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राष्ट्रीय

केरल पुलिस एक्ट में ऐसा क्या संशोधन हुआ है जिसके खिलाफ बीजेपी हाइकोर्ट चली गई?

Janjwar Desk
23 Nov 2020 10:30 AM IST
केरल पुलिस एक्ट में ऐसा क्या संशोधन हुआ है जिसके खिलाफ बीजेपी हाइकोर्ट चली गई?
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केरल सरकार का तर्क है कि सोशल मीडिया पर हेट स्पीच रोकने व लोगों को डराने, धमकाने व अपमानित करने की घटनाओ को रोकने के लिए यह कानून आवश्यक है, वहीं विपक्षी कांग्रेस व भाजपा का कहना है कि इससे पुलिस को असीमित ताकत मिल जाएगी...

जनज्वार। केरल में चुनावी साल में प्रवेश कर चुकी पी विजयन सरकार ने पुलिस अधिनियम संशोधन अध्यादेश (Kerala Police Act Amendment) तैयार किया है। इस अध्यादेश पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने हस्ताक्षर कर दिया है, जिससे यह प्रभावी हो गया है। इस अध्यादेश के बारे में कहा जा रहा है कि अपशब्द का प्रयोग भी किए जाने पर जेल की सजा हो सकती है। केरल सरकार इस अध्यादेश के जरिए महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ रही साइबर हिंसा को रोकना चाहती है।

केरल सरकार ने अपने फैसले के बचाव में कहा है कि सोशल मीडिया के जरिए हेट स्पीच व बढते अपराध के नियंत्रण के लिए आवश्यक है। मुख्यमंत्री पी विजयन ने कहा है कि समाज में किसी भी व्यक्ति का सम्मान जरूरी है। इसकी संवैधानिक मान्यता भी है और सरकार की इसे सुरक्षित करने की जिम्मेवारी है।

हालांकि इस एक्ट का विरोध करते हुए भाजपा ने हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। भाजपा की केरल इकाई के अध्यक्ष के सुंदरन ने हाइकोर्ट से केरल पुलिस एक्ट में संशोधन को रद्द करने की मांग की है। भाजपा और कांग्रेस लगातार इस अध्यादेश का विरोध कर रही है। कांग्रेस ने कहा है कि इससे पुलिस को असीमित ताकत मिल जाएगी और प्रेस के अधिकारों का भी हनन होगा।


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री पी दिचंबरम ने भी इस फैसले पर सवाल उठाया है और ट्विटर पर लिखा है केरल की लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट सरकार के सोशल मीडिया पर तथाकथित आपत्तिजनक पोस्ट करने के कारण पांच साल की सजा सुनकर स्तब्ध हूं। उन्होंने माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी से पूछा है कि इन अत्याचारी निर्णयों का वे बचाव कैसे करेंगे।


केरल पुलिस एक्ट संशोधन अध्यादेश में क्या है?

केरल पुलिस एक्ट संशोधन अध्यादेश में यह प्रावधान किया गया है कि सोशल मीडिया पर किसी व्यक्ति को डराने, अपमान करने या बदनाम करने पर सजा हो सकती है। ऐसे अपराध में पांच साल तक जेल की सजा और 10 हजार रुपये जुर्माना लगाया जा सकता है। इस अध्यादेश के जरिए पुलिस एक्ट की धारा 118 ए को मजबूत किया गया है।

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