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AFSPA : पूरे पूर्वोत्तर से केंद्र सरकार हटाना चाहती है आफस्पा, 8 वर्षों में 75 % कम हुआ आतंकवाद - PM मोदी

Janjwar Desk
29 April 2022 8:54 AM GMT
AFSPA : पूरे पूर्वोत्तर से केंद्र सरकार हटाना चाहती है आफस्पा,  8 वर्षों में 75 % कम हुआ आतंकवाद - PM मोदी
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AFSPA : पूरे पूर्वोत्तर से केंद्र सरकार हटाना चाहती है आफस्पा, 8 वर्षों में 75 % कम हुआ आतंकवाद - PM मोदी

AFSPA : प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में स्थिति पर उचित नियंत्रण के कारण आफस्पा को राज्य के ज्यादातर हिस्सों से हटा दिया गया है। हम बाकी के हिस्सों से भी इसे पूरी तरह हटाने की कोशिश कर रहे हैं....

AFSPA : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने गुरुवार को असम में एक रैली को संबोधित करते हुए बड़ा ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के इलाकों से आफस्पा (AFSPA) को पूरी तरह से हटाया जाएगा। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि क्षेत्र में हिंसा में 75 फीसदी की कमी आई है। इसके साथ ही कानून-व्यवस्था की स्थिति भी सुधरी है जिसके फलस्वरूप कानूनों को लागू करने में बदलाव आया है। आफस्पा पहले त्रिपुरा और फिर मेघालय से हटाया गया।

मोदी ने आगे कहा कि असम में पिछली सरकारों ने गत तीन दशकों में इसे बार-बार बढ़ाया क्योंकि कानून एवं व्यवस्था की स्थिति में कोई सुधार नहीं आया था। उन्होंने कहा कि पिछले आठ वर्षों में स्थिति पर उचित नियंत्रण के कारण आफस्पा को राज्य के ज्यादातर हिस्सों से हटा दिया गया है। हम बाकी के हिस्सों से भी इसे हटाने की कोशिश कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में स्थिति पर उचित नियंत्रण के कारण आफस्पा को राज्य के ज्यादातर हिस्सों से हटा दिया गया है। हम बाकी के हिस्सों से भी इसे पूरी तरह हटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह कानून नगालैंड और मणिपुर के कुछ इलाकों में लागू है। हम इसे पूरी तरह हटाने पर तेजी से काम कर रहे हैं। बता दें कि केंद्रीय गृहमंत्रालय ने नगालैंड, असम और मणिपुर में आफस्पा के तहत आने वाले प्रभावित इलाकों को दशकों बाद 1 अप्रैल से कम करने की घोषणा की थी।

असम के मुख दीफू शहर में शांति, एकता और विकास रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने असम के कार्बी आंगलोंग और त्रिपुरा में शांति समझौते किए हैं जबकि पूरे क्षेत्र में स्थायी शांति लाने एवं तेज गति से विकास करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कार्बी आंगलोंग के कई संगठन शांति एवं विकास के रास्ते पर चलने के लिए मुख्यधारा में लौट आए हैं। 2020 में बोडो समझौते ने क्षेत्र और त्रिपुरा में शांति का मार्ग प्रशस्त किया। एनएफएलटी भी शांति के लिए आगे आया है जबकि ढाई दशक पुराना ब्रु-रियांग मुद्दा हल कर लिया गया है।

उन्होंने आगे कहा कि इसके अलावा क्षेत्र में सौहार्दपूर्ण तरीके से राज्यों के बीच सीमा विवादों को हल करने के प्रयास किए गए हैं। मोदी ने कहा कि मेघालय असम के बीच हाल में हुए सीमा समझौता अन्य मुद्दों को हल करने के लिए प्रेरित करेगा।

