CJI NV Ramana : मीडिया के कंगारू कोर्ट पर भड़के सीजेआई रमना, कहा - तर्कहीन बहस लोकतंत्र की सेहत के लिए ठीक नहीं
CJI NV Ramana : मीडिया के कंगारू कोर्ट पर भड़के सीजेआई रमना, कहा - तर्कहीन बहस लोकतंत्र की सेहत के लिए ठीक नहीं
CJI NV Ramana : झारखंड ( Jharkhand ) में एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) के चीफ जस्टिस एनवी रमना ( CJI NV Ramana ) ने मीडिया के कंगारू कोर्ट ( Kangaroo Court ) पर सख्त नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि मीडिया कंगारू कोर्ट में किसी भी मुद्दे पर बहस चला देता है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जारी तर्कहीन बहस लोकतंत्र की सेहत के लिए ठीक नहीं है।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में नहीं दिखती कोई जिम्मेदारी
सीजेआई एनवी रमना ( CJI NV Ramana ) ने किसी भी मुद्दे पर मीडिया ट्रायल ( Media Trial ) पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया किसी भी मुद्दे पर कंगारू कोर्ट लगा लेता है। ऐसे में अनुभवी जजों को भी फैसला लेने में मुश्किल आती है। प्रिंट मीडिया में अभी भी जवाबदेही है, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की कोई जिम्मेदारी नहीं दिखती है।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ( CJI NV Ramana ) ने कहा कि हर रोज किसी भी केस को लेकर मीडिया ट्रायल शुरू हो जाता है। इसका असर अनुभवी जजों पर भी होता है। कई बार अनुभवी जजों को भी फैसला करना मुश्किल हो जाता है। न्याय देने से जुड़े मुद्दों पर गलत सूचना और एजेंडा चलाने वाली बहस को किसी भी नजरिये से सही नहीं कहा जा सकता। मीडिया अपनी जिम्मेदारियों से आगे बढ़कर आप हमारे लोकतंत्र को दो कदम पीछे ले जा रहे हैं।
न्यायाधीश सच से आंच नहीं मूंद सकते
उन्होंने कहा कि आज के दौर में न्यायपालिका के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक निर्णय के लिए मामलों को प्राथमिकता देना है। न्यायाधीश सामाजिक वास्तविकताओं से आंखें नहीं मूंद सकते हैं। न्यायाधीशों को समाज को बचाने और संघर्षों को टालने के लिए ज्यादा दबाव वाले मामलों को प्राथमिकता देना होगा।
हमारे बारे में न बनाएं गलत धारणा
देश के आम नागरिक अक्सर भारतीय न्यायिक प्रक्रिया में लंबे समय से लंबित मामलों की शिकायत करते हैं। कई मौकों पर खुद मैंने ( CJI NV Ramana ) लंबित मामलों के मुद्दों को उजागर किया है। मैं न्यायाधीशों को उनकी पूरी क्षमता से कार्य करने में सक्षम बनाने के लिए भौतिक और व्यक्तिगत दोनों तरह के बुनियादी ढांचे को सुधारने की आवश्यकता की पुरजोर वकालत करता हूं। लोगों ने मन में एक गलत धारणा है कि न्यायाधीशों का जीवन बहुत आसान है। इस बात को निगलना हमारे लिए काफी मुश्किल है।