पीलीभीत एनकाउंटर पर उठ रहे सवाल, परिजनों समेत माले ने भी कर डाली न्यायिक जांच की मांग
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के पूरनपुर में उत्तर प्रदेश पुलिस व पंजाब पुलिस के साझा ऑपरेशन में सोमवार 23 दिसंबर को तीन कथित आतंकी मारे गये। मंगलवार 24 दिसंबर को पोस्टमार्टम कर दिया गया।
भाकपा (माले) ने पीलीभीत एनकाउंटर की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की है। पार्टी ने कहा है कि पुलिस के दावे और मृतकों के परिजनों के कथन में काफी विरोधाभास होने से 23 दिसंबर को हुई पीलीभीत मुठभेड़ संदेहास्पद हो गई है, लिहाजा जांच बहुत जरूरी है।
राज्य सचिव सुधाकर यादव ने बयान जारी कर कहा है कि मृतकों में दो युवा मजदूर परिवार के हैं और उनकी उम्र 18 व 25 वर्ष है। दोनों के परिजनों ने उनके आतंकी होने से इनकार किया है। 18 साल का जशनप्रीत सिंह ट्रक मजदूर था और उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं था। 25 साल का गुरविंदर सिंह भी गरीब परिवार से था। उस पर एक मुकदमा था और परिजनों के मुताबिक उसे मुकदमे में फंसाया गया था।
मुठभेड़ से पहले दोनों के अचानक पीलीभीत में होने पर भी परिजनों को हैरत है। खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स से जुड़ा आतंकी होने के पुलिस के आरोप से वे असहमत हैं। इन परिस्थितियों में पीलीभीत मुठभेड़ के फर्जी होने को लेकर आशंकाएं प्रबल हैं। मुठभेड़ की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच होने से ही सच्चाई सामने आएगी।
कथित आतंकी गुरविंदर सिंह की मां सरबजीत कौर का कहना है कि सोमवार देर सायं पुलिस कर्मचारी उनके घर पहुंचे और उसके एनकाउंटर में मारे जाने की सूचना दी गयी। गुरविंदर की मां सरबजीत का कहना है कि उनके बेटे को झूठे पुलिस केस में मारा गया है। यदि गुरविंदर इस मामले में शामिल था तो पुलिस उनसे किसी तरह की पूछताछ तो करती, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।