मोदी ने आगे पूर्वोत्तर क्षेत्रों के विकास के लिए डबल इंजन सरकार की सराहना की और कहा कि असम में स्थायी शांति और तेज गति से विकास की वापसी भाजपा की डबल इंजन सरकार का ही प्रभाव है। आज डबल इंजन वाली सरकार सबका साथ, सबका विकास के मंत्र से क्षेत्र का विकास कर रही है। मोदी ने आगे कहा कि आज जब कोई पूर्वोत्तर का दौरा करता है और क्षेत्र में तेजी से हो रहे विकास को देखता है तो उन्हें भी गर्व महसूस होता है। हमने क्षेत्र की समस्याओं को समझा है। केंद्र और राज्य सरकारों के सामूहिक प्रयास से पूर्वोत्तरी राज्यों में तेज गति से विकास हुआ है।

AFSPA कानून क्या है? अभी यह देश में कहां-कहां लागू है?

साल 1958 में भारतीय संसद ने आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) को पारित किया था। इस कानून को ऐसे क्षेत्रों में लागू किया जाता है, जिन्हें अशांत या तनावपूर्ण माना जाता है। इस कानून में सुरक्षाबलों को कुछ विशेषाधिकार दिए जाते हैं। इस कानून का इस्तेमाल कर सुरक्षाबल बिना वारंट के भी गिरफ्तारी कर सकती है। सुरक्षाबलों को बिना किसी पूर्व नोटिस के इलाके में अभियान छापेमारी अभियान चलाने चलाने का भी अधिकार होता है। किसी अभियान के दौरान कोई चूक होने पर भी इस कानून में सुरक्षाबलों को मिले विशेषाधिकार के तहत उनके ऊपर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाती है।

आपको बता दें कि AFSPA कानून की समयावधि नागालैंड में बीते साल दिसंबर 31 को समाप्त होने वाली थी। बीते साल 30 जून में सरकार ने इसे छह महीने के लिए बढ़ा दिया था। गौरतलब है कि AFSPA कानून किसी क्षेत्र में छह महीने की अवधि के लिए लगाया जाता है। इसके बाद अगर सरकार को लगता है कि इसकी समयावधि बढ़ायी जानी चाहिए तो सरकार उसे और बढ़ा सकती है।

ज्ञात हो कि बीते साल 26 दिसंबर को भारत सरकार ने एक सचिव स्तरीय हाई लेवर कमिटी बनाकर उसे नार्थ ईस्ट में इस कानून में​ शिथिलता देने की संभावनाओं पर समीक्षा करने को कहा था। कमिटी को इस कार्य के लिए तीन महीने का समय दिया गया था। कमिटी की अगुवाई देश के रजिस्ट्रार जनरल विवेक जोशी कर रहे थे। इस कमिटी में गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव पीयूष गोयल, नागालैंड के मुख्य सचिव और डीजीपी और असम राइफल्स के डीजीपी सदस्य के रूप में शामिल थे।

इससे पहले भी साल 2004 में इस कानून में संशोशन के लिए मनमोहन सिंह सरकार ने जीवन रेड्डी की अगुवाई में एक कमिटी बनायी थी। इस कमिटी ने भी इस कानून में कई संशोधन के सुझाव सरकार को दिए थे। इसके बाद इस मामले को देखने के लिए एक सब कमिटी भी बनायी गयी थी। हालांकि 2014 में सत्ता में आयी मोदी सरकार ने जीवन रेड्डी कमिटी की सिफरिशों को लागू नहीं किया था। इसके बाद बनी सब कमिटी को भी भंग कर दिया गया था।

इससे पहले भारत सरकार ने मार्च 2018 में मेघालय और अरुणाचल प्रदेश से भी इस कानून को हटाने का फैसला लिया था। उसके इस कानून को सिर्फ अरुणाचल के चार जिलों तक सिमित कर दिया गया था। फिलहाल अरुणाचल प्रदेश में यह कानून अभी सिर्फ ​तीन जिलों में ही लागू है। वर्तमान में यह कानून पूर्वोत्तर में असम, नगालैंड, मणिपुर (इंफाल नगर परिषद क्षेत्र को छोड़कर), अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग, लोंगडिंग, तिरप जिलों और असम सीमा पर मौजूद आठ पुलिस थाना क्षेत्रों में लागू है।

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