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आंदोलन

कॉरपोरेट हितों के लिए दिल्ली ही नहीं पूरे देशभर में लाखों लोगों को उजाड़ा जा रहा है अतिक्रमण के नाम पर

Janjwar Desk
10 Sept 2023 8:18 AM IST
कॉरपोरेट हितों के लिए दिल्ली ही नहीं पूरे देशभर में लाखों लोगों को उजाड़ा जा रहा है अतिक्रमण के नाम पर
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G20 बैठक के आयोजन के लिए सरकार द्वारा 4 हजार करोड रुपए से भी अधिक खर्च किए जा रहे हैं, परन्तु हजारों की संख्या में आम आदमी के आशियाने तोड़ दिए गए हैं

जी-20 जैसे मंचों का गठन जनता के शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार व जनता के जीवन स्तर को ऊंचा उठाकर बराबरी स्थापित करने के लिए नहीं किया गया है, बल्कि इसका गठन बहुराष्ट्रीय निगमों और कोरपोरेट के मुनाफे और लूट को बढ़ाने के लिए किया गया है...

रामनगर। दिल्ली में चल रही दो दिवसीय जी-20 की बैठक के जवाब में समाजवादी लोक मंच ने आज 10 सितंबर को रामनगर स्थित लखनपुर चौराहे पर 11 बजे से धरना-प्रदर्शन आयोजित करने का निर्णय लिया है।

मंच संयोजक मुनीष कुमार ने कहा कि दिल्ली में चल रही जी-20 देशों की बैठक में विकास एवं जनहित का ढकोसला चल रहा है। ये बैठक जनता के लिए रोजगार, शिक्षा, इलाज आदि का इंतजार करने के लिए नहीं, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों एवं दुनिया के बाजारों पर साम्राज्यवादी देशों, बहुराष्ट्रीय निगमों व कार्पोरेट का आधिपत्य स्थापित करने के लिए आयोजित की जा रही है। इस बैठक के आयोजन के लिए सरकार द्वारा 4 हजार करोड रुपए से भी अधिक खर्च किए जा रहे हैं, परन्तु हजारों की संख्या में आम आदमी के आशियाने तोड़ दिए गए हैं। बहुराष्ट्रीय निगम और कॉर्पोरेट के हितों की खातिर दिल्ली ही नहीं समूचे देश में लाखों लाख लोगों को अतिक्रमण के नाम पर उजाड़ा जा रहा है, जिसके खिलाफ जनता को संघर्ष करने की जरूरत है।

गौरतलब है कि देश की राजधानी दिल्ली में जी-20 देशों के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक का 9-10 सितंबर का आयोजन किया गया है, जिसमें जी-20 में शामिल देशों के राष्ट्राध्यक्ष, विशेष आमंत्रित देश तथा विश्व बैंक, विश्व व्यापार संगठन, विश्व स्वास्थ्य संगठन आदि अंतर्राराष्ट्रीय संस्थाओं के प्रतिनिधि भी भागीदारी कर रहे हैं। इसके लिए 8-10 सितंबर तक दिल्ली के सभी दफ्तर, स्कूल-कॉलेज, अदालतें आदि बंद कर यातायात को बुरी तरह बाधित कर दिया गया है। दिल्ली की जनता को एक बार फिर लाॅक डाऊन जैसी स्थित में कैद रहने के लिए विवश कर दिया गया है।

दिल्ली जी-20 सम्मेलन के लिए ‘जहां झुग्गी वहीं मकान’ का नारा देने वाली सरकारों ने हजारों हजार लोगों के आशियानें तोड़ उन्हें बेघर कर दिया है। भारत सरकार ने भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन को वसुधैव कुटुंबकम (एक विश्व-एक-परिवार-एक भविष्य) का नारा दिया है, परन्तु वर्तमान विश्व के इस परिवार में मजदूर-किसान व देश के आम आदमी का कोई भविष्य नहीं है।

जी-20 की बैठक प्रारम्भ होने से पूर्व ही दुनिया के शासकों के झगड़े खुलकर सामने आ गये हैं। रुस के राष्ट्रपति पुतिन व चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिंग भारत बैठक में भाग नहीं लिया। चीन ने बैठक से पूर्व नक्शा जारी कर अरुणाचल प्रदेश को चीन की सीमा में शामिल दिखा कर भारत-चीन सीमा विवाद को और अधिक तीखा कर दिया है। इससे पूर्व पिछले 1 व 2 मार्च को जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की नई दिल्ली में हुयी बैठक में रुस और चीन के विदेश मंत्रियों ने साझा प्रस्ताव प्रारूप के दो पैरागाफ पर आपत्ति जताने के कारण साझा प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया। साझा प्रस्ताव में यूक्रेन पर रुसी हमले की आलोचना की गयी थी।

जी-20 जैसे मंचों का गठन जनता के शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार व जनता के जीवन स्तर को ऊंचा उठाकर बराबरी स्थापित करने के लिए नहीं किया गया है, बल्कि इसका गठन बहुराष्ट्रीय निगमों और कोरपोरेट के मुनाफे और लूट को बढ़ाने के लिए किया गया है। इन मंचों का उपयोग साम्राज्यवादी मुल्क अपने वर्चस्व को बढ़ाने, दुनिया के बाजारों व कच्चे माल के श्रोतों पर कब्जा करने के लिए करते है। बातचीत और दबाव से काम नहीं बनता तो हमले पर उतारु हो जाते है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद हो या जी-20 जैसे मंच, अमेरिका व रूस जैसे साम्राज्यवादी मुल्कों व नाटों देशों के लिए कोई अहमियत नहीं रखते हैं। एक तरफ दुनिया में जी-20 देशों के सम्मेलन होते रहे और दूसरी तरफ अमेरिका व नाटो देशों ने ईराक, अफगानिस्तान आदि देशों पर हमला कर, उन्हें तबाह बरबाद कर दिया। रुस ने हमला करके पहले यूक्रेन से क्रीमिया को हथिया लिया और पिछले वर्ष यूक्रेन पर पुनः हमला कर दिया।

दुनिया की जनता के बीच भाईचारा, बराबरी, रोजी-रोटी, शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार की गारंटी जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन द्वारा नहीं बल्कि वैज्ञानिक समाजवाद द्वारा ही सम्भव है। समाजवाद में ही मजदूर, किसान व आम आदमी का भविष्य सुरक्षित है। समाजवाद ही देश की जनता को लूट और शोषण से मुक्त कर सकता है। अतः हम सबको एक विश्व, एक परिवार, एक भविष्य के नारे के भ्रम से बाहर आकर समाजवाद को स्थापित करने के संघर्षों को आगे बढ़ाना चाहिए।

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