वर्चुअल रैलियों पर लगे रोक, बैलेट पेपर से हो चुनाव, विपक्ष की चुनाव आयोग से मांग
जनज्वार ब्यूरो,पटना। कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी जोरों पर चल रही है। चुनाव आयोग द्वारा बुलाई गई बैठक में कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने वर्चुअल रैली पर रोक और बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग रखी।
शुक्रवार 26 जून को राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ बैठक हुई। इस बैठक में भी पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप में पीछे नहीं रहीं।
बैठक में भाग ले रहे लगभग सभी राजनईतिक दलों ने चुनाव के दौरान जनता के बीच जाने की छूट देने की मांग की। प्राप्त जानकारी के अनुसार जदयू के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के नेतृत्व में गये प्रतिनिधि मंडल ने आयोग के समक्ष दो मांगों को रखा। पहला जनता के बीच जाने की छूट और दूसरा बड़े नेताओं को चुनावी रैली करने की अनुमति।
यही राय भाजपा के मंगल पांडेय के नेतृत्व में गयी टीम और लोजपा के नेताओं की भी थी।
जबकि विपक्ष यानि राष्ट्रीय जनता दल की ओर से गये आलोक मेहता और वृषिण पटेल का कहना था कि कोविड-19 के नाम पर केंद्र के इशारे पर आयोग राजनीतिक दलों को जनता से दूर रखने की कोशिश कर रहा है जो उचित नहीं है।
उनका कहना था कि इवीएम और वीवीपैट पर हम लोगों को पहले से ही आशंका है। इसके बदले बैलेट पेपर से चुनाव कराया जाना श्रेयस्कर होगा।
कांग्रेस के प्रतिनिधियों ने भी मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के समक्ष यही मांग रखी। बल्कि उनका कहना था कि पूरा देश ही नहीं बिहार भी कोरोना संक्रमण वायरस के कारण भय के साये में है। ऐसे संकट काल में एनडीए की ओर से वर्चुअल रैली कर मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। इस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए। आयोग के साथ बैठक में रोलासपा, वीआइपी, हम, बसपा समेत अन्य राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने भी अपनी बातों को रखा।
अक्तूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी को लेकर राजनीतिक दलों की राय जानने को लेकर बैठक बुलायी गई थी। इसमें उन्हें बताया गया कि मतदाता सूची का पुनरीक्षण, दूसरे प्रदेश से आये लोगों का नाम मतदाता सूची में नाम जोडऩे, कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर मतदान के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का कैसे पालन होगा,इवीएम समेत अन्य जरूरी संसाधनों को लेकर सुझाव दें।