Fatima Sheikh: देश की प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख के जन्मदिवस पर कल होगा कार्यक्रम का आयोजन
भारत की पहली महिला शिक्षिका फातिमा शेख की कहानी
Fatima Sheikh: ज्योतिबा फुले व सावित्रीबाई फुले की महिलाओं और बहुजनों को शिक्षित करने की मुहिम कट्टरपथियों को बर्दास्त नहीं हुयी और उन्होंने फुले दम्पत्ति के पिता पर दबाव बनाकर उन्हें घर छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। ऐसे कठिन समय में उनके मित्र उष्मान शेख और उनकी बहन फातिमा शेख ने न केवल फुले दम्पत्ति को अपने घर में शरण दी बल्कि उन्हें महाराष्ट्र के पूना पैठ (पूना) में लड़कियों के लिए स्कूल खोलने के लिए जगह भी दी।
उस दौर में शूद्रों और महिलाओं को शिक्षा पाने का अधिकार नहीं था। शूद्र की परछाई जिस कुएं पर पड़ जाती थी तथाकथित उच्च जाति के लोग उस कुएं का पानी भी नहीं पीते थे। ऐसे कठिन समय में फातिमा शेख ने सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर लड़कियों और शूद्रों को पढ़ाने की शुरुआत की। फातिमा शेख स्कूल में न केवल पढ़ाने का काम करती थीं बल्कि वे घर-घर जाकर लड़कियों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए, उनके स्कूल में आने के लिए भी प्रोत्साहित भी करती थीं। इस कारण उन्हें भी सावित्रीबाई फले की तरह ही दकियानूसी-पोंगापंथी समाज के आक्रोश का सामना करना पड़ता था।
फातिमा शेख, अजीजन बाई, ऊदा देवी, बीबी गुलाब कौर, प्रीतिलता वादेदार जैसी देश में अनगिनत महिलाएं हैं जिन्होंने देश व समाज की बेहतरी के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। सरकारों की पुरुष प्रधान मानसिकता के कारण हमारी इन नायिकाओं को समाज व इतिहास में वो जगह नहीं मिली जिसकी वे हकदार हैं।
9 जनवरी को फातिमा शेख का जन्म दिन है। इस अवसर पर अपनी इस नायिका को याद करते हुए, हम देश में सभी के लिए निःशुल्क, गुणवत्तापूर्ण, वैज्ञानिक व समान शिक्षा,रोजगार व स्वास्थ्य के अधिकार को संविधान में मैलिक अधिकार का दर्जा दिये जाने आदि सवालों पर चर्चा करने के लिए 9 जनवरी रविवार को दिन में 11 बजे से ग्राम- पूछड़ी, रामनगर जिला नैनीताल में एक सभा व सांस्कृतिक का आयोजन किया जा रहा है।
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