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राष्ट्रीय

CJI UU Lalit : संविधान का मसौदा तैयार करने में रहा वकीलों का अहम योगदान, लेकिन अब संसद में घट रही इनकी संख्या

Janjwar Desk
5 Sept 2022 12:02 PM IST
CJI UU Lalit : संविधान का मसौदा तैयार करने में रहा वकीलों का अहम योगदान, लेकिन अब संसद में घट रही इनकी संख्या
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CJI UU Lalit : संविधान का मसौदा तैयार करने में रहा वकीलों का अहम योगदान, लेकिन अब संसद में घट रही इनकी संख्या

CJI UU Lalit : भारत के मुख्य न्यायधीश यूयू ललित ने कहा कि संसद में वकीलों का प्रतिशत घट रहा है, जबकि देश के संविधान से जुड़े अधिकांश संस्थापक कानूनी पेशे से हैं...

CJI UU Lalit : भारत के मुख्य न्यायधीश यूयू ललित ने बीते रविवार को कहा कि संसद में वकीलों का प्रतिशत घट रहा है, जबकि देश के संविधान से जुड़े अधिकांश संस्थापक कानूनी पेशे से हैं। बता दें कि चीफ जस्टिस महाराष्ट्र नेशनल यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित एक सम्मान कार्यक्रम में बोल रहे थे। कार्यक्रम के दौरान चीफ जस्टिस यूयू ललित ने संविधान का मसौदा तैयार करने में भागीदारी निभाने वाले पेशे से वकील नेताओं को याद करते हुए कहा कि सांसदों के दोनों सदनों में वकीलों का प्रतिशत घट रहा है।

वकील सामाजिक समस्याओं से निपटने के लिए सक्षम

सीजेआइ यूयू ललित ने आगे कहा कि 'हमारे देश ने अपने स्वतंत्रता संग्राम से ही कानूनी प्रतिभाओं को देखा और लाभान्वित किया है। एक वकील को आम तौर पर सामाजिक समस्याओं या संवैधानिक मुद्दों के समाधान खोजने के बारे में सोचने के सही तरीके से अवगत कराया गया है। वह समाज के सामने आने वाली स्थितियों से निपटने के लिए दूसरों की तुलना में बेहतर ढंग से सुसज्जित है।'

न्याय ढांचे का निचला हिस्सा होना चाहिए भारी

मुख्य न्यायधीश यूयू ललित ने आगे कहा कि 'यही कारण है कि भारत और इसके समाज के साथ-साथ स्वतंत्रता संग्राम के पुराने सेवक मुख्य रूप से वकील थे। आज दोनों सदनों में वकीलों का प्रतिशत घट रहा है।' साथ ही उन्होंने कहा कि न्यायिक ढांचे का पिरामिड नीचे से भारी होना चाहिए, जबकि देश में इस समय शीर्ष भारी है। साथ ही यूयू ललित ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि देश में सभी प्रतिभाएं शीर्ष पर हैं, लेकिन दुर्भाग्य से मध्य और निचले स्तर पर प्रतिभाशाली युवा और वकील नहीं आ रहे हैं। हमारे पास न्यायिक संरचना का एक निचला-भारी पिरामिड होना चाहिए।

न्यायपालिका नहीं है कोई अपवाद

सीजेआइ यूयू ललित ने कहा कि 'हमारा देश कानून के शासन से शासित देश है। जो कुछ भी सही है वह प्रबल होगा और इस तरह के लोकाचार के लिए यह देश खड़ा है और न्यायपालिका कोई अपवाद नहीं है।' उन्होंने कहा कि जब कोई मामला अदालत में आता है, तो दोषियों पर हथौड़ा पड़ना चाहिए और जिस किसी के साथ अन्याय हुआ है, उसे सुरक्षा की छतरी मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'न्यायपालिका का यही कर्तव्य है और हम इसे ही करने का प्रयास करेंगे।'

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