Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

'देश के अन्नदाता ने आंदोलन से अहंकार का सर झुका दिया', जानें कृषि कानून निरस्त होने पर विपक्षी दलों ने क्या कहा

Janjwar Desk
19 Nov 2021 3:06 PM IST
देश के अन्नदाता ने आंदोलन से अहंकार का सर झुका दिया, जानें कृषि कानून निरस्त होने पर विपक्षी दलों ने क्या कहा
x

कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन में शामिल किसान।

केंद्र सरकार ने किसानों को न समझा पाने की मजबूरी बताते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की तो विरोधी दलों के नेताओं का कहना है कि मोदी सरकार को किसानों के सामूहिक ताकत के सामने झुकना पड़ा।

नई दिल्ली। एक साल में एक सप्ताह कम समय से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों का इंतजार आज खत्म हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रकाश पर्व पर देश की जनता को संबोधित करते हुए कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा का सबको चौंका दिया। मोदी सरकार सितंबर 2020 में कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए ये तीनों कानूनों को लेकर आई थी। इस फैसले के बाद विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है। किसी ने इसे पांच राज्यों में प्रस्तावित आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़ा है तो किसी ने इसे प्रधानमंत्री की मजबूरी करार दिया है।

जानिए किसने क्या कहा?

राहुल गांधी :

देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया। अन्याय के खिलाफ़ ये जीत मुबारक हो! जय हिंद, जय हिंद का किसान!

प्रियंका गांधी :

600 से अधिक किसानों की शहादत, 350 से अधिक दिन का संघर्ष, @narendramodi जी आपके मंत्री के बेटे ने किसानों को कुचल कर मार डाला, आपको कोई परवाह नहीं थी। आपकी पार्टी के नेताओं ने किसानों का अपमान करते हुए उन्हें आतंकवादी, देशद्रोही, गुंडे, उपद्रवी कहा, आपने खुद आंदोलनजीवी बोला।

ममता बनर्जी :

हर उस किसान को मेरी ओर से हार्दिक बधाई जिसने अथक संघर्ष किया और भाजपा ने जिस क्रूरता से आपके साथ व्यवहार किया, उससे आप विचलित नहीं हुए। यह आपकी जीत है! उन सभी लोगों के प्रति मेरी संवेदनाएं है जिन्होंने इस लड़ाई में अपने प्रियजनों को खो दिया।

अशोक गहलोत :

यह किसानों की बहुत बड़ी जीत है। मैं किसानों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। उनके संघर्ष को सलाम करता हूं। सरकार ने यह फ़ैसला उत्तर प्रदेश चुनाव को ध्यान में रखते हुए लिया है।

अरविंद केजरीवाल :

किसानों का आंदोलन एक साल से चल रहा था। इस आंदोलन में अभी तक 700 किसान शहीद हो चुके हैं। आज किसानों को बड़ी सफलता मिली है। मैं किसानों को बधाई देना चाहता हूं। किसानों का संघर्ष रंग लाया। मेरा मानना है कि अगर ये फैसला केंद्र सरकार पहले करती तो कई किसानों की जान बच जाती। 700 किसानों को शहीद होने से बचाया जा सकता था।

मायावती :

केंद्र सरकार ने कृषि क़ानूनों को देर से रद्द करने की घोषणा की है। यह फ़ैसला बहुत पहले ले लिया जाना चाहिए था। इसके लिए सभी किसानों को हार्दिक बधाई। यदि केंद्र सरकार यह फ़ैसला काफी पहले ले लेती तो देश अनेक प्रकार के झगड़ों से बच जाता। केंद्र सरकार से मांग है कि किसान आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मृत्यु हुई है, केंद्र सरकार उन्हें उचित आर्थिक मदद दे और उनके परिवार में से एक सदस्य को सरकारी नौकरी ज़रूर दें।

अखिलेश यादव :

पीएम मोदी भले ही देश की जनता से माफी मांग लें, लेकिन लोग उन्हें माफ नहीं करेंगे। इसके बदले विधानसभ चुनाव 2022 में प्रदेश की जनता बीजेपी का सफाया करने का काम करेगी।


असदुद्दीन ओवैसी :

सरकार ने कृषि क़ानूनों को रद्द करने का फ़ैसला देरी से लिया है। यह किसान आंदोलन और किसानों की सफलता है। चुनाव में जाना था इसलिए केंद्र सरकार ने यह फ़ैसला लिया है। वह दिन भी दूर नहीं है, जब मोदी सरकार CAA का क़ानून भी वापस लेगी।

राकेश टिकैत :

आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा । सरकार एमएसपी के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें।

नवाब मलिक :

आज से तीनों कृषि क़ानून इस देश में नहीं रहेंगे। एक बड़ा संदेश देश में गया है कि देश एकजुट हो तो कोई भी फैसला बदला जा सकता है। चुनाव में हार के डर से प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि क़ानूनों का वापस लिया है। किसानों की जीत देशवासीयों की जीत है।

जयंत चौधरी :

किसान की जीत, हम सब की है, देश की जीत है! किसान आंदोलन का ज्यादा असर प्रदेश के पश्चिम हिस्से में ही ज्यादा हुआ है।

Next Story

विविध