Morari bapu quotes hindi : मोरारी बापू के प्रवचन : कारण होने पर भी जिसे क्रोध ना आये वो साधू

Morari bapu quotes hindi : दिल्ली के सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में रामकथा वाचक संत मोरारी बापू की 867वीं रामकथा "मानस साधु महिमा" का आयोजन किया जा रहा है जिसका मंगलवार को चौथा दिन था। सभागार श्रद्धालुओं के खचाखच भरा रहा. उल्लेखनीय है सिरीफोर्ट में आयोजित रामकथा कार्यक्रम 21 नवंबर तक चलेगा। कार्यक्रम प्रत्येक सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक आयोजित किया जा रहा है । कोई भी व्यक्ति रामकथा में कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए शामिल हो सकता है।
संत मुरारी बापू ने व्यास जी साधु की महिमा बताते हुए कहते हैं कि साधु का सत्व स्वभाव उसका उदासीन होना है। साधु तटस्थ नहीं होता। साधु मध्यस्थ भी नहीं होता। वह सत्यस्थ होता है। राम को मानस में साधु कहा गया है। कैकेयी ने राम को साधु बताया। साधु सभी आश्रम को समन्वित कर यह संदेश देता है कि उदासीन बनकर रहना है। उदासीन वह होता है कि जिसको कोई भी घटना व्यथा न दे पाए। जिसकी व्यथा खत्म गई है। व्यथा मुक्त हो गया हो। साधु प्रेमस्थ होता है। मानस कथा में गाइए, झूमिए, लेकिन मर्यादा बनाकर रखिए। सप्त स्वभावी साधु का वर्णन व्यास जी ने किया है। जैसे साधू बिना किसी लोभ के लोक हित करता है वैसे ही रामचरित मानस भी साधू है जो लोकहित ही करता है
मानस आपका ग्रंथ है तो केवल ग्रंथ का स्मरण करें। कुछ लोग ऐसे हैं, जो कहते हैं कि बापू को यह अच्छा नहीं लगेगा तो वह क्या जानें कि मेरे निकट कौन है। बापू ने कहा, मेरा कोई प्रवक्ता नहीं है। कहा कि कुछ लोग मेरे निकट होने का दावा करते हैं, लेकिन मेरे निकट कोई नहीं है। मुझे क्या अच्छा लगता है कि यह कोई नहीं जानता।
बापू के अनुसार बुद्ध ने कहा है कि भक्ति में नृत्य और संगीत से विरिक्त होनी चाहए। मैं तो कहता हूं कि भक्ति में नाचना चाहिए, गाना चाहिए। आनंद मानना चाहिए। भक्ति का रस लेना चाहिए। उन्होंने एक वृतांत सुनाते हुए कहा, अमरदास जी बापू यात्रा करते हुए श्लोक बोलते थे। वह कहते हैं कि वह मंत्र बोलकर याद करेंगे तो कोई विध्न नहीं आएगा। एक बार उनकी गाड़ी का एक्सिडेंट हुआ, पेड़ से गाड़ी टकरा गई। बाल–बाल बचे। मैंने उनसे पूछा कि आप तो मंत्र बोलकर यात्रा करते थे तो आपका एक्सिडेंट कैसे हुआ। वह बोले, जल्दी-जल्दी में मैं आज वह मंत्र जपना भूल गया और जब याद आया, तब तक तो गाड़ी टकरा गई थी।
बापू के अनुसार पांच गकार (इष्ट ग्रन्थ, गुरु, गणपति, गौरी, गिरीश) का सस्मरण करते हुए यात्रा करनी चाहिए, मानस में लिखा है कि पांच गकार याद करके राम ने यात्रा की तो ऐसा नहीं था कि उनकी यात्रा में विध्न नहीं आए, लेकिन अंत में राम राज्य स्थापित हो गय़ा। उन्होंने कहा कि अपने इष्ट ग्रंथ को याद करके यात्रा करना। मैं ऐसा नहीं कहत कि इससे यात्रा में विध्न नहीं आएंगे, लेकिन अंत में सब कुछ अच्छा होगा। राम ने वनवास खत्म होने से पहले गणपति, गौरी और गिरीश को याद किया। अगर आप अपने इष्ट ग्रंथ को याद करके यात्रा करते हैं तो जो भी घटना घटेगी, वह हमेशा हित में ही होगी।
मुरारी बापू ने कहा कि पूर्णावतार तो कोई-कोई होता है, बाकी दशावतार होते हैं। लोहे का रंग पूर्ण रूप से काला होता है। लेकिन अगर उसमें अग्नि प्रवेश कर जाए तो लोहा रंग बदल देता है। लोह अग्नि के आवेश से रंग बदलता है, लेकिन जो आरोपी है, वह कब तक टिकेगा, कभी न कभी तो दोष सामने आएगा। जैसे अग्नि कुछ समय के बाद अपना स्वभाव त्याग दती है। लोहा मूल रूप में आ जाता है। अवतारी पुरुष में कलाएं होती हैं। पूर्णावतार तो भगवान श्रीकृष्ण है, राम हैं। अभिषक अजन्मे का ही होता है। शरीरधारी का अभिषक नहीं होता। दयानंद सरस्वती ने सत्यार्थ प्रकाश में कहा है कि रुद्राभिषेक तो केवल मेरे महादेव का होता है। अवतारों में कला होती है, जबकि साधु कलातीत होता है। कलाओं से परे होता है। उसमें कोई कला नहीं होती। शिव साधु है। ठाकुर रामकृष्ण परमहंस साधु हैं। उन्होंने कहा कि जप में क्रम होता है। स्मि में कोई क्रम नहीं होता। रामचरित मानस श्वेत श्याम साधु है। गौर भी है और श्याम भी है। किष्किंधाकांड में साधु के लक्षण हैं। जैसे साधु दुनिया का हित करता है, वैसे ही राम चरित मानस किसी भी बात को सोचे बिना दुनिया का कल्याण करता है। मुरारी बापू ने कहा कि साधु सप्त स्वभावी होता है। राम अप्रकट साधु है। साधु प्रकट राम है।





