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जम्मूः 24 घंटे में दूसरी बार दिखा ड्रोन, भारत ने UN में भी उठाया मुद्दा, आखिरी कितना बड़ा है खतरा ?
सांकेतिक फाइल फोटो
जनज्वार ब्यूरो। जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर हुए हमले के पीछे कौन था इसका खुलासा अभी तक नहीं हो पाया है। अब इस हमल की जांच का जिम्मा एनआईए को सौंपा गया है। वहीं इस हमले के बाद लगातार तीसरे दिन और 24 घंटे में दो बार संदिग्ध ड्रोन को देखा गया है। जिसने देश की सरकार औऱ सेना की चिंता बढ़ा दी है। इस बीच वायुसेना के बेस पर ड्रोन से हुए आतंकी हमले का मसला भारत ने संयुक्त राष्ट्र में भी उठाया है। इधर 29 जून मंगलवार को शाम चार बजे पीएम मोदी की एक हाईलेवल मीटिंग होने की खबर आ रही है।
ड्रोन की संदिग्ध की गतिविधि
जम्मू में एकबार फिर ड्रोन देखा गया है। हालांकि, एयरफोर्स बेस पर ड्रोन हमले के बाद से सुरक्षा एजेंसियां चौकन्नी हो गयीं हैं। लेकिन जम्मू में लगातार ड्रोन का दिखना सामने आ रहा है। जम्मू के कुंजवानी-रत्नूचक में सोमवार रात फिर ड्रोन देखे जाने की खबर है। यह लगातार तीसरी बार और 24 घंटे में दूसरी बार है जब यहां ड्रोन देखा गया है। इससे पहले कालूचक मिलिट्री स्टेशन के पास ड्रोन दिखा था। जिसके बाद कुंजवानी-रत्नूचक में रात करीब तीन बजे ड्रोन दिखने की खबर है। सोमवार रात को जम्मू के कुंजवानी मिलिट्री स्टेशन के पास ड्रोन को देखा गया। सूत्रों के अनुसार, सुरक्षाकर्मियों ने सोमवार देर रात में करीब तीन बार अलग-अलग जगहों पर ड्रोन को उड़ता हुआ पाया। पहले ड्रोन को रात 1 बजे के आसपास रत्नुचक इलाके, उसके बाद करीब बजे कुंजवानी में और फिर सुबह 4 बजे के आसपास कुंजवानी इलाके में देखा गया। हालांकि ड्रोन थोड़े ही देर के बाद गायब हो गया।
इससे पहले शनिवार देर रात को वायुसेना स्टेशन के बाहर हुए ड्रोन हमले के बाद रविवार रात को भी कालूचक इलाके में ड्रोन को ऊंचाई पर उड़ते हुए देखा गया था।सूत्रों के मुताबिक ड्रोन काफी ऊंचाई पर उड़ रहा था और उसमें सफेद लाइट जल रही थी।
ड्रोन अटैक के कारण सैन्य प्रतिष्ठानों में एंटी ड्रोन गन सहित कमांडो तैनात किए गए हैं। खतरों के मद्देनजर किसी भी जगह ड्रोन उड़ता देख जवाबी कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा सभी सेना मुख्यालयों, यूनिटों, कैंपों में जवानों को अलर्ट किया गया है।
वायुसेना स्टेशन में भी एंटी ड्रोन गन वाले एनएसजी कमांडो तैनात किए गए हैं। हालांकि, सेना के प्रवक्ता ने कहा कि इसके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है, लेकिन सभी कैंप अलर्ट पर जरूर रखे गए हैं। लेकिन तीन दिनों से लगातार ड्रोन के दिखाई देने से सुरक्षा एजेंसियां चिंतित है और यह एक बड़ी चुनौती भी है।
पीएम की हाई लेवल मीटिंग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार 29 जून की शाम एक उच्च स्तरीय बैठक करने वाले हैं। इस मीटिंग में गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल होंगे। हालांकि, मीटिंग का एजेंडा क्या होगा यह अभी तक स्पष्ट नहीं है लेकिन जानकारी मिल रही है कि इसमें कई मुद्दों पर चर्चा हो सकती है।
