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जेपी आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले राजीव हेमकेशव की याद में लखनऊ में 'हम रहेंगे साथ में' कार्यक्रम आयोजित

Janjwar Desk
18 Oct 2024 1:45 PM IST
जेपी आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले राजीव हेमकेशव की याद में लखनऊ में हम रहेंगे साथ में कार्यक्रम आयोजित
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राजीव हेमकेशव अपने नैतिक मापदंडों पर अपनी जमीन पर खड़े रहे। गैर बराबरी को मिटाने के लिए अपने नाम के पीछे से जाति हटाई...

लखनऊ। समाजवादी चिंतक राजीव हेमकेशव की याद में लखनऊ के नेहरू युवा केन्द्र में राजीव की याद में हम रहेंगे साथ में कार्यक्रम आयोजित हुआ। जेपी आंदोलन में सक्रिय राजीव हेमकेशव का 5 अक्टूबर 2024 को लखनऊ में निधन हो गया था।

राजीव हेमकेशव के चित्र पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि करते हुए कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इस दौरान कई भावुक क्षण आए जब लोगों के आंखों में आसूं आ गए। राजीव हेमकेशव की बहन डॉ. अर्चना और बहनोई डॉ. अमिताभ ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि राजीव की याद में देशभर से जुटे लोगों को देखकर एहसास हुआ कि वह व्यक्तित्व के कितने बड़े धनी थे।

राजीव के मित्र अमिताभ ने कहा कि 80 के दशक में विश्वविद्यालय में उनसे मुलाकात हुई थी। वरिष्ठ पत्रकार अम्बरीश कुमार ने कहा कि जब वे 1978 में छात्रसंघ का चुनाव लड़ रहे थे, तब पहली बार राजीव से उनकी मुलाकात हुई थी। छात्र युवा संघर्ष वाहिनी और देशभर में चल रहे आंदोलनों से न सिर्फ उन्होंने जोड़ा बल्कि पूरे देश में भी घुमाया। युवा भारत का मुझे संयोजक भी बनाया। मानुषी जैसे संगठन का निर्माण भी उन्होंने किया। किशन पटनायक जैसे बड़े समाजवादी नेताओं से मुलाकात कराकर मेरे दृष्टिकोण को व्यापक बनाया।

वरिष्ठ पत्रकार हरिजिंदर सिंह ने कहा कि हमारे विचारों को राजीव ने धार दी थी। विश्वविद्यालय के दौर में हम चिंतन बिंदु नाम की पत्रिका निकालते थे और राजीव व उनके साथी अंकुर नाम की पत्रिका निकालते थे। एक बार हुआ की सभी मिलकर एक ही पत्रिका निकालें ऐसा हो नहीं सका, पर हमलोग साथ साथ रहे।

समाजवादी चिंतक विजय प्रताप ने कहा कि राजीव अपने नैतिक मापदंडों पर अपनी जमीन पर खड़े रहे। गैर बराबरी को मिटाने के लिए अपने नाम के पीछे से जाति हटाई। इन अभियानों में राजीव की अग्रिणी भूमिका रही। डॉ. राकेश रफीक ने कहा कि जेपी के संपूर्ण क्रांति के स्वप्न को जिसने जीवन भर नहीं छोड़ा उसका नाम राजीव है।

सामाजिक कार्यकर्ता पुतुल ने कहा कि सामाजिक राजनीतिक तौर पर राजीव विचारों के प्रति जितने प्रतिबद्ध थे उतना ही वे साथियों के प्रति बेहतर व्यवहार करते थे। कोरोना में जब मेरा जीवन संकट में पड़ गया था तब राजीव ने मेरी जान बचाई। आज जो मैं सांस ले रही हूं, वह राजीव की देन है।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता भक्तचरण दास ने युवा संघर्ष वाहिनी से लेकर उनके राजनीतिक जीवन में राजीव का क्या महत्व है, इस पर विस्तार से अपनी बात रखी। देश की युवा नीति बनाने को लेकर उन्होंने सैकड़ों यूनिवर्सिटी में राजीव के सहयोग से संवाद किया। वाहिनी के नजरिए व राजीव के नजरिए से देश बेहतर दिशा में जाएगा। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जब मुझे मंत्री पद से इस्तीफ़ा देना था तो मैंने राजीव से सलाह ली और देश की धरोहर के सवाल पर इस्तीफ़ा दिया। जो इस्तीफ़ा पत्र था उसे राजीव ने ड्राफ्ट किया था।

स्मृति सभा में मीनाक्षी, परमिता, अक्षय, संतोष परिवर्तक, आलोक, उषा, संदीप, सत्यव्रत, रामतरण, रमन, फिरोज, आगरा के अशोक, मिर्ज़ापुर के अरुण व वाराणसी के अरुण ने राजीव की याद में अपने विचार रखे।

इस सभा में अबुल कैश, राजीव, अन्नू, दीपक, अनुपमा, पूजा, लक्ष्मी, अशोक, आशीष, शाश्वत, प्राची, सलोनी, कपिल, नईम, सलोनी, सुशील, जौहर, तारा, मणिमाला, विजय चावला, अरविंद मूर्ति समेत दर्जनों लोगों ने हिस्सा लिया।

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