Hearing on Qutub Minar : 800 साल से नहीं हो रहा पूजा, अब इसकी मांग क्यों, हिंदू पक्ष के वकील ने दिया ये जवाब, 9 जून को आयेगा फैसला
Hearing on Qutub Minar : ऐतिहासिक कुतुब मिनार ( qutub Minar ) परिसर के अंदर हिंदू देवी-देवताओं की पूजा को लेकर दिल्ली के साकेत कोर्ट ( Saket Court ) में सुनवाई जारी है। एएसआई ( ASI ) की ओर से अपना पक्ष पेश किया जा चुका है। हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन द्वारा अदालत के सामने पक्ष रखने के दौरान न्यायाधीश ने सवाल पूछा कि जब कुतुब मिनार ( qutub Minar ) के अंदर 800 साल से पूजा ( Puja ) नहीं हो रहा है तो अब इसकी मांग क्यों? साकेत कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। जस्टिस निखिल चोपड़ा की बेंच फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब फैसला 9 जून को आयेगा।
साकेत कोर्ट ( Saket Court ) ने कहा कि 800 सालों में जगह का स्वरूप बदल चुका है। इसके साथ ही कोर्ट ने हिंदू पक्ष के वकील से और भी कई सवाल पूछे। इन सवालों में क्या पूजा का अधिकार मौलिक अधिकार है या संविधान प्रदत अधिकार है। पूजा का अधिकार आपको कैसे मिला है। हिंदू पक्ष से पूछा कि आप क्या चाहते हैं। कानून में कहां लिखा है पूजा मौलिक अधिकार है। तो क्या हम स्मारक को पूजा स्थल में तब्दील कर दें?
हिंदू पक्ष ने दिया ये जवाब
साकेत कोर्ट ( Saket Court ) में पूजा का अधिकार विषय पर जारी सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने अदालत के सवालों का जवाब देते हुए अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया। साथ ही कहा कि पूजा का अधिकार हमें संविधान से मिला है। संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत कोई भी व्यक्ति जिस धर्म में आस्था रखता है, उसके अराध्य देव की वो पूजा बिना किसी बाधा के कर सकता है। फिर संविधान में पूजा का अधिकार मौलिक अधिकार में शामिलहै। इस तरह से हर हिंदू का अपने अराध्य की पूजा करना भी उसका मौलिक अधिकार है। यानि हिंदुओं को पूजा ( Puja ) के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।
हिंदू देवी देवता कभी लुप्त नहीं होते
हिंदू पक्ष के वकील ने कहा कि कुतुब मिनार ( qutub Minar ) के अंदर आज भी मूर्तियां रखी हुई हैं। फिर, हिंदू देवता कभी लुप्त नहीं होते। कुतुब मिनार 27 मंदिरों को तोड़कर बनाया गया था। कुतुब मिनार परिसर में मंदिर है तो पूजा का अधिकार क्यों नहीं? हर हिंदू को कुतुब मिनार परिसर में पूजा करने की इजाजत मिले। उन्होंने कहा कि मंदिर टूटने से भगवान का अस्तित्व खत्म नहीं होता।
निचली अदालत के फैसले पर उठाए सवाल
इतना ही नहीं, हरिशंकर जैन से अदालत ( Saket Court ) से कहा कि माहौल खराब करने की बात कर फैसला न देना गलत होगा। न ही पूजा से वंचित करने का सही आधार हो सकता है। इस मामले में उन्होंने निचली अदालत के फैसले पर सवाल भी उठाए हैं। बता दें कि कुतुब मीनार में पूजा के अधिकार की याचिका पर दिल्ली के साकेत कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
इसलिए बरकरार है पूजा का अधिकार
अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने आर्टिकल 25 के संदर्भ में कहा है कि उन्हें पूजा के संवैधानिक अधिकार से वंचित किया जा रहा है। यह तय करना होगा कि मेरा कोई अधिकार नहीं है। अपील में यह तय नहीं किया जा सकता कि मेरे पास अधिकार है या नहीं। साथ ही यह भी कहा- अयोध्या फैसले में, यह माना गया है कि एक देवता जीवित रहता है, वह कभी नहीं खोता है। अगर ऐसा है तो मेरा पूजा करने का अधिकार बच जाता है।
ASI ने की याचिका खारिज करने की मांग
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ( ASI ) विभाग ने अदालत से कहा कि पूजा की मांग वाली याचिका खारिज हो। 1914 में जब कुतुब ( qutub Minar ) एएसआई के कब्जे में आई थी। उस समय वहां पर पूजा नहीं होती थी। संरक्षित स्मारकों में पूजा का नियम नहीं है। हम कुतुब मिनार की पहचान को नहीं बदल सकते।
13 मई से कुतुब मस्जिद में नमाज भी बंद
साकेत कोर्ट ( Saket Court ) में कुतुब मिनार मुद्दे पर मस्जिद के इमाम शेर मोहम्मद ने आरोप लगाया है कि ASI ने 13 मई से नमाज पढ़ना भी बंद करवा दिया है। मीनार( qutub Minar ) के मेन गेट के दाईं ओर बनी मुगलकालीन छोटी मस्जिद में नमाज होती थी। 2016 में यहां दोबारा नमाज शुरू हुई थी। शुरुआत में यहां 4 से 5 लोग नमाज पढ़ते थे, लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या 40 से 50 तक पहुंच गई थी।