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JIO के खिलाफ किसानों की मुहिम रंग लाई, रिलायंस लगा रहा TRAI से गुहार

Janjwar Desk
15 Dec 2020 12:47 PM GMT
JIO के खिलाफ किसानों की मुहिम रंग लाई, रिलायंस लगा रहा TRAI से गुहार
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सरकार के खिलाफ कृषि कानूनों को लेकर लगातार चल रहे विरोध के बीच किसानों ने जियो के उत्पादों का बहिष्कार करने का फैसला लिया है....

नई दिल्ली। सितंबर 2020 में पारित किए गए तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान अभी भी आंदोलित हैं वहीं दूसरी ओर यह आंदोलन अब दूरसंचार क्षेत्र की कंपनियों के बीच लड़ाई में बदल गया है। दरअसल रिलायंस जियो ने दूरसंचार नियामक से हस्तक्षेप करने की गुहार लगाते हुए आरोप लगाया है कि प्रतिस्पद्र्धी कंपनियां - भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया किसानों के समर्थन की आड़ में अपने नेटवर्क से जोडऩे के लिए जियो के उपयोगकर्ताओं को बहला-फुसला रही हैं।

सरकार के खिलाफ कृषि कानूनों को लेकर लगातार चल रहे विरोध के बीच किसानों ने जियो के उत्पादों का बहिष्कार करने का फैसला लिया है। 

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) को लिखे पत्र में जियो ने कहा कि दोनों कंपनियां मौजूदा किसान आंदोलन को भुनाने के लिए 'अनैतिक' और 'प्रतिस्पर्धी विरोधी' मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी अभियान चला रही थीं। जियो ने कहा कि दोनों कंपनियां प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रिलायंस जियो के कृषि कानूनों का अनुचित लाभार्थी होने के आरोप और झूठी अफवाहों को आगे बढ़ाने में शामिल हैं।

जियो ने पत्र में कहा, 'एयरटेल और वोडाफोन आइडिया अपने कर्मचारियों, एजेंटों और खुदरा विक्रेताओं के माध्यम से एक 'शातिर' और 'विभाजनकारी' अभियान को आगे बढ़ा रही हैं। ये कंपनियां नंबरों को पोर्ट कराने जैसे मामूली फायदे के लिए जानबूझकर रिलायंस जियो को किसानों के खिलाफ बताकर और खुद को किसान हितैषी के रूप में पेश करके कंपनी को बदनाम कर रही हैं। साथ ही साथ जान-बूझकर सरकार विरोध को हवा भी दे रही हैं।'

ट्राई को 11 दिसंबर को लिखे अपने पत्र में जियो ने आरोप लगाया है कि, "बड़ी संख्या में जियो के नंबर पोर्ट कराने का अनुरोध मिल रहा है, ऐसा तब है जबकि कस्टमर्स को जियो की सेवा से कोई शिकायत या दिक्कत नहीं है। जियो ने 28 सितंबर को भी इस बात की शिकायत ट्राई में की थी, लेकिन फिर भी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों पर कोई असर नहीं पड़ा। रिलायंस जियो का दावा है कि एयरटेल और वोडाफोन आइडिया अनैतिक तरीके से देश के उत्तरी हिस्सों में किसानों के आंदोलन को भुनाने की कोशिश कर रही हैं और इसके लिए जियो को सबसे बड़े हथियार के तौर पर प्रयोग किया जा रहा है। जियो ने वोडा-आइडिया और एयरटेल को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि दोनों कंपनियों ने ट्राई के नियमों का सरेआम माखौल उड़ाया है।

हालांकि भारती एयरटेल ने जियो रिलायंस के आरोपों को खारिज कर दिया है। इन आरोपों को 'बेबुनियाद' बताते हुए Airtel ने प्रतिक्रिया दी है कि जियो की तरफ से लग रहे आरोपों की जानकारी मीडिया के माध्यम से ही हमारी कंपनी को मिली है।

एयरटेल ने कहा, 'कुछ प्रतिद्वंद्वियों की ओर से उकसाए जाने के बावजूद, जिन्हें हम जानते हैं कि वो निराधार आरोप लगाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं, कैसी भी रणनीति अपना सकते हैं और डराएंगे-धमकाएंगे, हमने हमेशा पारदर्शिता के साथ कुछ ऐसा काम किया है जिस पर हमें गर्व है।'

जियो का नंबर पोर्ट करवाने वाले लोगों का कहना है कि बेशक इसकी सर्विस अच्छी है, इससे हमें कोई शिकायत नहीं है मगर जिस तरह से कॉरपोरेट हितैषी सरकार ने तीन कृषि कानून बनाए गए हैं और उसका सीधा फायदा उद्योगपति घरानों खासकर अंबानी-अडानी को मिलेगा, उसी का विरोध हम लोग कर रहे हैं। उसी के विरोध में अपना नंबर जिओ से एयरटेल या वोडाफोन-आइडिया में पोर्ट करवा रहे हैं।

जो जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक अब तक एक करोड़ से भी ज्यादा ग्राहक जियो का नंबर पोर्ट करवा चुके हैं।

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