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जम्मू एयरबेस हमलाः UAV से पहली बार हुए आतंकी अटैक ने जांच एजेंसियों की बढ़ाई चिंता
जम्मू-कश्मीर। 25 जून को ही दिल्ली में पीएम मोदी की सर्वदलीय बैठक हुई। जहां कश्मीर के गुपकार ग्रुप के नेता भी शामिल हुए। इस दौरान जम्मू-कश्मीर में परिसीमन और विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा हुई। बैठक से संदेश देने की कोशिश हुई की घाटी में हालात सामान्य हो रहे हैं। लेकिन बीते दो दिन में हुई दो घटनाओं ने घाटी के हालात को लेकर फिर सवाल खड़ किये हैं।
घाटी में पुलिसकर्मी आतंकियों के निशाने पर है। एक हफ्ते में आतंकियों ने तीन बार पुलिस को निशाना बनाने की कोशिश की है। 26 जून की रात जम्मू स्थित भारतीय वायुसेना के बेस पर छह मिनट के अंतराल में दो धमाके हुए। हालांकि इस घटना में ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। दो पुलिसवाले जख्मी हुए है। लेकिन ड्रोन से हुए इस हमले ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। जम्मू के सतवारी इलाके में मौजूद एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन से हमला किया गया। इंडियन एयरफोर्स का स्टेशन हेडक्वार्टर और इसके साथ ही जम्मू का मेन एयरपोर्ट भी इसी परिसर में आता है।
वही 27 जून की आधी रात को जम्मू कश्मीर पुलिस के एसपीओ फैयाज अहमद के घर में आतंकियों ने घुसकर हमला कर दिया। इस हमले में एसपीओ फैयाज अहमद शहीद हो गए। वहीं उनकी पत्नी की भी इलाज के दौरान जान चली गयी। ताजा अपडेट है कि अस्पताल में उनकी बेटी राफिया ने भी 28 जून को दम तोड़ दिया। परिवार के तीन सदस्यों की जान इस आतंकी हमले में चली गयी।
ड्रोन हमले ने बढ़ाई चिंता
जम्मू में इंडियन एयरफोर्स के बेस पर हुए हमले ने देश की सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। पहली बार ऐसा हुआ कि अनमैंड एरियल व्हीकल (UAV) पर विस्फोटक रख निशाना बनाया गया है। बता दें कि 27 जून की रात को ये हमला हुआ था। और शुरूआती जांच में ये बात सामने निकल कर आ रही है कि दो-दो किलो के दो आईईडी को जम्मू में भारतीय वायु सेना स्टेशन पर दो ड्रोन की मदद से गिराया गया। सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों ने कहा कि इस बात के सबूत हैं कि आतंकवादी हमले में दो ड्रोन और एक "उच्च ग्रेड" विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था।
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के बम डेटा सेंटर की एक-एक टीम भारतीय वायुसेना के अड्डे पर जांच कर रही है। जम्मू पुलिस ने आतंकवाद के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है। हालांकि अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यूएवी भारत-पाकिस्तान सीमा पार से आया था या फिर इसे एयरबेस के समीप किसी बिल्डिंग से ऑपरेट किया जा रहा था।
लेकिन कम लगात और ज्यादा सटीक, प्रभावशाली हमले के लिए ड्रोन का इस्तेमाल अबतक असेलामिक स्टेट, सरिया, इराक में देखने को मिले थे। इस तरह का भारत में ये पहला हमला है। इस हमले के बाद इस यह इलाका ग्रे जोन युद्ध इलाके में जरूर तब्दील हो गया है। ड्रोन की खासियत है कि एक सुरक्षित दूरी से दुश्मन हमला कर सकता है। और ये कुछ किलोग्राम के भार को साथ लेकर 20 किलोमीटर तक उड़ान भर सकते हैं।
ऐसे में ऊंची दीवारें, कंटीले तार और सेना की चौकियां अब आंतकी हमलों को रोकने के लिए नाकाफी है। सेना के एक अधिकारी ने इस पर चिंता जताते हुए कहा है कि आतंकी संगठन तेजी से नये-नये तकनीकी को अपना रहे हैं। ऐसे हमले भविष्य में और घातक होंगे। अन्य सैन्य ठिकानों और तेल रिफाइनरियों जैसे अन्य महत्वपूर्ण नागरिक बुनियादी ढांचे को भी निशाना बनाया जा सकता है। यहां तक की जैविक हथियारों को पहुंचाने के लिए आतंकवादियों द्वारा ड्रोन का उपयोग करने का भी खतरा है।
इस तरह के हमलों के लिए भारतीय सेना और पुलिस बलों को तैयार होना होगा। जिसमें ऐसे ड्रोन से निपटने के लिए जैमिंग और स्पूफिंग सिस्टम का इस्तेमाल कर ड्रोन के सैटेलाइट या वीडियो कमांड-एंड-कंट्रोल लिंक को बाधित करने जैसे "सॉफ्ट किल्स" से लेकर "हार्ड किल्स" के लिए लेजर-आधारित निर्देशित ऊर्जा हथियार (DEWs) तक शामिल हैं।
बता दें कि इंडियन एयरफोर्स के बेस पर हमले के लिए पहली बार दो यूएवी का इस्तेमाल कर Mi-17 हैंगर के पास विस्फोटक गिराए गए। एक धमाके की तीव्रता इतनी अधिक थी कि हैंगर के समीप एक एक बिल्डिंग की छत में छेद हो गया। जम्मू कश्मीर पुलिस और एनआईए इस आतंकी हमले की जांच कर रही हैं।
एसपीओ की बेटी की भी मौत
इधर 27 जून की आधी रात एसपीओ के घर पर आतंकियों के हमले में उनकी बेटी राफिया की भी मौत हो गयी है। 28 जून को इलाज के दौरान उसने अस्पताल में दम तोड़ दिया। परिवारवालों ने भी इसकी पुष्टि की है। मिली जानकारी के मुताबिक दो-तीन आतंकियों ने फैयाज अहमद के घर में घुसकर ताबड़तोड़ फायरिंग की। इस हमले में फैयाज अहमद के सिर में गोली लगी और वे मौके पर ही शहीद हो गए। जबकि उनकी बेटी और पत्नी को गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया था, लेकिन दोनों ने भी दम तोड़ दिया।
हमले के बाद से इलाके की घेराबंदी करके आतंकियों की तलाश की जा रही है। पुलिस के अनुसार, दो से तीन आतंकियों ने इस घटना को अंजाम दिया। फिलहाल किसी भी आतंकी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।