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Rakesh Tikait: अंग्रेजों का जो काम अधूरा रह गया था उस काम को उनके मुखबिर पूरा करने में लगे हुए हैं- राकेश टिकैत

Janjwar Desk
26 Dec 2021 9:28 AM GMT
Rakesh Tikait: अंग्रेजों का जो काम अधूरा रह गया था उस काम को उनके मुखबिर पूरा करने में लगे हुए हैं- राकेश टिकैत
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टिकैत ने नाम लिए बगैर अडानी के कंधे पर बंदूक रखकर भाजपा पर निशाना साधा है। बैंकों का कर्ज न उतार पाने और नई बैेंकें खरीदने की हैसियत को लेकर टिकैत ने एक तीर से दो निशाने लगाए हैं...

Rakesh Tikait: भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने एक ट्वीट कर नाम लिए बगैर अडानी के कंधे पर बंदूक रखकर भाजपा (BJP) पर निशाना साधा है। बैंकों का कर्ज न उतार पाने और नई बैेंकें खरीदने की हैसियत को लेकर टिकैत ने एक तीर से दो निशाने लगाए हैं।

अपने ट्वीट में राकेश टिकैत ने कहा कि, 'अडानी बैंकों का लोन लोटाने के लायक नहीं है। पर बैंकों को खरीदने की क्षमता रखता है। किसानों का जमीर जिन्दा था सो बच गए वोटरों का जमीर नहीं जागा तो मारे जाएंगे। जो काम अंग्रेजों का अधूरा रह गया था उस काम को उनके मुखबिर पूरा करने में लगे हुए हैं।'

क्या कहती है रिपोर्ट?

गौरतलब है कि, फाइनेंशियल टाइम्स एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया था कि गौतम अडानी का बढ़ता व्यापारिक साम्राज्य आलोचनाओं का केंद्र बन गया है। कुछ लोग मानते हैं कि पूंजी भारत के मध्य वर्ग की कीमत पर कुछ ही कॉपोर्रेट घरानों में केंद्रित होती जा रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ लोग ये दलील देते हैं कि आथिर्क शक्ति कुछ परिवार संचालित कॉरपोरेट घरानों में होने से भारत के आर्थिक विकास को तेज गति मिल सकती है। जैसा कि दक्षिण कोरिया में हुआ। लेकिन आलोचकों का कहना है कि राज्य की संपत्ति कुछ ही हाथों में सिमित होने से एकाधिकार बढ़ रहा है और प्रतिस्पर्धा घट रही है।

कर्ज के बावजूद व्यापारिक विस्तार

डेटालिक के आंकड़ों के अनुसार, 11 नवंबर तक अडानी ग्रुप का कुल बकाया ऋण 30 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है, जिसमें 7.8 बिलियन डॉलर का बांड और 22.3 बिलियन डॉलर का ऋण शामिल है। इतना कर्ज कोई नई बात नहीं है, लेकिन अडानी समूह के तेजी से विस्तार ने इस पर चिंता बढ़ा दी है। क्रेडिट सुइस ने 2015 के हाउस ऑफ डेट रिपोर्ट में चेतावनी दी थी कि अडानी समूह बैंकिंग क्षेत्र के 12 प्रतिशत कर्ज लेने वाली 10 कंपनियों में सबसे ज्यादा 'गंभीर तनाव' में है। फिर भी अडानी समूह विदेशी बैंकों या संस्थानों से उधार लेकर हरित ऊर्जा (Green Energy) के लिए धन जुटा रहा है।

इस तरह मिल जाता है कर्ज?

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी को भारत और विदेश दोनों जगह पूंजी मिल जाती है और वह निवेशकों को बता सकता है कि उन्होंने कर्ज चुकाने में कभी देरी नहीं की और ना ही डिफॉल्ट किया। अडानी समूह की कंपनियों ने 2 अरब डॉलर से अधिक की बॉन्ड बिक्री के साथ अंतरराष्ट्रीय ऋण बाजार का दोहन किया और अडानी गैस ने 600 मिलियन डॉलर की कुल बिकवाली के लिए 37.4 प्रतिशत हिस्सेदारी बेची, जिससे उसे महामारी के झटके का सामना करने के लिए पर्याप्त नकदी मिली। अंतर्राष्ट्रीय बिजनेस समूह अडानी के साथ साझेदारी करने के लिए कतार में हैं। इसी महीने की शुरूआत में, अडानी ने इतालवी गैस और बुनियादी ढांचा समूह सनम के साथ हाइड्रोजन और बायोगैस में रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की थी।

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