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राष्ट्रीय

DDA Bulldozer के खिलाफ कस्तूरबा बस्ती के लोगों का मोदी-केजरीवाल को जवाब, हिम्मत है तो करो कार्रवाई, हम मर जाएंगे, घर नहीं छोड़ेंगे

Janjwar Desk
16 Aug 2022 5:29 AM GMT
DDA Bulldozer के खिलाफ कस्तूरबा बस्ती के लोगों का मोदी-केजरीवाल को जवाब, हिम्मत है तो करो कार्रवाई, हम मर जाएंगे, घर नहीं छोड़ेंगे
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डीडीए के बुलडोजर फरमान के बाद कस्तूरबा बस्ती के लोगों में जबरदस्त आक्रोश है। लोगों को कहना है कि हम 70 साल यहां रहते आये हैं, घर नहीं टूटने देंगे। इसके बदले हम जान देने के लिए तैयार हैं।

नई दिल्ली। दिल्ली ( Delhi ) के शाहदरा स्थित कस्तूरबा बस्ती ( Kasturba Basti) में करीब 200 लोग 70 साल से रहते आये हैं। ये लोग पाकिस्तान से आकर यहां बसे थे। यहां पर ये लोग तीन पीढ़ियों से लोग रहते आये हैं। बस्ती में रहने वाले गरीब आय वर्ग के लोग हैं। देश के विभाजन के समय यहां आकर बसे लोगों के सामने अब एक गंभीर संकट उठ खड़ी हुई है। यह संकट डीडीए ( DDA ) की देन है। डीडीए ने 60 फीट रोड बनाने के लिए बस्ती को Bulldozer से ध्वस्त करने का फैसला लिया है। डीडीए के इस तानाशाही की वजह से यहां के लोग खौफ में हैं। डीडीए ऐसा कुछ प्रॉपर्टी डीलरों और पास के कॉलोनी के लोगों को खुश करने के लिए करना चाहती है। अब, इसके जवाब में लोगों ने फैसला लिया है डीडीए के बुलडोजर के नीचे दबकर मर जाएंगे, लेकिन घर नहीं छोड़ेंगे।

कहां जाएंगे ये लोग, पहले तिरंगा नहीं घर चाहिए

भगत सिंह छात्र एकता मंच सहित कई संगठनों ने इन लोगों के समर्थन में सामने आये हैं। छात्र संगठनों के लोगों का कहना है कि कस्तूरबा बस्ती ( Kasturba basti ) शाहदरा ( Shahdara ) में गरीब, दलित और मज़दूर वर्ग के लोग रहते हैं। यह लोग यहां 70 साल से रह रहे हैं। 2 अगस्त को डीडीए ( DDA ) की तरफ से यहां जगह-जगह बस्ती खाली करने और 18 अगस्त को बुलडोजर ( DDA Bulldozer ) के जरिए बस्ती तोड़ने का फरमान जारी किया गया है। इन लोगों को मुआवजा तो दूर, डीडीए द्वारा पुनर्वास तक का कोई इंतज़ाम नहीं किया गया है। डीडीए के इस रुख के बाद से यहां के लोगों में एक खौफ में जी रहे हैं। छात्र संगठनों के लोगों का कहना हैकि जहां एक ओर सरकार हर घर तिरंगा की बात करती है वहीं दूसरी तरफ़ गरीबों के घर उजाड़े जा रहे हैं। सरकार को चाहिए कि तिरंगा थमाने पहले इन्हें घर में रहने दें। इन घरों को गरीब लोगों ने मेहनत पसीने की कमाई से बनाया है। डीडीए अगर कार्रवाई कर बस्ती को ध्वस्त करती है तो ये लोग कहां जाएंगे। वहीं केंद्र और दिल्ली सरकार के इस रुख के विरोध में भगत सिंह छात्र एकता मंच इस बस्ती के लोगों के मर्थन में संघर्ष जारी रखने का ऐलान किया है।

मर जाएंगे, पीछे नहीं हटेंगे

पांच दिन पहले डीडीए ( DDA ) के इस फैसले के विरोध में कस्तूरबा बस्ती के लोगों ने डीडीए हेडक्वार्टर विकास सदन पर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में ग्यासपुर और कस्तूरबा बस्ती की लोग और कुछ संगठनों के लोग शामिल हुए थे। प्रदर्शन के दौरान लोगों ने डीडीए को चेतावनी दी है क हम अपने घरों पर बुलडोजर नहीं चलने देंगे। मर जाएंगे, पीछे नहीं हटेंगे। हम लड़ेंगे और जीतेंगे।

