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Bombay high court: होठों को चूमना, प्यार से छूना अप्राकृतिक अपराध नहीं है, बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला

Janjwar Desk
15 May 2022 11:07 PM IST
Bombay high court: होठों को चूमना, प्यार से छूना अप्राकृतिक अपराध नहीं है, बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला
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Bombay high court : होठों को चूमना, प्यार से छूना अप्राकृतिक अपराध नहीं है, बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला

Bombay high court: बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि होठों को चूमना और प्यार से किसी को छूना भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत अप्राकृतिक अपराध नहीं है और इसी के साथ अदालत ने एक नाबालिग लड़के के यौन शोषण के आरोपी शख्स को जमानत दे दी।

Bombay high court: बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि होठों को चूमना और प्यार से किसी को छूना भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत अप्राकृतिक अपराध नहीं है और इसी के साथ अदालत ने एक नाबालिग लड़के के यौन शोषण के आरोपी शख्स को जमानत दे दी।

न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई ने हाल में एक व्यक्ति को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। इस व्यक्ति को 14 साल के लड़के के पिता की शिकायत के बाद पिछले साल गिरफ्तार किया गया था। प्राथमिकी के अनुसार, लड़के के पिता ने पाया कि उनकी अलमारी से पैसे गायब हैं। लड़के ने उन्हें बताया कि उसने आरोपी शख्स को पैसे दिए हैं।

नाबालिग ने कहा कि वह ऑनलाइन गेम 'ओला पार्टी' का रिचार्ज कराने के लिए मुंबई में एक उपनगर में आरोपी शख्स की दुकान पर जाता था। लड़के ने आरोप लगाया कि एक दिन जब वह रिचार्ज कराने गया तो आरोपी ने उसके होठों को चूमा तथा उसके निजी अंगों को छूआ।

इसके बाद लड़के के पिता ने पुलिस में आरोपी के खिलाफ बाल यौन अपराध संरक्षण (पॉक्सो) कानून की संबंधित धाराओं तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत एक प्राथमिकी दर्ज करायी। धारा 377 के तहत शारीरिक संभोग या कोई अन्य अप्राकृतिक कृत्य दंडनीय अपराध के दायरे में आता है।

इसके तहत अधिकतम उम्रकैद की सजा हो सकती है और जमानत मिलना मुश्किल हो जाता है। न्यायमूर्ति प्रभुदेसाई ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि लड़के की मेडिकल जांच यौन शोषण के उसके आरोप का समर्थन नहीं करती है। उन्होंने कहा कि आरोपी के खिलाफ लगायी पॉक्सो की धाराओं के तहत अधिकतम पांच साल की सजा हो सकती है और उसे जमानत दी जा सकती है।

अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में अप्राकृतिक यौन संबंध की बात प्रथमदृष्टया लागू नहीं होती। उच्च न्यायालय ने कहा कि आरोपी पहले ही एक साल तक हिरासत में रहा है और मुकदमे की सुनवाई जल्द शुरू होने की संभावना नहीं है। उच्च न्यायालय ने कहा, ''उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए आवेदक जमानत का हकदार है।'' इसी के साथ आरोपी को 30,000 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी गयी।

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