राज्यसभा एवं लोकसभा सांसदों ने नए खाद्य लेबलिंग में सावधानी बरतने को लेकर संसदीय समिति के अध्यक्ष एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से की पैरवी
Varanasi News :Varanasi News उत्तर प्रदेश के राज्यसभा सांसद डॉ अशोक बाजपेई एवं लोकसभा सांसद भोलानाथ ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के द्वारा हाल ही में बहुप्रतीक्षित स्टार रेटिंग फूड लेबल आधारित एफओपीएल विनियम को लेकर डॉ अशोक बाजपेई ने संसदीय समिति के अध्यक्ष श्री भुवनेश्वर कलिता एवं भोलानाथ ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री मनसुख मंडाविया को पत्र लिखते हुए पैरवी की है, कि डॉ लेनिन रघुवंशी को एफओपीएल के अगले समिति के बैठक में अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाए.
राज्यसभा सांसद डॉ अशोक बाजपेई ने पत्र का हवाला देते हुए कहा कि चेतावनी वाला फ्रंट ऑफ पैक लैबलिंग से उपभोक्ताओं को स्वस्थ विकल्प चुनने के अधिकार मिल सकेंगे, जबकि नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरह के पोषक तत्वों के साथ खाद्य लेबलिंग उपभोक्ताओं को सचेत निर्णय लेने में मदद करने के बजाय भ्रमित ही करेगा। महिलाओं, युवाओं, और बच्चों के स्वस्थ भविष्य के लिए इंडियन न्यूट्रिशन रेटिंग (स्टार द्वारा) के बजाए चेतावनी लेबल सहित मजबूत व अनिवार्य एफओपीएल नियामक में लाने के लिए आग्रह किया है.
मानवाधिकार जननिगरानी समिति के संयोजक डॉ लेनिन रघुवंशी ने डॉ अशोक बाजपेई एवं लोकसभा सांसद भोलानाथ के इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि कहा कि, “ इसी संदर्भ में हाल ही में भुनेश्वर कलिता से मुलाकात कर चेतावनी लेवल वाला एफ ओ पी एल के पक्ष में अपनी बात रखी जिससे उपभोक्ता को स्वस्थ विकल्प चुनने में मदद मिल सके की डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ में कितना चीनी, वसा एवं नमक की मात्रा है, जिससे गंभीर बीमारी खासकर गैर संचारी रोगों को रोकने में मदद मिल पाएगी. जिसको लेकर श्री भुनेश्वर कलिता जी ने आश्वासन दिया है कि जनमानस को डिब्बाबंद खाने की पौष्टिकता के बारे में एफओपीएल विनियम के मार्फत पूर्ण जानकारी मिलनी चाहिए इसमें कोई दो राय नहीं है इसको लेकर संसदीय समिति के समक्ष बात रखी जाएगी और उपयुक्त कदम उठाने का पूरा प्रयास किया जाएगा.
लोकसभा सांसद भोलानाथ ने पत्र के माध्यम से कहा की मानवधिकार जन निगरानी समिति के द्वारा जनमानस को ध्यान में रखते हुए इस मसौदे को और मजबूत बनाने के लिए सुझाव दिए हैं कि रेगुलेशन में फ्रंट ऑफ पैक न्यूट्रीशनल लैबलिंग(एफओपीएनएल) में स्पष्ट तौर पर वसा, चीनी, एवं नमक की अधिकता को लेकर आसान तरीके से समझ में आने वाली चेतावनी जारी करें. साथ ही साथ खाद्य पदार्थ बनाने वाले कंपनियों को 4 साल के बजाय 1 साल का समय दे, ताकि वह जल्द से जल्द जनमानस के हक में काम कर सकें.
आगे उन्होंने बताया कि पत्र को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने अपने जवाब में कहा है कि मानवाधिकार जननिगरानी समिति के सुझाव नोट कर लिए गए हैं और प्रारूप समीक्षा के समय समुचित रूप से विचार किया जाएगा.