बजट में कम पैसा देकर नरेगा को ख़त्म कर रही है मोदी सरकार, राजस्थान के 30 जिलों में 88 स्थानों पर रैली निकालकर पीएम मोदी के नाम ज्ञापन
बजट में कम पैसा देकर नरेगा को ख़त्म कर रही है मोदी सरकार, राजस्थान के 30 जिलों में 88 स्थानों पर रैली निकालकर पीएम मोदी के नाम ज्ञापन
नरेगा संघर्ष मोर्चा और सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान राजस्थान के आह्वान पर राजस्थान के 30 जिलों में 88 स्थानों पर धरना/ रैली निकालकर तहसीलदार, विकास अधिकारी, उपखंड अधिकारी एवं जिला कलेक्टर्स को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम ज्ञापन दिए गए।
ज्ञापन में कहा गया कि NMMS (National Mobile Monitoring System) एप जो 1 जनवरी 2023 से महात्मा गाँधी नरेगा में उपस्थिति हेतु पूरी तरह लागू कर दिया गया है। यदि इन्टरनेट या अन्य किसी कारण से एप्प में हाजिरी नहीं होती है तो उन्हें मजदूरी नहीं मिलती है। अभियान की ओर से भेजे गए ज्ञापन में कहा गया है कि इस प्रकार नरेगा मजदूरों से काम करवा लेना और उन्हें मजदूरी नहीं देना केंद्र सरकार द्वारा मजदूरों से बंधुआ मजदूरी कराना है। ज्ञापन में कुछ उदाहरण भी दिए गए हैं जिनमें यह देखने में आया है कि मजदूरों ने 13 दिन काम किया है, लेकिन एप में उनकी केवल 10 या 7 दिन की ही ऑनलाइन हाजिरी हो सकी है, जिससे उनका भुगतान भी 10 या 7 दिन का ही केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री को दिए ज्ञापन में कहा गया है कि NMMS एप से ग्रामीण विकास विभाग भ्रष्टाचार रोकने का दावा कर रहा है, लेकिन उस दावे में कोई सच्चाई नहीं है बल्कि यह एप मजदूरों को मजदूरी से वंचित कर रहा है। ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि कई जगहों पर आज भी इन्टरनेट की कनेक्टिविटी नहीं है। इसी के साथ मोबाइल भी एक विशेष स्पेसिफिकेशन का होना चाहिए होता है जो गरीब परिवारों के पास नहीं होता है। कई स्थानों पर मजदूरों की हाजिरी नहीं होने पर उन्हें कार्यस्थल से वापस लौटा दिया जाता है, जिससे उनके कई घंटे ख़राब हो जाते हैं। विभिन्न जगहों पर आयोजित किये गए धरने/ रैली और ज्ञापन के दौरान मनरेगा मजदूरों में भयंकर रोष देखने को मिला।
कम बजट आवंटित कर नरेगा को ख़त्म किया जा रहा है
ज्ञापन में कहा गया है कि केंद्र की मोदी सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2023 को आगामी वर्ष के लिए पेश किये गए बजट में केवल 60 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है जो बहुत ही कम है। पश्चिमी बंगाल में मजदूरों को दिसंबर 2021 से भुगतान नहीं किया गया है। झारखण्ड और अन्य कई राज्यों में भी कई महीने से भुगतान नहीं किया गया है उनका पिछला बकाया भी हजारों करोड़ है और आगे 2 महीने और काम चलने वाला है उसका भुगतान किया जाना होगा। इसलिए इससे ऐसा प्रतीत होता है कि मोदी सरकार नरेगा को ख़त्म करना चाहती है, जो पूरे देश के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। नरेगा मांग आधारित कानून है जिसमें बजट की रुकावट नहीं लगाई जा सकती है, लेकिन यह हर वर्ष केंद्र सरकार द्वारा कम बजट आवंटित करके इसे ख़त्म किया जा रहा है।
नरेगा मजदूरी बढ़ाये जाने की मांग
ज्ञापन में महात्मा गाँधी नरेगा की मजदूरी बढ़ाकर 800 रुपये प्रतिदिन किये जाने की भी मांग की गयी, क्योंकि आज मंहगाई के दौर में 231 रुपये बहुत ही कम मजदूरी है। सरकारें कर्मचारियों और अधिकारियों की तनख्वाहें बढ़ा दी जाती है लेकिन मजदूरों की मजदूरी में कोई बढ़ोतरी नहीं की की जाती है।
नरेगा में दिनों की संख्या बढाकर 200 किये जाने की मांग
ज्ञापन में यह भी माग की गई है कि नरेगा में दिनों की संख्या बढाकर 200 दिन की जाये, क्योंकि आज बेरोजगारी चरम पर है इसलिए इसे बढाया जाये।
सामाजिक अंकेक्षण की व्यवस्था मज़बूत की जाये
अभियान की ओर से मांग की गई है कि राज्य में नियमित सामाजिक अंकेक्षण हो, जिससे कानून के क्रियान्वयन में सुधार हों अभियान का मानना है कि यदि वास्तव में सुधार लाना है तो सामजिक अंकेक्षण को और अधिक मज़बूत किया जायें