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बिहार के खगड़िया में सरकारी हॉस्पिटल का डॉक्टर और प्रधान लिपिक रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार

Janjwar Desk
7 April 2021 3:41 PM GMT
बिहार के खगड़िया में सरकारी हॉस्पिटल का डॉक्टर और प्रधान लिपिक रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार
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गोगरी रेफरल अस्पताल में पदस्थापित नर्स रूबी कुमारी ने निगरानी में शिकायत दर्ज कराई थी कि रुके वेतन के भुगतान के लिए प्रभारी चिकित्सक दो लाख और प्रधान लिपिक 50 हजार रुपये बतौर रिश्वत की मांग कर रहे हैं, बाद में डेढ़ लाख रुपये और 30 हजार में बात तय हो गई....

खगड़िया, बिहार। बिहार निगरानी अन्वेषण ब्यूरो (विजिलेंस) की एक टीम बुधवार 7 अप्रैल को खगड़िया जिले के गोगरी रेफरल अस्पताल के चिकित्सक एस. सुमन और सिविल सर्जन कार्यालय प्रधान लिपिक राजेंद्र सिन्हा को रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया।

निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के एक अधिकारी ने बताया कि गोगरी रेफरल अस्पताल में पदस्थापित नर्स रूबी कुमारी ने निगरानी में शिकायत दर्ज कराई थी कि रुके वेतन के भुगतान के लिए प्रभारी चिकित्सक दो लाख और प्रधान लिपिक 50 हजार रुपये बतौर रिश्वत की मांग कर रहे हैं। बाद में डेढ़ लाख रुपये और 30 हजार में बात तय हो गई।

इसके बाद ब्यूरो ने मामले की सत्यता जांच करने के बाद दो अलग-अलग टीम का गठन किया। बुधवार 7 अप्रैल को तय समय पर जैसे ही शिकायतकर्ता ने दोनों को उनके आवास पर पैसे दे रही थीं, वैसे ही ब्यूरो की टीम ने चिकित्सा पदाधिकारी और प्रधान लिपिक को गिरफ्तार कर लिया।

टीम ने प्रभारी चिकित्सक के पास से रिश्वत लेते डेढ़ लाख रुपए प्रधान लिपिक के पास से 30 हजार रुपये बरामद किया है। दोनों को गिरफ्तार कर पटना ले जाया गया है। निगरानी की टीम इनसे पूछताछ कर रही है।

मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक इस कांड की ठीक से पड़ताल हुई तो रिश्वत कांड में सिविल सर्जन समेत कार्यालय के कई बाबू घेरे में आ सकते हैं। प्रधान सहायक राजेंद्र प्रसाद के बारे में चर्चा है कि वे सुबह-शाम सिविल सर्जन के घरेलू खर्च की जिम्मेवारी लेते थे।

चर्चा यह भी है कि सिविल सर्जन बकाया वेतन व मनमाने जगह पोस्टिग कराने को लेकर मोटी रकम में हिस्सेदारी लेते थे। इसको लेकर लगातार चर्चा होती रहती थी, मगर वे अपनी बचाव कर लेते थे। निगरानी टीम की मानें तो जब परिचारिका से अगस्त 20 से फरवरी 21 के बीच बकाया वेतना समेत भुगतान को लेकर मोटी रकम मांगी जा रही थी, तो वह अपने पति संजीत को इसकी जानकारी दी।

संजीत ने निगरानी कार्यालय पटना में 1 अप्रैल को संपर्क किया। निगरानी टीम इसके सत्यापन को लेकर खगड़िया आई। डेढ़ लाख रुपये गोगरी रेफरल अस्पताल के प्रभारी डॉ. एससी सुमन व 50 हजार सिविल सर्जन कार्यालय के प्रधान सहायक द्वारा डिमांड किया गया। समय टालने के लिए संजीत ने मोलभाव करना आरंभ किया। दो दिन पहले ही तय हुआ कि 50 के बदले 30 हजार में काम हो जाएगा। इसकी जानकारी निगरानी टीम को दी गई।

मंगलवार 6 अप्रैल को खगड़िया व गोगरी के लिए अलग-अलग टीम का गठन किया गया। खगड़िया में सफल ऑपरेशन के लिए डीएसपी सर्वेश सिंह को नेतृत्व दिया गया, जबकि गोगरी में सफल ऑपरेशन के लिए डीएसपी विमलेंदु कुमार को जवाबदेही दी गई। दोनों टीम द्वारा एक साथ दोनों जगहों पर छापेमारी की गई और डेढ़ लाख के साथ रेफरल अस्पताल गोगरी के प्रभारी व 30 हजार के साथ प्रधान सहायक को दबोच लिया गया।

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