झारखंड पुलिस पर बिना शिकायत और वारंट के आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता बालदेव मुर्मू को हथियार के बल पर गिरफ्तार करने का आरोप
झारखण्ड पुलिस ने बलदेव मुर्मू को रिहा किया
Tribal social activist Baldev Murmu Arrest : झारखंड के बिष्णुगढ़ थाने की पुलिस कल 29 जनवरी को आदिवासी सामाजिक कार्यकर्त्ता बलदेव मुर्मू को बिना किसी जुर्म के गिरफ्तार करके ले गयी। आरोप है कि हथियार दिखाकर और धमकाकर बालदेव मुर्मू को पुलिस उनके गांव उनके गांव नरकी-खुर्द (टोला रोहनिया) से उठाकर ले गयी।
बालदेव मुर्मू को हिरासत में लिये जाने पर पत्रकार रूपेश कुमार सिंह कहते हैं, 'झारखंड के आदिवासी मूलवासी विकास मंच के साथी बालदेव मुर्मू को पुलिस ने बिना कोई कारण बताये अपनी हिरासत में ले लिया है। ये कल 29 जनवरी से लेकर अभी तक हजारीबाग जिला के बिष्णुगढ़ थाने की हाजत में बंद हैं। इनका कसूर क्या है, यह ना तो इनको पता है, ना ही इनके परिजनों को और ना ही थाने के दारोगा को। दारोगा का कहना है कि बड़े साहब के आदेश पर इन्हें हिरासत में लिया गया है।'
रूपेश आगे कहते हैं, बालदेव मुर्मू हमेशा आदिवासी अधिकारों के लिए आवाज उठाते रहे हैं। तो क्या आदिवासी अधिकारों के लिए झारखंड में आवाज उठाना कानूनन जुर्म है? मैं अविलंब आदिवासी कार्यकर्ता बालदेव मुर्मू की रिहाई की मांग करता हूँ।'
आदिवासी मूलवासी विकास मंच और झारखण्ड जन संघर्ष मोर्चा की तरफ से युवा आदिवासी सामाजिक कार्यकर्त्ता बलदेव मुर्मू को रिहा कराने की अपील की गयी है कि झारखण्ड में फर्जी गिरफ़्तारी और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का दमन किया जा रहा है, जिसे बंद किया जाना चाहिए।
आदिवासी मूलवासी विकास मंच और झारखण्ड जन संघर्ष मोर्चा द्वारा जारी की गयी है। अपील में कहा गया है, 'खुद ही कानून की धज्जियाँ उड़ाते हुए झारखण्ड पुलिस (बिष्णुगढ, हजारीबाग) ने बिना किसी केस - कंप्लेंट के, बिना किसी अरेस्ट वारंट के और बिना क़ानूनी प्रक्रिया फॉलो किये, युवा आदिवासी सामाजिक कार्यकर्त्ता बलदेव मुर्मू को उनके गांव नरकी-खुर्द (टोला रोहनिया) से उठा लिया। कल 29 जनवरी की सुबह 11 बजे के करीब पुलिस की गाड़ी गांव में आयी और लोगों से पूछ कर की बलदेव कौन है, उनको सड़क से ही उठा के पुलिस वैन में डालने लगी।
जानकारी के मुताबिक बालदेव मुर्मू ने जब गिरफ्तारी का विरोध किया तो उन्हें हथियार दिखा कर और धमका कर गाड़ी में डाल दिया गया। बलदेव को सिर्फ एक मौका दिया गया कि वह किसी तरह गांव के मुखिया को फ़ोन करके खबर दे सकें कि उनको पुलिस उठा ली है. इसके बाद बालदेव के घर में अवैध तरीके से सर्च करके पुलिस उनके संगठन (आदिवासी मूलवासी विकास मंच) के मीटिंग रजिस्टर, बैनर, झंडे इत्यादि सिज़ कर ली।
पुलिस ने बलदेव का मोबाइल, आधार कार्ड, पैन कार्ड भी जब्त कर लिया। विष्णुगढ़ थाना बालदेव के गांव से 25 किलोमीटर दूर है। बड़ी मुश्किल से गांव के लोग 1-1:30 बजे दोपहर के करीब थाने पहुंचे थे।
जानकारी के मुताबिक थाने के छोटा बाबू ने गांववालों को बलदेव से मिलने तो दिया लेकिन किसी कंप्लेंट, केस, वारंट के बारे में जानकारी दी. घुमा—फिराकर यह बोला गया कि किसी बड़े अफसर के आदेश पर बालदेव को हिरासत में लिया गया है और वह रात में आएंगे, पूछताछ करेंगे। पुलिस ने गांव वालों से कहाकि कल सुबह आइये, आज बलदेव को रात हिरासत में ही काटनी है।
आदिवासी मूलवासी विकास मंच और झारखण्ड जन संघर्ष मोर्चा ने सवाल किया है, हम झारखण्ड सरकार और प्रशासन से पूछते हैं कि कौन से कानून में यह है किसी 20-22 साल के विद्यार्थी को बिना किसी केस, कंप्लेंट और वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है? बिना परिजनों को कोई कागज दिखाए रातभर हिरासत में रखा जा सकता है? सभी जन संगठनों से आह्वान किया गया है कि मानवाधिकारों के इस खुले उल्लंघन के खिलाफ झारखण्ड पुलिस और झारखण्ड सरकार के सामने आवाज़ उठाएं।