संघ कार्यकर्ता की झूठी शिकायत पर मेधा पाटकर समेत अन्य 11 ट्रस्टियों पर बड़वानी में दर्ज की गई fIR को आंदोलनकारियों ने बताया फर्जी
संघ कार्यकर्ता की झूठी शिकायत पर मेधा पाटकर समेत अन्य 11 ट्रस्टियों पर बड़वानी में दर्ज की गई fIR को आंदोलनकारियों ने बताया फर्जी
Medha Patkar news : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा नीत सरकार फर्जी मुकदमे दर्ज कर और अपने ही लोगों से फर्जी शिकायतें करा कर जन आंदोलनों को दबाना चाहती है। संघ से जुड़े और एबीवीपी के नेता प्रीतमराज बड़ोले द्वारा बड़वानी में इसी तरह की शिकायत नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर एवं नर्मदा नवनिर्माण अभियान के अन्य 11 ट्रस्टियों पर फर्जी एफआईआर दर्ज की गई है। इसी तरह पूर्व में भी झूठी शिकायतें की गई थीं, जिसे 2007 में सर्वोच्च अदालत ने भी खारिज कर दिया था ।
सोशलिस्ट पार्टी इंडिया, समाजवादी समागम, लोहिया विचार मंच, संयुक्त किसान मोर्चा, किसान खेत मजदूर संगठन, किसान मजदूर सेना, किसान संघर्ष समिति समेत इंदौर में कार्यरत 20 से ज्यादा संगठनों ने मेधा पाटकर सहित नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं पर दर्ज फर्जी एफआईआर की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए सरकार को चेतावनी दी है कि इस तरह के फर्जी मुकदमे दर्ज कर वह जन आंदोलनों को दबा नहीं सकती।
जनता के हकों में लड़ने वाले लोग इस तरह के फर्जी मुकदमों से डरने वाले नहीं हैं और ऐसी कार्रवाइयों का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। सोशलिस्ट पार्टी इंडिया मध्य प्रदेश के अध्यक्ष रामस्वरूप मंत्री, लोहिया विचार मंच के प्रदेश अध्यक्ष रामबाबू अग्रवाल, एसयूसीआई के नामदेव, किसान मजदूर सेना के बबलू जाधव एवं शैलेन्द पटेल, खेत मजदूर किसान संगठन के सोनू शर्मा, किसान संघर्ष समिति के दिनेश सिंह कुशवाह एवं छेदीलाल यादव सोशलिस्ट महिला सभा की अध्यक्ष दुर्गा यादव, समाजवादी समागम के दयाशंकर मिश्रा दलित मंच के मुकेश चौधरी ने बयान में कहा कि मेधा पाटकर एवं उनके सहयोगियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर जन आंदोलनों की आवाज को सरकार द्वारा कुचलने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य जन संगठनों को भयभीत कर चुप करने का है, जो कभी पूरा नहीं होगा। संघर्ष जारी रहेगा।
सभी ने कहा कि शिकायतकर्ता प्रीतमराज बड़ोले ने अपना फेसबुक अकाउंट एफआईआर दर्ज होने के तुरंत बाद बंद कर दिया है, लेकिन फेसबुक से प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एवं संघ से जुड़ा व्यक्ति है, जिससे पता चलता है कि शिकायत के पीछे गहरी साजिश है।
शिकायतकर्ता द्वारा आरोप लगाया गया है कि जीवनशालाओं के पैसों को राष्ट्रद्रोह में उपयोग किया गया है, लेकिन कोई तथ्य या दस्तावेज शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया है। इससे यह साफ हो जाता है कि पूरी कार्यवाही राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है और 35 वर्षों से सक्रिय नर्मदा बचाओ आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश है।
मेधा पाटकर के प्रयासों से नर्मदा नवनिर्माण अभियान ट्रस्ट करीब 30 वर्षों से जीवनशालाएं चला रहा हैं। इन जीवनशालाओं से पांच हजार से अधिक आदिवासी बच्चे पढ़़कर निकल चुके हैं।जीवनशाला को संचालित करने वाले ट्रस्ट का हिसाब किताब रखा गया है, जिसका हर साल ऑडिट भी कराया जाता है। जीवनशालाओं के लिए दिया गया कोई भी चंदा किसी भी राजनीतिक कार्य के लिए उपयोग में कभी नहीं लाया गया है। मेधा पाटकर द्वारा चलाए गए सभी आंदोलन संवैधानिक सिद्धांतों और मूल्यों पर आधारित है।