झारखंड : मजदूर की मौत से अनाथ हुए 4 मासूम, लाॅकडाउन में नहीं था रोजगार, यूपी से लौटा था खाली हाथ
(लॉकडाउन में मजदूर कमलेश चौधरी के परिवार की इतनी माली हालत हो गयी थी कि उन्हें भूखा रहना पड़ता था)
राहुल सिंह की रिपोर्ट
जनज्वार/गढवा। झारखंड के यूपी व छत्तीसगढ सीमा से सटे गढवा जिले में लॉकडाउन में कामबंदी से जूझ रहे एक मजदूर कमलेश चौधरी की मौत हो गयी। उसकी मौत के कारणों का भी स्पष्ट रूप से कुछ पता नहीं चला है, लेकिन उसका परिवार पिछले कुछ दिनों से लगातार भोजन के संकट से जूझ रहा था। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने स्थानीय प्रशासन के समक्ष इस मुद्दे को उठाया है और उसकी पत्नी व उसके चार बच्चों की स्वास्थ्य जांच कराने के साथ अन्य आवश्यक मदद की मांग की है।
घटना शनिवार 29 मई 2021 की सुबह की है। वह यूपी में मजदूरी करता था, लेकिन लाॅकडाउन के बाद से गढवा में ही किराये के कमरे में रह रहा था। उसकी मौत के बाद पहले तो कोई कंधा देने वाला भी सामने नहीं आया, हालांकि बाद में कुछ राजनीतिक कार्यकर्ताओं की पहल पर उसके पैतृक गांव में उसका अंतिम संस्कार किया गया।
मजदूर कमलेश चौधरी अपनी पत्नी व चार बच्चों के साथ गढवा शहर के चिनिया रोड में पुलिस लाइन के पास किराये के एक कमरे में रहता था। वह मूल रूप से गढवा थाना क्षेत्र के दुबे मरहटीया गांव का रहने वाला था, लेकिन परिवारवालों ने उसे घर से किसी वजह से निकाल दिया था। वह यूपी में मजदूरी करता था लेकिन लॉकडाउन के बाद से गढवा में ही था।
पिछले महीने के कोरोना की दूसरी लहर चलने के बाद विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए लॉकडाउन के दौरान वह रोजगार के संकट से गुजर रहा था। उसके परिवार की माली हालत डेढ महीने में इतनी बिगड़ गयी कि अक्सर घर वालों को भूखे रहना पड़ता था।
इस संकट के बीच सप्ताह भर पहले उसकी पत्नी ने चैथे बच्चे को जन्म दिया था। पर, आर्थिक संकट के बीच कमलेश के निधन के बाद उसके चार मासूम बच्चे बेसहारा हो गए हैं। जिस मुहल्ले में वह रहता था, वहां के रोहित कुमार नामक एक युवक ने उसके परिवार की मदद की अपील की है।
वहीं, गढवा जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष उपेंद्र नाथ दुबे ने इस मामले में जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी, निदेशक चाइल्ड लाइन गढवा एवं गढवा के बीडीओ को पत्र लिख कर आवश्यक कार्रवाई करने को कहा है। दुबे ने इन अधिकारियों को लिखे अपने पत्र में कहा है कि मजदूर शुक्रवार को भूखे पेट सोया था और अगली सुबह उसकी मौत हो गयी। वह कोरोना की दूसरी लहर में लाॅकडाउन में रोजगार के संकट से जूझ रहा था और उसका परिवार दाने-दाने को मोहताज हैं।
अतः कोरोना की दूसरी लहर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के तहत बाल कल्याण समिति त्वरित कार्रवाई का निर्देश देती है। जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि परिवार को सामाजिक सुरक्षा मुहैया करायी जाए एवं बच्चों को सीएनसीपी (CHILDREN IN NEED OF CARE & PROTECTION) उपलब्ध करावाया जाए। साथ ही मृतक कमलेश की पत्नी सहित चारों बच्चों की कोविड19 जांच करायी जाए ताकि यह पता चल सके कि इनमें कोई संक्रमित तो नहीं है।