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आंदोलन

Farmer Protest : हरियाणा सरकार से फिर टकराव की राह पर किसान, 12 सितंबर को करेंगे सीएम आवास का घेराव

Janjwar Desk
10 Sep 2022 8:14 AM GMT
Farmer Protest : हरियाणा सरकार से फिर टकराव की राह पर किसान, 12 सितंबर को करेंगे सीएम आवास का घेराव
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Farmer Protest : केंद्र सरकार ने एक आदेश द्वारा तुरंत ही खाद्यानों के निर्यात पर रोक लगा दी गयी है, विषेश रूप से मोटी धान और धान टुकडी के दामों में गिरावट आयेगी, जिससे किसानों को बड़ा नुकसान होने के आसार हैं, साथ ही किसानों के पशुओं में आयी लम्पी बीमारी के तुरंत टीकाकरण को व्यापक स्तर पर करने की मांग किसान जत्थेबंदियों की तरफ से उठ रही है...

Farmer Protest : हरियाणा से संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य और नेता सुरेश कोथ ने हरियाणा की किसान जत्थेबंदियों को 12 सितंबर को फिर से हरियाणा के मुख्यमंत्री आवास को घेरने का आह्वान कर दिया है। उनका आरोप है कि बार बार हरियाणा सरकार किसान विरोधी नीतियों को प्रदेश में लागू करने के प्रयास कर रही है, जिसके चलते किसानों में रोष व्याप्त है।

दरअसल सरकार के एक आदेश के खिलाफ पिछले कुछ समय से किसान अपनी मांग उठा रहे हैं। हरियाणा सरकार के आदेश के मुताबिक जो किसान लंबे समय सेदेह शामलात और जुमला मुश्तरका जमीन पर खेती कर रहे हैं, उनको मालिकाना हक से वंचित किया जायेगा। इससे किसानों का एक बड़ा वर्ग प्रभावित होगा। ये किसान लगभग सभी जातियों के हैं, जो अन्य क्षेत्रों से विस्थापित होकर आये थे। अब इन जमीनों पर कृषि से जीवन यापन कर रहे हैं।

इस बार मसला धान की फसल से जुड़ा है, क्योंकि धान की फसल अबकी बार किन्हीं कारणों से बौनी रह गयी है, और पूरी फसल तबाह हो चुकी है। किसानों की मांग है कि सरकार तुरंत इसका अंकलन करके उनको उचित मुआवजा प्रदान करे। साथ ही पिछले साल प्रदेश में जो फसलें खराब हुयी थी और उनका जो मुआवजा सरकार ने मंजूर किया था, उसका भुगतान अविलंब किया जाये।

केंद्र सरकार ने एक आदेश द्वारा तुरंत ही खाद्यानों के निर्यात पर रोक लगा दी गयी है, विषेश रूप से मोटी धान और धान टुकडी के दामों में गिरावट आयेगी, जिससे किसानों को बड़ा नुकसान होने के आसार हैं। साथ ही किसानों के पशुओं में आयी लम्पी बीमारी के तुरंत टीकाकरण को व्यापक स्तर पर करने की मांग किसान जत्थेबंदियों की तरफ से उठ रही है।

किसानों को शिकायत है कि विकास का नारा देकर सत्ता में आयी प्रदेश की भाजपा सरकार पिछले 8 वर्षों से कोई उचित पद्धति या प्रणाली प्रदेश के किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए विकसित नहीं कर पायी है, जिस कारण उन्हें बार बार आंदोलन को बाध्य होना पड़ता है। 2022 में किसानों की आय दुगनी करने के वादे को भी प्रधानमंत्री मोदी पूरा नहीं कर पाये हैं।

विपक्षी राजनीतिक दल चाहे कांग्रेस हो या फिर इनेलो वो भी किसानों की मांगों के लिए प्रदेश में कोई ऐसा सशक्त आंदोलन खड़ा नहीं कर पाये हैं, जिससे मजबूर होकर सरकार किसानों के हित में कदम उठाये।

बीते 9 सितम्बर को रोहतक में एक कार्यक्रम में मेघालय के राज्यपाल महामहिम सत्यपाल मलिक ने किसान को साफ संदेश दिया कि उनको एक बड़ी लड़ाई के लिए तैयार रहना होगा, क्योंकि वर्तमान भाजपा की केन्द्रीय सरकार की नीतियां किसाना हितैषी नहीं हैं। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सभी जातियों के किसानों से आह्वान किया कि वे एकजुट होकर देश के बड़े पूंजीपतियों के शोषण के विरोध एक लम्बी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार रहें। किसानों के हक़ों के लिए वे अपनी सशक्त आवाज़ उठाते रहेंगे और कार्यकाल पूरा होने के बाद किसानों के लिए संघर्ष में पूरी तरह से सम्पर्पित होंगे।

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