मरचूला बस दुर्घटना के घायलों को मिल जाता समय पर इलाज तो बचायी जा सकती थीं बहुत सी जानें, एयर एंबुलेंस पर भी सवाल !
Marchula bus accident : संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा मरचूला बस दुर्घटना में असमय काल का ग्रास बने 36 लोगों को लखनपुर चौक, रामनगर में आयोजित कार्यक्रम में आज 9 नवंबर को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान शोक सभा का आयोजन भी किया गया।
सभा में वक्ताओं ने कहा कि किसी भी दुर्घटना के बाद घायल का जीवन बचाने के लिए पहला घंटा गोल्डन आवर माना जाता है, जिसमें घायल को अस्पताल में इलाज मिल जाने पर जान बच जाती है। मरचूला बस दुर्घटना के बाद घायलों को चार-पांच घंटे तक इलाज नहीं मिला। इतना ही नही, सरकार की एयर एंबुलेंस भी घायलों को लेने मरचूला नहीं भेजी गई। दुर्घटना के बाद यदि समय पर घायलों को इलाज मिल जाता तो बहुत सारे लोगों की जान बचाई जा सकती थी। बस दुर्घटना भाजपा सरकार की जन विरोधी स्वास्थ्य और परिवहन नीति का परिणाम है। 2 करोड़ रुपए प्रति माह भुगतान करने के बावजूद भी लोगों को रामनगर अस्पताल में इलाज न मिल पाना बेहद निंदनीय है तथा भाजपा सरकार द्वारा जनता के पैसे का दुरुपयोग है।
सभा में वक्ताओं ने कहा लोकतंत्र में अपनी मांगों के लिए आवाज उठाना जनता का संवैधानिक अधिकार है। इलाज के अभाव में मर रहे लोगों को देखकर मुख्यमंत्री का विरोध करने वाले लोग सम्मान के पात्र हैं। केवल तीन लोग ही नहीं, समूचा उत्तराखंड बस दुर्घटना के लिए मुख्यमंत्री का विरोध कर रहा है, जनता की आवाज मुकदमें लगाकर दबाई नहीं जा सकती है।
समिति ने रामनगर अस्पताल को पीपीपी मोड से हटाए जाने, मृतकों को 20 लाख व घायलों को 10 लाख रुपए मुआवजा दिए जाने, पहाड़ के सभी रूटों पर पर्याप्त मात्रा में सरकारी बसें लगाई जाने तथा उत्तराखंड के सभी सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की।
शोक सभा में महिला एकता मंच की ललिता रावत, विद्यावति शाह, उपपा नेता प्रभात ध्यानी, मोहम्मद आसिफ, इंकलाबी मजदूर केंद्र के रोहित, भूवन, समाजवादी लोक मंच के मनीष कुमार किशन शर्मा गिरीश आर्य, किसान संघर्ष समिति के सोवन तड़ियाल, ललित उप्रेती मुकेश जोशी, भाकपा-माले के अमन रावत प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की तुलसी छिंबाल, पान सिंह, जगमोहन रावत, उषा पटवाल समेत बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।