Amravati Murder Case: सांसद नवनीत राणा और कमिश्नर आरती सिंह क्यों हुए आमने-सामने? ये है पूरा मामला
Amravati Murder Case: सांसद नवनीत राणा और कमिश्नर आरती सिंह क्यों हुए आमने-सामने? ये है पूरा मामला
Amravati Murder Case: महाराष्ट्र के अमरावती जिले में दवा व्यापारी उमेश कोल्हे हत्याकांड की जांच को लेकर अमरावती सांसद नवनीत राणा और अमरावती पुलिस कमिश्नर आरती सिंह में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है। सांसद के गुस्से की वजह यह है कि उनका मानना है कि यदि इस हत्याकांड की जांच और मौत के कारणों का खुलासा समय रहते कर दिया जाता उदयपुर में हुई दर्जी की हत्या जैसे कांड से बचा जा सकता था। हालांकि रिपोर्ट पब्लिश किए जाने के समय तक पुलिस ने इस मामले में जो खुलासा किया है, वह वही है जैसा सांसद बता रही थीं।
मालूम हो कि 21 जून की शाम को अमरावती के दवा व्यापारी उमेश कोल्हे की चाकू मारकर उस समय हत्या कर दी गई थी जब वह अपनी दुकान बंद करके अपने घर जा रहे थे। जिस समय यह हत्याकांड हुआ था उस समय महाराष्ट्र की उद्धव सरकार अपने अस्तित्व के संकट का सामना कर रही थी। कोल्हे हत्याकांड की जांच के दौरान पुलिस की ओर से (जैसा की पुलिस का दावा है) कोई विधिवत इनपुट जारी नहीं किया था। लेकिन स्थानीय मीडिया में इस हत्याकांड की वजह लूट और छीनेती जैसी बताई जाने लगी थी। इस हत्याकांड की जांच चल ही रही थी कि उदयपुर में एक दर्जी की निर्मम हत्या और हत्याकांड का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर जारी किए जाने की लोमहर्षक घटना हो गई। हत्यारों ने खुद ही खुलेआम इस हत्या को पैगंबर मुहम्मद पर टिप्पणी करने वाली नुपुर शर्मा का समर्थन करने के कारण की गई हत्या बताया था।
जिसके बाद अमरावती में करीब एक सप्ताह पूर्व हुई इस हत्या के पीछे भी इस संभावना का अंदेशा होने की शंकाएं व्यक्त की जाने लगी। इस बात का भी खासा जिक्र होने लगा कि मृतक उमेश ने एक वाट्सएप ग्रुप में नुपुर शर्मा का समर्थन किया था। जिस वजह से उन्हें धमकी मिली थी। हालांकि मृतक के भाई के अनुसार उन्हें अपने भाई को धमकी दिए जाने की कोई जानकारी नहीं है। बाद में एक अनाम व्यक्ति ने भी दावा किया कि नुपुर शर्मा के समर्थन में वाट्सअप पर पोस्ट करने के चार मिनट के अंदर ही उन्हें भी जान से मारने की धमकी के फोन आए। जिस पर उन्होंने माफी मांगकर मामले को रफा-दफा किया। सुरक्षा के लिहाज से न्यूज चैनल ने इस व्यक्ति की पहचान को गोपनीय रखा है।
उदयपुर की घटना के बाद स्थानीय सांसद नवनीत राणा ने अमरावती की महिला पुलिस कमिश्नर आरती सिंह के खिलाफ इस बात को लेकर पूरा मोर्चा खोल दिया। उनका दावा कि मृतक के परिजनों व अन्य लोगों से मिली जानकारी के अनुसार उमेश की हत्या भी नुपुर शर्मा का समर्थन करने के कारण हुई है।
राणा का आरोप है कि पहले दिन से पुलिस उमेश हत्याकांड के पीछे चोरी और लूट जैसी संभावनाएं तलाशती रही। यदि उसने पहले ही दिन से इस मामले की जांच नुपुर शर्मा एंगल से करके मामले का खुलासा कर दिया होता तो उदयपुर में हुई दर्जी की हत्या जैसी घटना से बचा जा सकता था।
हालांकि उमेश हत्याकांड में शामिल लोगों की गिरफ्तारी के बाद इस हत्याकांड का खुलासा करने पर पुलिस ने भी हत्या की वजह नुपुर शर्मा का समर्थन करने को बताया है। पुलिस कमिश्नर सहित तमाम पुलिस अधिकारियों के बयान भी हत्या के पीछे यही वजह बता रहे हैं। इतना ही नहीं पुलिस का दावा है कि उनके द्वारा दी गई किसी भी प्रेस रिलीज या बयान में इस हत्या के पीछे चोरी या लूट का जिक्र नहीं किया गया है। न ही एफआईआर में इन अपराधों की धाराएं लगाई गई हैं। सांसद बिना एफआईआर पढ़े ही ऐसे आरोप लगा रही हैं।
ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जब अंतिम खुलासे के तौर पर खुद इसे नुपुर शर्मा का समर्थन किए जाने पर की गई हत्या बता रही है तो सांसद महज शुरुआती जांच को ही आधार बनाकर आखिर पुलिस कमिश्नर आरती सिंह से इतनी खफा क्यों हैं? क्या सांसद नवनीत राणा और कमिश्नर आरती सिंह के बीच स्थानीय राजनीति को लेकर कुछ मतभेद हैं, जिनके लिए उन्हें इस कांड की आड़ में निशाना बनाया जा रहा है या कोई और वजह?
इस मामले में सांसद नवनीत राणा का यह बयान जिसमें वह कह रही हैं कि "यदि इस हत्याकांड का खुलासा नुपुर शर्मा का समर्थन करने पर हुई हत्या के तौर पर पहले ही कर दिया जाता तो उदयपुर की घटना से बचा जा सकता था", बेतुका ही नजर आता है। बड़ा सवाल है कि अगर पुलिस द्वारा यह खुलासा सांसद के समयानुसार हो भी जाता तो इसके बाद किसी अन्य राज्य में इसी वजह से होने वाले अपराध से कैसे बचा जा सकता था?