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Karnal News : ' तिरंगा नहीं तो राशन नहीं ' पर अमल राशन डीलर को पड़ा महंगा, लाइसेंस सस्पेंड, खट्टर की हुई किरकिरी
Karnal News : ‘ तिरंगा नहीं तो राशन नहीं ’ पर अमल राशन डीलर को पड़ा महंगा, लाइसेंस सस्पेंड, खट्टर की हुई किरकिरी
Karnal News : देश की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में पीएम मोदी द्वारा 'हर घर तिरंगा' ( Har Ghar Tiranga ) अभियान को सफल बनाने के लिए लोगों से सहयोग करने में कोई बुराई नहीं है लेकिन राशन डीलर द्वारा ' तिरंगा नहीं तो राशन नहीं ( No tiranga no ration ) ' बात करना गैरकानूनी कार्य ही माना जाएगा। हर घर तिरंगा योजना बाध्यकारी मसला नहीं हो सकता। पीएम की ओर से यह एक स्वैच्छिक अपील है, जिस पर कोई अमल कर भी सकता है और नहीं भी। अमल नहीं करने का मतलब यह नहीं कि उसे तिरंगा ( Indian flag tiranga ) से प्यार नहीं है। ये भी तो हो सकता है कि राशन लेने वाले व्यक्ति के पैसे ही न हो। ऐसे में तो वह खुद चाहते हुए भी तिरंगा नहीं ले सकता है। फिर राशन एक मूलभूत जरूरत है, इसका ' हर घर तिरंगा ' से कोई लेना देना नहीं है।
राशन डीलर का लाइसेंस सस्पेंड
दरअसल, यह मसला हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ( Manohar lal Khattar ) के गृह जिला करनाल से जुड़ा है। करनाल जिले के हिमदा गांव के राशन वितरक दिनेश कुमार ने जब ' तिरंगा नहीं तो राशन नहीं ' की नीति पर अमल किया और यह मसला सोशल मीडिया पर वायरल होना, उसके के लिए महंगा पड़ गया। सोशल मीडिया पर इस बात को लेकर हरियाणा सरकार किरकिरी हुई। साथ ही इसकी आंच मोदी सरकार पर भी पड़ने लगी। मामले की गंभीरता को भांपते हुए करनाल प्रशासन ने कदम उठाया और राशन डील का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया।
लोगों की सुविधा के लिए रखवाये गए थे झंडे
करनाल के डिप्टी कमिश्नर अनीश यादव ने बताया कि जिले के हिमदा गांव के राशन वितरक दिनेश कुमार द्वारा राशन कार्ड धारकों को 20 रुपए का राष्ट्र ध्वज खरीदने को मजबूर करने की बात सामने आई है। इस बारे में अधिकारियों को जानकारी मिलते ही डिपो होल्डर का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। हालांकि, यादव ने कहा कि राशन डिपो पर झंडे लोगों की सुविधा के लिए रखवाए गए थे कि अगर लोग चाहें तो यहीं से 20 रुपए देकर वहीं से झंडा खरीद लें।
मैंने, सिर्फ विभागीय आदेश का पालन किया
राशन डीलर दिनेश कुमार का दावा है कि उन्हें फूड इंस्पेक्टर ने झंडा सभी को बेचने का आदेश दिया था। उसने विभाग से 3200 रुपए देकर झंडा लिया था। एक झंडा 10 रुपए का मिला था। उसे गरीबों को 20 रुपए में खरीदने के लिए बाध्य किया जा रहा था। दिनेश कुमार का कहना है कि उसने तो केवल विभागीय इंस्पेक्टर के आदेश कापालन किया।
गरीबों से निवाला छीनकर कीमत वसूलना शर्मनाक
सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो को खुद भाजपा सांसद वरुण गांधी ने भी ट्विट किया। वरुण गांधी ने अपने ट्वीट कहा कि तिरंगे की कीमत गरीब का निवाला छीनकर वसूलना शर्मनाक है। वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने गुरुवार को कहा कि कोई भी व्यक्ति किसी को राष्ट्रीय ध्वज खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है। केंद्र सरकार ने भी स्पष्टीकरण जारी करते हुए बुधवार को कहा था कि राशन दुकान मालिकों को राष्ट्रीय ध्वज नहीं खरीदने पर लोगों को राशन न देने का कोई निर्देश नहीं दिया गया है।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभियान के तहत देशवासियों से अपने घरों में 13 अगस्त से 15 अगस्त के बीच तिरंगा लगाने का आग्रह किया था। प्रधानमंत्री के इस आह्वान को सफल बनाने के लिए भाजपा भी अभियान चला रही है।