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खास खबर : मौत के ढाई महीने बाद भी सुंदरलाल बहुगुणा की पेंशन पत्नी को न हो पाई ट्रांसफर
सुंदरलाल बहुगुणा की पत्नी विमला बहुगुणा को उनकी मौत के ढाई महीने बाद भी पेंशन मिलनी नहीं हुई है चालू (Photo : amritfilm.net)
सलीम मलिक की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो। देशभर के मशहूर पर्यावरणविद, स्वतंत्रता सेनानी पदम विभूषण स्व. सुंदरलाल बहुगुणा (Sundarlal Bahuguna) की मृत्यु से ढाई महीने बाद भी उनकी मिलने वाली पेंशन पत्नी को स्थानांतरित नहीं हो पाई है। इस शर्मनाक वाकये का खुलासा स्वर्गीय बहुगुणा के बेटे राजीवनयन बहुगुणा ने अपनी एफबी वॉल पर किया है। झल्लाए, बहुगुणा ने इसे अपने परिवार को बेइज्जत किये जाने वाला कदम ठहराया। इस प्रकरण के पब्लिक डोमेन के आते ही इसकी राजनीतिक मीमांसा होनी शुरू हो गयी है।
स्व. बहुगुणा को भारत रत्न दिए जाने की मांग व दिल्ली विधानसभा में स्व. बहुगुणा का चित्र स्थापित कर भाजपा को रणनीतिक मात दे चुकी आम आदमी पार्टी (AAP) से बहुगुणा परिवार की सहानुभूति का बदला बताया जाने लगा है।
गौरतलब है कि, स्वतंत्रता संग्राम (Freedom Fighter) में हिस्सा ले चुके स्व. सुंदरलाल बहुगुणा का कद अपने जीवनकाल में ही पर्यावरण क्षेत्र में किये गए कामों की बदौलत एक खासे ऊंचे मकाम पर पहुंच चुका था। जीवनपर्यंत गांधीवादी विचारधारा को प्रफुल्लित करते रहे बहुगुणा जैसे विराट व्यक्तित्व में भारतीय जनता पार्टी की वैचारिक दिलचस्पी न होना स्वभाविक बात थी। वैसे भी शुरुआती दिनों में स्व. बहुगुणा काँग्रेस से जुड़े रहे थे।
हालांकि बाद में वह काँग्रेस (Congress) से विरक्त होकर स्वतन्त्र रूप से पर्यावरण के क्षेत्र में कार्यरत रहे। इसीलिए स्व. बहुगुणा के निधन पर भाजपा की राज्य सरकार की ओर से औपचारिकता के अतिरिक्त उनके सम्मान के लिए कुछ विशेष नहीं किया गया। कांग्रेस न तो केन्द्र और न ही प्रदेश की सत्ता में थी, जिस कारण कांग्रेस तो स्वर्गीय बहुगुणा के सम्मान में क्या ही कुछ करती?
ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए प्रदेश में अपने लिए संभावनाएं तलाश रही आम आदमी पार्टी ने मुददे को लपकते हुए स्व. बहुगुणा का चित्र दिल्ली विधानसभा में स्थापित करते हुए केन्द्र सरकार से बहुगुणा को भारत रत्न देने की मांग कर पर्वतीय भावनाओं को छूने का काम कर लिया।
मैं, #उत्तराखंड_विधानसभा से प्रार्थना करना चाहूंगा कि वो विधानसभा में एक #प्रस्ताव पारित कर स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा जी का नाम "#भारत_रत्न" के लिए प्रस्तावित करें।
— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) July 30, 2021
"जय उत्तराखंड"#india #Uttarakhand #sunderlalbahuguna
प्रदेश के प्रतिष्ठित बहुगुणा परिवार के साथ आम आदमी पार्टी का यह रिश्ता राज्य की सत्ता पर दुबारा काबिज होने का मंसूबा देख रही प्रदेश की भाजपा (BJP) सरकार को रास नहीं आया। आम आदमी पार्टी की इस कवायद को भारतीय जनता पार्टी में इसे उनकी सत्ता की सम्भावित पहुंच में एक रोड़े की तरह से माना गया।
अपने राजनीतिक लक्ष्य की पूर्ति के लिए अब किसी भी हद तक जाने की 'नई भाजपा' (New BJP) की कार्यशैली से सब परिचित ही हैं। यही वजह है कि स्व. बहुगुणा की स्वतंत्रता सेनानी की पेंशन उनकी पत्नी को स्थानांतरित होने जैसे बेहद मामूली मुददे को भी इसी चश्मे दे देखा जा रहा है।
वृक्ष जागरूकता और पर्यावरण चेतना के प्रसार के क्षेत्र व सारे विश्व में अद्वितीय योगदान देने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, पद्म विभूषण स्व. #सुंदरलाल_बहुगुणा जी को उनके अतुलनीय योगदान को सम्मानित करने का यह सही वक्त है।
— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) July 30, 2021
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स्व. बहुगुणा के पुत्र राजीव नयन बहुगुणा ने अपनी फेसबुक पोस्ट (FB Post) से इस सवाल को उठाते हुए इस सम्भावना को भी हवा दी है। उन्होंने लिखा है, 'कुछ शर्म बाकी है? मेरे स्वर्गीय पिता सुन्दरलाल बहुगुणा की स्वाधीनता सेनानी पेंशन उनकी मृत्यु के ढाई महीने बाद भी मेरी माँ के नाम स्थानांतरित न हो सकी। यह उत्तराखण्ड प्रदेश का मामला है। केन्द्रीय पेंशन में कोई समस्या नहीं आई। एक बार जिला ट्रेजरी ऑफिस ने हमारे कागज़ात खो दिए। दुबारा दिए तो कोई उत्तर नहीं।'
राजीव आगे लिखते हैं कि, 'कल से 18 बार कलैक्टर ऑफिस में फोन कर चुका हूं। कभी साहब इंस्पेक्शन में हैं, कभी मीटिंग में हैं। भाई कलेक्टर मीटिंग में हो, या ईटिंग और चीटिंग में हो, जो एक स्वाधीनता सेनानी प्रकरण पर बात करने के लिए आधा मिनट भी नहीं निकाल सकते। क्या यह किसी के इशारे पर जानबूझकर किया जा रहा है? अब हमें पेंशन नहीं चाहिए। कितना बेइज़्ज़त करोगे?'
बहरहाल, राजीव नयन बहुगुणा की इस फेसबुक पोस्ट पर यूज़र राज्य सरकार की जमकर मज़्ज़म्मत कर रहे हैं। अब देखने वाली बात यह है कि राज्य सरकार स्व. बहुगुणा की पेंशन स्थानांतरित करने में बाधा पहुंचाने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही कर अपने पाक-साफ होने का सबूत देगी या मामले को ठंडे बस्ते में डालकर अपने आप को और एक्सपोज़ करना चाहेगी ? फिलहाल गेंद राज्य सरकार (State Govt.) के पाले में है।