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Bihar Liquor Deaths: बिहार में जहरीली शराब से 37 की मौत, मगर CM नीतीश कुमार की छवि को धवल बनाए रखने में क्यों जुटा मीडिया

Janjwar Desk
21 March 2022 10:18 AM GMT
Bihar Liquor Deaths: बिहार में जहरीली शराब से 37 की मौत, मगर CM नीतीश कुमार की छवि को धवल बनाए रखने में क्यों जुटा मीडिया
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बिहार में शराबबंदी के बाद भी जहरीली शराब से मौतों का सिलसिला नहीं थम रहा (file photo)

Bihar Liquor Deaths: पुलिस मुख्यालय में एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि को पाक साफ बनाए रखने के लिए बयान दिया है कि लोगों के संदेहास्पद स्थिति में मरने की सूचना मिली है...

बिहार में 3 दर्जन से ज्यादा लोगों की शराब से मौतों की बात आ रही है सामने, इस पर नवल किशोर कुमार की तल्ख टिप्पणी

Bihar Liquor Deaths: राजा जब बेवकूफ और तुनकमिजाजी होता है तो उसकी सजा जनता को भुगतनी ही पड़ती है। ठीक यही हो रहा है बिहार में। होली के मौके पर वहां जहरीली शराब पीने के कारण 37 लोगों के मारे जाने की खबर मिली है, जबकि दो दर्जन से अधिक लोग अभी इलाजरत हैं और चिकित्सकों के मुताबिक अधिकांश ने अपने आंखों की रोशनी खो दी है।

सनद रहे कि ये खबरें राज्य के केवत तीन जिलों की हैं। ये तीन जिले हैं– भागलपुर, बांका और मधेपुरा। मिल रही जानकारी के अनुसार भागलपुर में 22, बांका में 12 और मधेपुरा में 3 लोगों की मौत हुई है। स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार ने अभी तक इन हत्याओं की जिम्मेदारी नहीं ली है। सरकार के स्तर पर अभी तक यह भी नहीं कबूला गया है कि उपरोक्त मौतें जहरीली शराब की वजह से हुई हैं।

पुलिस मुख्यालय में एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार (जाति के कुर्मी) ने अपनी ही जाति के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि को पाक साफ बनाए रखने के लिए बयान दिया है कि लोगों के संदेहास्पद स्थिति में मरने की सूचना मिली है। इसके संबंध में सभी संबंधित जिलों के पुलिस अधीक्षक से विस्तार से रपट मांगी गयी है।


बेवकूफ और हत्यारे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि को धवल बनाए रखने में वहां से प्रकाशित अखबार भी आगे हैं। मैं प्रभात खबर का ई-पेपर देख रहा हूं। इसके पटना संस्करण के पहले पन्ने पर पहली खबर हालांकि उपरोक्त घटनाओं से संबंधित है। लेकिन अखबार की बेईमानी देखिए कि उसने हेडिंग रखा है– "भागलपुर, बांका और मधेपुरा में संदेहास्पद स्थिति में 37 की मौत"।

जबकि दिल्ली से प्रकाशित "आरएसएस सत्ता" (कथित तौर पर जनसत्ता) ने पहले पन्ने पर एक छोटी सी खबर का प्रकाशन किया है। जबकि विस्तार से पृष्ठ संख्या 8 पर जानकारी दी गयी है। इस अखबार ने शीर्षक रखा है– "बिहार : होली पर जहरीली शराब से अब तक 22 की मौत"।

दरअसल, बिहार में खुलेआम शराब की बिक्री की जा रही है। कल ही एक मित्र से बात हो रही थी, जो बिहार में रहते हैं। होली के संबंध में पूछने पर उन्होंने जानकारी दी कि उन्होंने भी शराब का सेवन किया है। ब्रांड के बारे में पूछा तो उनका कहना था कि बिहार में लगभग सभी ब्रांड की होम डिलीवरी हो जाती है। बस कीमत अधिक देनी पड़ती है। इससे स्मगलराें की चांदी हो रही है।

कल ही एक पुलिस अधिकारी मित्र से जहरीली शराब के बारे में पूछा तो उनका कहना था कि शराब जहरीली बनायी नहीं जाती है, बल्कि वह जहरीली हो जाती है। अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर उन्होंने जो जानकारी दी, वह चौंकाने वाली है। उनका कहना था कि चूंकि विदेशी अंग्रेजी शराब की कीमत बहुत अधिक है, इसलिए गरीब-गुरबे देसी शराब का सेवन करते हैं। अब होता यह है कि डिमांड बहुत ज्यादा होती है और शराबबंदी कानून की वजह से कहिए या फिर हम पुलिस वालों के कारण कि देसी शराब बनानेवालों की संख्या बहुत कम है। अधिकतर बनानेवाले ऊंची रसूखवाले ही होते हैं। जब शराबबंदी नहीं थी तब देसी शराब बनाने का काम दलित जातियों के लोग किया करते थे। लेकिन शराबबंदी लागू होने के बाद देसी शराब बनाने व बनवाने का काम सवर्ण व अन्य ओबीसी जातियाें के लोग भी करने लगे हैं। अब चूंकि शराब की डिमांड बहुत अधिक होती है तो लोग बहुत पहले से शराब बनाकर स्टॉक कर लेते हैं। अधिक दिनों का होने की वजह से शराब जहरीली हो जाती है।

निस्संदेह, यह एक बड़ी घटना है कि एक-दो दिनों के अंदर ही 37 लोगों की जान चली गयी। हालांकि पूरे सूबे से खबरों का आना अभी बाकी है। मेरा अनुमान है कि होली के मौके पर जहरीली शराब से कम से कम डेढ़ सौ से अधिक लोगों की मौतें हुई हैं। मेरे अनुमान की वजह यह कि देसी और विदेशी शराब का कारोबार केवल भागलपुर, बांका और मधेपुरा तक सीमित नहीं है। पिछले छह महीने में बिहार में लगभग 1500 से अधिक लोगों की मौतें हुई हैं।

बहरहाल, बिहार इस समय एक बेवकूफ मुख्यमंत्री को झेल रहा है, जिसे इतनी भी समझ नहीं है कि शराबबंदी लोगों को नैतिकवान बनाने का रास्ता नहीं है। शिक्षा, रोजी और स्वास्थ्य जरूरी है। मैं तो दिल्ली की बात कर रहा हूं। यहां हाल ही में सरकार ने लगभग हर मोहल्ले में शराब की दुकान का इंतजाम कर दिया है। बड़ी संख्या में लोगों ने शराब का सेवन भी किया। यही हाल देश के अन्य राज्यों में भी हुआ, लेकिन कहीं से लोगों के मारे जाने की सूचना नहीं मिली है। सिवाय बिहार के, जहां कथित तौर शराबबंदी लागू है।

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