'सुशील जब घर आए थे तो कपड़े खून से रंगे हुए थे' पुलिस लाठीचार्ज में जान गंवाने वाले किसान की पत्नी का दावा
मृतक किसान सुशील काजल की पत्नी सुदेश देवी (photo-social media)
जनज्वार। शनिवार को हरियाणा (Haryana) के करनाल (Karnal) में पुलिस की लाठीचार्ज के बाद शहीद हुए किसान सुशील काजल की पत्नी सुदेश देवी सामने आई हैं। सुदेश का कहना है कि वह जब सुशील घर आये तो उनके कपड़े खून और मिट्टी में धंसे हुए थे और शरीर पर तमाम चोटें लगी हुई थीं।
गौरतलब है कि, करनाल में शनिवार 28 अगस्त को भाजपा (BJP) की प्रदेशस्तरीय बैठक की सूचना पर विरोध के लिए किसान बसताड़ा टोल पर एकत्रित हुए थे। यहां से वह भाजपा के कार्यक्रम स्थल की ओर से कूच करने की तैयारी कर रहे थे। तभी पुलिस की ओर से किए गए लाठीचार्ज में गांव रायपुर जाटान निवासी किसान सुशील काजल को भी गंभीर चोटें आई थीं।
This innocent Farmer's death is on hands of @police_haryana
— Manjinder Singh Sirsa (@mssirsa) August 29, 2021
Sushil Kajal lost his life to injuries inflicted by Haryana Police under the orders of SDM
He was hit on his head repeatedly
We demand a case u/s 302 to be regtd against SDM & against officials who ordered to hit farmers pic.twitter.com/cT9jw7y5Yq
वहीं, अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी हरियाणा सरकार और एसडीएम (SDM) पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि हरियाणा पुलिस की लाठीचार्ज में किसान सुशील काजल ने जान गंवा दी। उनके सिर पर बार-बार वार किया गया। हम मांग करते हैं कि एसडीएम और किसानों को मारने का आदेश देने वाले अधिकारियों के खिलाफ धारा 302 के तहत केस दर्ज किया जाए।
लाठीचार्ज के बाद अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा ने दावा किया था कि, करनाल में हुए लाठीचार्ज के बाद एक किसान की मौत हो गई है। किसान का नाम सुशील काजल है। किसानों ने पुलिस पर हत्या करने का आरोप लगाया है। मजदूर सभा ने रामपुर जटा गांव के किसान की मौत पर पुलिस के रवैये पर सवाल उठाया है।
अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के महासचिव डॉक्टर आशीष मित्तल ने कहा कि पुलिस ने एसडीएम के आदेश पर बसताड़ा टोल, करनाल में किसानों पर लाठियां बरसाई थीं। शुक्रवार 27 अगस्त की रात में ही सुशील ने चोट लगने की वजह से दम तोड़ दिया।
अखिल भारतीय किसान सभा ने एसडीएम की गिरफ्तारी की मांग की है। उनके आदेश की वीडियो क्लिपिंग के मुताबिक उन्होंने साफ तौर पर सिपाहियों से कहा था कि कोई भी जेल जाने वाला किसान, बिना सिर पर चोट के नहीं पाया जाना चाहिए।