मीडिया में आ रही जानकारी के मुताबिक, इस बैठक में देश की सुरक्षा से जुड़े कई बड़े अधिकारी भी हिस्सा लेंगे। वहीं जम्मू कश्मीर में एयरफोर्स बेस पर हुए ड्रोन अटैक को लेकर भी इसमें चर्चा हो सकती है। एयरफोर्स बेस पर हमले के बाद जम्मू कश्मीर में सभी सुरक्षा संस्थानों को अलर्ट पर रखा गया है।
एनआईए को जांच का जिम्मा
ये बात साफ हो चुकी है कि शनिवार 26 जून की रात को जम्मू के एयरफोर्स बेस पर दो अलग-अलग ड्रोन से हमला हुआ। अब पूरे मामले की जांच का जिम्मा एनआईए के हाथों में है। गृह मंत्रालय ने एनआईए को इस मामले की जांच सौंप दी है। एनआईए ने जांच शुरू करते हुए जम्मू कश्मीर पुलिस से इस केस में अभी तक हुई जांच के सभी दस्तावेज तलब किए हैं। इससे पहले, स्थानीय पुलिस और वायु सेना के अधिकारियों के साथ एनआईए, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड सहित कई एजेंसियां देश में अपनी तरह के पहले आतंकी हमले की जांच कर रही थीं
खबर है कि हमले में हाई ग्रेड एक्सप्लोसिव का इस्तेमाल हुआ है। यह RDX या TNT हो सकता है। अब तक की जांच में ये भी पता चला है कि हमले में इस्तेमाल ड्रोन को सीमा पार से ऑपरेट किया जा रहा था। एयरफोर्स स्टेशन को गूगल अर्थ पर देखा जा सकता है, इसलिए इलाके की रेकी करने का भी कोई मलतब नहीं है।
इधर एयरबेस हमले को लेकर देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह पूरी जानकारी लेंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मंगलवार को अपनी तीन दिवसीय लद्दाख यात्रा से राष्ट्रीय राजधानी में वापस आने के तुरंत बाद, उन्हें जम्मू ड्रोन हमले पर एक प्रजेंटेशन दी जाएगी। रक्षा सूत्रों के मुताबिक, भारतीय वायुसेना के शीर्ष अधिकारियों की एक टीम अन्य रक्षा अधिकारियों के साथ इस घटना पर जानकारी दी जायेगी।
इस दौरान सिंह को सेना और अन्य संबंधित अधिकारियों द्वारा जम्मू क्षेत्र में ड्रोन देखे जाने के मामलों में अचानक वृद्धि के बारे में भी बताया जाएगा। प्रेजेंटेशन के दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, थल सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवने और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया के भी मौजूद रहने की संभावना है।
ड्रोन हमले की आशंकित घटनाओं को लेकर एजेंसियां सतर्क है। इस तरह के हमलों से भारत अपने सैन्य ठिकानों को या सेना के जो काफिले जाते हैं, उनको कैसे बचाएगा। पुलवामा हमले में आतंकी ने विस्फोटक से भरी अपनी कार सीआरपीएफ के काफिले से टकरा दी थी, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे।
लेकिन अब आतंकियों को ऐसा करने की जरूरत नहीं होगी। क्योंकि जम्मू-कश्मीर के हाइवे पर कई ऐसी पहाड़ियां हैं, जिनपर आतंकी बैठ सकते हैं और उन पहाड़ियों के ऊपर से ड्रोन के जरिए विस्फोटक को सेना की किसी गाड़ी पर गिरा सकते हैं और अगर वो ड्रोन का इस्तेमाल करेंगे तो उन्हें तो कोई नुकसान नहीं होगा, लेकिन सेना को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है।