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Ex IAS ने मोदी-योगी पर साधा निशाना, कहा - चुनावी मौसम में इसलिए बोला जा रहा है अब्बा, चचा, जिन्ना और पाकिस्तान

Janjwar Desk
30 Jan 2022 5:29 PM IST
Ex IAS ने मोदी-योगी पर साधा निशाना, कहा - चुनावी मौसम में इसलिए बोला जा रहा है अब्बा, चचा, जिन्ना और पाकिस्तान
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चुनावी मौसम में बेरोजगारी व अन्य समस्याओं का जवाब देने से बच रहे हैं पीएम मोदी और सीएम योगी। 

सरकार विकास को बहस का मुद्दा नहीं बनाना चाहती। इसके बदले सरकार आंख में धूल झोंकने की नाकाम कोशिश कर रही है। जनता सब जानती है। इस बार सरकार को उसके काम का जनता सही हिसाब करने वाली है।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पहले और दूसरे चरण के मतदान को लेकर वेस्ट यूपी में नेताओं को पिछले दो दिनों से जमावड़ा लगा है। खुद को बेदाग साबित करने के लिए मोदी ( PM Narendra Modi ) , योगी ( CM Yogi Adityanath ) और शाह सहित उनकी फौज मुख्य मुद्दों ने लोगों को ध्यान भटका रहे हैं। युवाओं में व्याप्त विस्फोटक बेरोजगारी ( Youth Unemployment ) , विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य मुद्दों पर योगी सरकार बात नहीं करना चाहती। इतना ही नहीं, सरकार के दुस्साहसी चरित्र का पता उस समय चलता है, जब योगी सहित भाजपा के नेता इन्हीं मुद्दों पर विपक्ष को दिन-रात कोसने से नहीं थकते। जबकि केंद्र और यूपी दोनों जगह पर डबल इंजन की सरकार है।

जनता के बीच में सरकार कर कुछ और रही है और खुद को दिखाना कुछ और चाह रही है। सरकार के इस दोहरे चरित्र पर चोट देकर पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने बेनकाब करने की कोशिश की है। उन्होंने रविवार को एक न्यूज की क्लिपिंग ट्विटर पर साझा करते हुए बताया है कि डबल इंजन की सरकार चरम चुनावी मौसम में भी अपनी उपलब्धि गिनाने के बदले अब्बाजान, चचाजान, जिन्ना, पाकिस्तान पर विपक्ष को घेरने में जुटी है। पूर्व आईएएस के ट्विट से साफ कि सरकार विकास को बहस का मुद्दा नहीं बनाना चाहती। इसके बदले सरकार आंख में धूल झोंकने की नाकाम कोशिश कर रही है। जनता सब जानती है। इस बार सरकार उसके काम का जवाब मिलेगा।




UP Election 2022 : पूर्व आईएसएस सूर्य प्रताप सिंह ने सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनोमी ( CMIE ) का हवाला देते हुए कहा कि सितंबर-दिसंबर 2021 के दौरान में देश में बेरोजगारों की कुल संख्या 3.18 करोड़ रही। इनमें 3.03 करोड़ यानि 95 फीसदी 29 साल से कम उम्र के हैं। यह संख्या 2020 में देशभर में लगे लॉकडाउन के दौर से भी ज्यादा है। तब देश में 2.93 करोड़ युवा बेरोजगार थे।र्फ चार साल में बढ़ गए 1.26 करोड युवा

सबसे अहम बात यह है कि 3.03 करोड़ युवा तो वे हैं जो काम खोज रहे हैं। इस समय 1.18 करोड़ से ज्यादा ग्रैजुएट युवा बेरोजगार हैं। 1.24 करोड युवा ऐसे भी हैं जो रोजगार तो चाहते हैं लेकिन थक कर काम नहीं खोज रहे। यदि इन्हें भी शामिल कर लें तो युवा बेरोजगारों की संख्या 4.27 करोड़ जो जाएगी। उनका कहना है कि बेरोजगारी स्थिति यूपी सहित देशभर में विस्फोटक है। इसके अलावे भी कई समस्याएं मुंह बाए खड़ी है। लेकिन सरकार उन मोर्चों पर काम करने के बजाय लोगों को बरगलाने में लगी है।

उन्होंने कहा कि युवाओं में बेरोजगारी की मुख्य वजह नई वर्कफोर्स सृजित नहीं होना है। नई वर्क फोर्स में ही युवाओं को काम का मौका मिलता है। लेकिन पर्याप्त नई नौकरियां पैदा नहीं हो रही हैं। कम पढ़ा-लिख छोटा मोटा काम शुरू कर देता है, लेकिन शिक्षित युवा योग्यता के अनुरूप ही नौकरी तलाशते हैं। लंबे समय तक काम की तलाश के बाद भी वंचित रह गए बहुत से लोग निराश हो चुके हैं। वे अब नौकरी तलाशने के लिए घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं।

UP Election 2022 : मोदी और योगी के कुछ वर्षों के कार्यकाल में ही देश की अर्थव्यवस्था संतुलित तरीके से नहीं बढ़ी।इसका नतीजा यह निकला कि कंस्ट्रक्शन, टूरिज्म, हॉस्पिटैलिटी जैसे सेक्टरों का विकास अर्थव्यवस्था की रफ्तार के मुकाबले कम गति से बढ़ा है। बता दें कि सीएमआईई बेरोजगारी का डेटा जारी करने वाली देश की एकमात्र संस्था है। सीएमआईई के डेट का इस्तेमाल आरबीआई समेत केंद्र सरकार के विभाग भी करते हैं।

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