Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

सोशल मीडिया में जजों के लिए भी लिखा जाता भला-बुरा, SC ने फर्जी व सांप्रदायिक खबरों पर जताई चिंता

Janjwar Desk
2 Sept 2021 8:46 PM IST
सोशल मीडिया में जजों के लिए भी लिखा जाता भला-बुरा, SC ने फर्जी व सांप्रदायिक खबरों पर जताई चिंता
x

(फर्जी व फेक खबरों पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है)

तब्लीगी जमात से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा कि सोशल मीडिया पर जजों के लिए भी बुरा-भला लिखा जाता है..

जनज्वार। सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया, वेब पोर्टल और यूट्यूब पर फर्जी खबरों को लेकर नाराजगी जताई है। तब्लीगी जमात से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा कि सोशल मीडिया पर जजों के लिए भी बुरा-भला लिखा जाता है।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तबलीगी मामले को लेकर यह भी कहा कि मीडिया के एक वर्ग में दिखाई जाने वाली खबरों में सांप्रदायिकता का रंग दिया गया था, जिससे देश की छवि खराब होती है।

न्यायपीठ ने पूछा, 'निजी समाचार चैनलों के एक वर्ग में दिखाई हर चीज साम्प्रदायिकता का रंग लिए है। आखिरकार इससे देश की छवि खराब हो रही है। क्या आपने (केंद्र) इन निजी चैनलों के नियमन की कभी कोशिश भी की है।

कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया केवल 'शक्तिशाली आवाजों को सुनता है और न्यायाधीशों, संस्थानों के खिलाफ बिना किसी जवाबदेही के कई चीजें लिखी जाती हैं।'

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'वेब पोर्टल्स और यूट्यूब चैनलों पर फर्जी खबरों तथा छींटाकशीं पर कोई नियंत्रण नहीं है। अगर आप यूट्यूब देखेंगे तो पाएंगे कि कैसे फर्जी खबरें आसानी से प्रसारित की जा रही हैं और कोई भी यूट्यूब पर चैनल शुरू कर सकता है।'

उच्चतम न्यायालय सोशल मीडिया तथा वेब पोर्टल्स समेत ऑनलाइन सामग्री के नियमन के लिए हाल में लागू सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के मुद्दे पर विभिन्न उच्च न्यायालयों से याचिकाओं को स्थानांतरित करने की केंद्र की याचिका पर छह हफ्ते बाद सुनवाई करने के लिए राजी हो गया।

अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या इससे निपटने के लिए कोई तंत्र है? आपके पास इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और अखबारों के लिए तो व्यवस्था है लेकिन वेब पोर्टल के लिए भी कुछ करना होगा। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने केंद्र सरकार से पूछा कि आखिर सोशल और डिजिटल मीडिया पर निगरानी के लिए आयोग बनाने के वादे का क्या हुआ?

वहीं याचिकाकर्ता NBSA ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने इन नियमों को चुनौती दी है क्योंकि ये नियम मीडिया को स्वायत्तता और नागरिकों के अधिकारों के बीच संतुलन नहीं करते। इसपर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमारे विशेषज्ञ इसी संतुलन को व्यवस्थित करने के लिए नियम बना रहे हैं जो मीडिया और नागरिकों को तीन स्तरीय सुविधा देते हैं।

इस पर CJI ने पूछा कि हम ये स्पष्टीकरण चाहते हैं कि प्रिंट प्रेस मीडिया के लिए नियमन और आयोग है, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया स्वनियमन करते हैं लेकिन बाकी के लिए क्या इंतजाम है? सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि टीवी चैनल्स के दो संगठन हैं। लेकिन ये आईटी नियम सभी पर एक साथ लागू हैं।

Next Story

विविध