हरिद्वार में नहीं होगी नफरत फ़ैलाने वाली महापंचायत, कोर्ट की सख्ती के बाद पुलिस ने उखाड़े तंबू - कनात
हरिद्वार। सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) के सख्त रुख के बाद पहले तो उत्तराखंड पुलिस ने रुड़की धर्म संसद रोक लगा दी और अब हरिद्वार प्रशासन ने अपने यहां भी होने वाली महापंचायत ( Haridwar Mahapanchayat ) पर रोक लगा दी है। हरिद्वार जिला प्रशासन ने मंगलवार को हिंदू धर्मगुरुओं द्वारा एक महापंचायत की घोषणा के बाद दादा जलालपुर गांव के 5 किलोमीअर के दायरे में दफा 144 ( Dhara 144 ) के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है।
इस बारे में हरिद्वार के जिलाधिकारी वीएस पांडेय ने बताया कि दादा जलालपुर और आसपास के 5 किलोमीटर क्षेत्र में दफा 144 लागू कर दी गई है। फिलहाल, सभी कार्यक्रमों को प्रतिबंधित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि महापंचायत ( Haridwar Mahapanchayat ) के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई थी।
दरअसल, पिछले कुछ महीनों से हिंदू धर्म संसद ( Dharm Sansad ) का आयोजन विवादों में रहा है। इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) ने मंगलवार को सख्त रुख अख्तियार करते हुए उत्तराखंड पुलिस से हर हाल में अदालत के आदेशों पर अमल करने का निर्देश दिया था। इसके बाद बुधवार को रुड़की में होने वाली हिंदू धर्म संसद के आयोजन पर स्थानीय पुलिस ने रोक लगा दी है।
उखाड़े तंबू कनात, धारा 144 लागू, आयोजकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज
इसका विरोध करने पर पुलिस ने धर्म संसद के आयोजन के लिए लगाए गए तंबू और कनात को उखाड़ दिए गए हैं। इतना ही नहीं, उत्तराखंड पुलिस ने रुड़की में धारा 144 भी लागू कर दी है। रुड़की पुलिस ने धर्म संसद के आयोजकों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया है। रुड़की पुलिस ने इस मामले में कुछ आयोजकों को भी हिरासत में लिया है।
उत्तराखंड के रुड़की में बुधवार को होने वाली धर्म संसद ( Roorkee Dharma Sansad ) पर वहां की पुलिस ने रोक लगा दी है। इसके साथ ही उत्तराखंड पुलिस ने रुड़की में धारा 144 भी लगा दी है और धर्म संसद के आयोजकों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया है। जानकारी के मुताबिक कुछ आयोजकों की गिरफ्तारी भी हुई है। उत्तराखंड पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद ये कदम उठाए हैं।
बता दें कि हरिद्वार के भगवानपुर इलाके में 16 अप्रैल को एक धार्मिक जुलूस के दौरान हिंसा भड़क गई थी। हिंसक घटना में कई लोग घायल हो गए थे। हरिद्वार पुलिस ने उक्त मामले में कई गिरफ्तारियां भी की थी।