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'भगतसिंह आज जिंदा होते तो उन पर भी UAPA लगा डाल दिया जाता जेल में' 116वीं जयंती पर BHU में शहीदे आजम को किया गया याद

Janjwar Desk
28 Sep 2023 11:30 AM GMT
भगतसिंह आज जिंदा होते तो उन पर भी UAPA लगा डाल दिया जाता जेल में 116वीं जयंती पर BHU में शहीदे आजम को किया गया याद
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Bhagat Singh : भगतसिंह द्वारा लिखा लेख विद्यार्थी और राजनीति को उद्धरण देते हुए कहा कि भगतसिंह शिक्षा को समाज की परिस्थितियों से जोड़कर देखते हैं। वह कहते हैं कि अगर हमारी शिक्षा समाज की परिस्थिति का सही सही ज्ञान नहीं कराती तो यह सिर्फ क्लर्की करने के लिए है....

वाराणसी । कल 27 सितंबर को विश्वनाथ मंदिर बीएचयू पर भगतसिंह के 116वीं जयंती पर सभा व सांस्कृतिक कार्यक्रम किया गया। सभा में महेंद्र ने भगतसिंह के विचारों पर बात रखी गयी। इस दौरान वक्ताओं ने भगतसिंह द्वारा लिखा लेख विद्यार्थी और राजनीति को उद्धरण देते हुए कहा कि भगतसिंह शिक्षा को समाज की परिस्थितियों से जोड़कर देखते हैं। वह कहते हैं कि अगर हमारी शिक्षा समाज की परिस्थिति का सही सही ज्ञान नहीं कराती तो यह सिर्फ क्लर्की करने के लिए है। वक्ताओं ने कहा, आज हमारे मूल मुद्दे जैसे की बेरोजगार, शिक्षा का निजीकरण, महंगाई, तमाम सरकारी संस्थाओं के निजीकरण इत्यादि गायब हैं। आज भाजपा हर तरफ सांप्रदायिकता फैला रही है।

इसी कार्यक्रम में बीएसएम की अध्यक्ष आकांक्षा आजाद ने अपनी बात रखते हुए कहा कि यह सरकार की तानाशाही है जो सरकारी जांच एजेंसियों एनआईए, आईबी, एटीएस, ईडी को अपने राजनीतिक फायदे के लिए प्रयोग कर रही है। अगर भगतसिंह आज होते तो उनके ऊपर भी जनविरोधी कानून यूएपीए थोपकर उन्हें जेल के सलाखों के पीछे धकेल दिया गया होता। उन्होंने कहा की हम भगतसिंह के क्रांतिकारी विचारों और विरासत पर चलने वाले हैं, सरकार की इस तरह की धमकियों से नहीं डरते हैं।

अंकित ने अपनी बात कविताओं के माध्यम से रखा। उन्होंने कवि शैलेंद्र की "भगतसिंह इस बार ना लेना काया भारतवासी की", राजेश जोशी की "मारे जायेंगे" व गौहर रजा की "आवाज उठाना लाज़िम है" कविता का पाठ किया। शुभम ने कहा कि पढ़ाई का मुख्य काम समाज को बेहतर बनाने के लिए शिक्षा का व्यवहार में लागू करना है।

आइसा से जुड़े रोशन ने कहा कि भगत सिंह ने जिस आजादी की बात की थी और जो भारत का सपनों देखा था, सपना आज भी अधूरा है। आज राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं पर राजकीय दमन किया जा रहा ताकि सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ कोई ना बोले। ऐसे समय में भगत सिंह और भी प्रासंगिक हो जाते हैं।

सभा के दौरान क्रांतिकारी गीत "ए भगतसिंह तू जिंदा है", "सूली चढ़कर वीर भगत ने", "सरफरोशी की तमन्ना", "चले चलो दिलों में घाव लेके भी चले चलो", "वे सारे हमारे कतारों में शामिल", "मिलजुल गढ़े चलss नया हिंदुस्तान भईया" इत्यादि की गर्मजोशी के साथ प्रस्तुति की गई। सभा का संचालन अमर ने किया। कार्यक्रम में 40-50 लोग शामिल रहे।

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