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आंदोलन

समान नागरिक संहिता कानून महिलाओं, अल्पसंख्यकों और आम आदमी के हितों के खिलाफ, अब महिलाओं पर पितृसत्ता के साथ राज्य की भी निगरानी

Janjwar Desk
10 Nov 2024 6:39 PM IST
Uniform Civil Code लागू करेंगे धामी, लेकिन क्या राज्य बना सकता है ऐसा कोई कानून, जानिए क्या है नियम
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Uniform Civil Code लागू करेंगे धामी, लेकिन क्या राज्य बना सकता है ऐसा कोई कानून, जानिए क्या है नियम

भाजपा द्वारा सेकुलर कानून के रूप में लाया जा रहा समान नागरिक संहिता कानून पूर्णतया भेदभावपूर्ण एवं सांप्रदायिक है तथा देश के संवैधानिक मूल्यों एवं व्यक्ति की निजता का उल्लंघन है....

रामनगर। उत्तराखंड राज्य में भाजपा सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता के रूप में लागू किये जा रहे नये कानून को लेकर उत्तराखंड के सामाजिक, राजनीतिक संगठनों ने बैठक कर आगामी 16 नवंबर को रामनगर में उत्तराखंड स्तरीय जन सम्मेलन आयोजित करने की घोषणा की है।

जन सम्मेलन में इस कानून पर जानकारी साझा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर को विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया है। बैठक में वक्ताओं ने कहा कि समान नागरिक संहिता के नाम पर लाया जा रहा यह कानून न समान है और न ही महिलाओं के हित में है। नए प्रावधानों से निजता, उत्तराधिकार को लेकर महिलाओं के हक़ और नागरिकों की आज़ादी का हनन होगा।

इस कानून के दायरे से उत्तराखंड की जनजातियों को बाहर रखा गया है। पिछले एक वर्ष से उत्तराखंड में रहने वाले व उत्तराखंड सरकार की राज्य से बाहर नौकरी कर रहे लोगों इत्यादि भी इस कानून के दायरे में आएंगे। इस कानून के लागू होने के बाद विवाह, तलाक व लिव इन रिलेशन का पंजीकरण अनिवार्य होगा। पंजीकरण नहीं कराए जाने पर 10 से 25 हजार रुपए का जुर्माना व तीन से छह माह की सजा का प्रावधान रखा गया है।

इतना ही नहीं उपनिबंधक कार्यालय में जमा विवाह व तलाक के दस्तावेज किसी भी व्यक्ति को निगरानी के लिए उपलब्ध रहेंगे। भाजपा द्वारा सेकुलर कानून के रूप में लाया जा रहा यह कानून पूर्णतया भेदभावपूर्ण एवं सांप्रदायिक है तथा देश के संवैधानिक मूल्यों एवं व्यक्ति की निजता का उल्लंघन है।

यह कानून पूर्णतया महिलाओं, अल्पसंख्यकों एवं आम आदमी के हितों के खिलाफ तैयार किया गया है। इसके माध्यम से महिलाओं पर पितृसत्ता के साथ राज्य की निगरानी भी थोप दी गई है।

वक्ताओं ने कहा कि नागरिक संहिता कानून महिलाओं के लिए समान अधिकार, स्वतंत्रता और गैर भेदभाव पर आधारित होना चाहिए, चाहे उनका धर्म समुदाय कोई भी हो। इस संहिता को लागू करने के बजाय अलग-अलग व्यक्तिगत कानूनों में सुधार करना चाहिए, ताकि हर समुदाय में महिलाओं के अधिकार सुरक्षित रहे।

बैठक में उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत, उमा भट्ट, बसंती पाठक, चंद्रकला, समाजवादी लोक मंच के मुनीष कुमार, महिला किसान अधिकार मंच की हीरा जंगपांगी, वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के तरुण जोशी, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, विनोद बडोनी,उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के नरेश नौटियाल के साथ सद्भावना समिति उत्तराखंड और उत्तराखंड लोक वाहिनी के प्रतिनिधि शामिल हुए।

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