क्या कहते हैं कस्तूरबा बस्ती के लोग

दरअसल, यहां पर रहने वाले अधिकांश लोग आजादी के समय जब देश विभाजन हुआ तो पाकिस्तान से आकर यहां बसे थे। ऐसे लोगों की तीसरी पीढ़ियां यहां रह रही हैं। ये लोग गरीब और दलित परिवारों से जुड़े हैं। इन लोगों का कहना है कि जिन घरों को डीडीए ध्वस्त करना चाहती है, उसके कानूनी कागजात उनके पास हैं। राशन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, आधार कार्ड व अन्य सभी प्रमाण पत्र हैं। इतना ही नहीं ये लोग निगम को हाउस टैक्स देते हैं। बिजली विभाग, जल निगम और सीवर डिपार्टमेंट को मासिक बिजली भी देते हैं। इन लोगों का कहना है कि एक तो डीडीए गैर कानूनी तरीके से कस्तूरबा बस्ती को तोड़ना चाहता है। हम दूसरी जगह चले भी जाते, लेकिन गरीब लोग हैं, घर का खर्चा नहीं चला पाते। ऐसे में कहीं और घर कैसे लेंगे। कोरोना महामारी से सभी का रोजी रोटी छिन चुका है। कई परिवारों के लोग बीमार चल रहे हैं। किसी की बेटी की शादी होनी है। लोगों के बच्चे स्कूलों में पढ़ रहे हैं। ऐसे में गरीबों को उनके वाजिब घर से बेघर करना कानूनन भी वाजिब नहीं है।

कस्तूरबा बस्ती को तोड़ने की जरूरत क्यों पड़ी

स्थानीय और कुछ संगठनों के लोगों का कहना है कि इस इलाके से डीडीए एक 60 फुटा रोड बनाना चाहती है। इस रोड के निर्माण का मकसद पास की डीडीए कॉलोनियों को रास्ता मुहैया कराना है। डीडीए इस रोड को कस्तूरबा बस्ती को ध्वस्त किए बिना सकती है, लेकिन वो सामने स्थित पार्क को समाप्त नहीं करना चाहती। कस्तूरबा बस्ती को डीडीए कॉलोनी को आबाद करने के लिए तोड़ने की योजना है। लोगों की मांग है कि अगर डीडीए के लिए लोगों को हटाना मजबूरी है तो वो पहले उन्हें मुआवजा दें, साथ ही पुनर्वास योजना के तहत कहीं और शिफ्ट करें।

केजरीवाल के विधायक भी नहीं सुनते हमारी बात

Delhi News : लोगों का आरोप है कि पीएम मोदी ( PM Narendra Modi ) हर घर को तिरंगा तो देना चाहते हैं, लेकिन हमें घर में नहीं रहने देना चाहते हैं। वो जबरन हमें अपने घर से उजाड़ना पर तुले हैं। दूसरी तरफ लोगों को ये भी आरोप है कि हम लोग आम आदमी पार्टी के विधायक के पास भी अपनी समस्याओं के लेकर गए थे लेकिन उन्होंने भी सहयोग करने से इनकार कर दिया है। विधानसभा भवन और केजरीवाल आवास के सामने प्रदर्शन पर बैठे तो सीएम केजरीवाल ( CM Arvind Kejriwal ) सरकार ने दिल्ली पुलिस से लाठीचार्ज करवाकर भगा दिया। केजरीवाल सरकार को केवल हमसे वोट चाहिए। चुनाव में हम बताएंगे कि हमें वोट किसे देना है। लोगों ने पीएम मोदी और सीएम अरविंद केजरीवाल दोनों को चेतावनी दी है कि हम बुलडोजर के नीचे मर जाएंगे, घर नहीं टूटने देंगे। हमें, घुट-घुटकर जीने से मरना पसंद है। आखिर हम अपने घरों से बेघर क्यों हो जाएं, क्या केजरीवाल या डीडीए के पास इसका जवाब है।

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