के मरीजों की सूचना स्वास्थ्य विभाग को देनी होती है। इसके इलाज में केंद्र व राज्य सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन का पालन सभी प्राइवेट व सरकारी अस्पतालों को अनिवार्य होगा।

राज्य सरकार के मुताबिक पटना के आइजीआइएमएस, पीएमसीएच व एनएमसीएच, दरभंगा का डीएमसीएच, भागलपुर का जेएलएनएमसी, मुजफ्फरपुर का एसकेएमसीएच, गया का एएनएमएमसीएच, बेतिया का मेडिकल कॉलेज, पावापुरी का वर्धमान मेडिकल कॉलेज, मधेपुरा का जेकेटीएमसीएच में ब्लैक फंगस के इलाज की व्यवस्था की गई है।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की तरफ से जारी की गई है एडवाइजरी

ब्लैक फंगस के लक्षण व बचाव को लेकर सरकार ने गाइड लाइन जारी की है। जिसके मुताबिक म्यूकरमाइकिस एक फंगल इन्फेक्शन है। यह उन लोगों को प्रभावित करता है, जिनका इम्यून सिस्टम किसी बीमारी या इसके इलाज की वजह से कमजोर हो जाता है। ये फंगस हवा में मौजूद होता है और ऐसे लोगों में पहुंचकर उनको संक्रमित करता है।

ये हैं इसके लक्षण

- आंख और नाक के आसपास दर्द या लालिमा,बुखार, सिर दर्द, खांसी, सांस लेने में परेशानी, उल्टी में खून

- मेंटल कन्फ्यूजन इसके लक्षण के रूप में है। जिनको अनकंट्रोल्ड डायबीटीज हो, स्टेरॉयड ले रहे हों व

- लंबे वक्त तक आईसीयू में रहे हों उनके लिए बेहद खतरनाक है। इसके अलावा किसी तरह का ट्रांसप्लांट हुआ हो व वोरिकोनाजोल थेरेपी (एंटीफंगल ट्रीटमेंट)ली हो, उन्हें बेहद सावधान रहने की जरूरत है।

कैसे कर सकते हैं बचाव

धूल-मिट्टी भरी कंस्ट्रक्शन साइट पर जाएं तो मास्क जरूर पहनें। बागवानी या मिट्टी से जुड़ा काम करते वक्त जूते, फुल पैंट्स-शर्ट और दस्ताने पहनें। पर्सनल हाईजीन का ध्यान रखें। रोजाना अच्छी तरह नहाएं।

इन बातों का रखें ध्यान

- खून में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित रखें।

- कोविड ठीक होने के बाद डायबीटीज रोगी ब्लड ग्लूकोज पर नजर रखें। स्टेरॉयड डॉक्टर की सलाह पर ही लें। इनका सही समय, सही खुराक और सही समय तक ही इस्तेमाल करें। ऑक्सीजन थेरेपी के लिए साफ और स्टेराइल पानी का ही इस्तेमाल करें।

- एंटीबायोटिक और एंटीबायोटिक दवाओं का सोच-समझकर इस्तेमाल करें। डायबीटीज केटोएसिडोसिस को कंट्रोल करें। अगर मरीज स्टेरॉयड ले रहा है तो इन्हें बंद करने के लिए धीरे-धीरे कम कर दें।

- इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग दवाएं बंद कर दें।पहले से ही एंटीफंगल दवाएं ना लें।रेडियो-इमेजिंग से मॉनिटरिंग करें।

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