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स्वास्थ्य

Long Covid Syndrome: देश में लॉन्ग कोविड से बढ़ रहा हार्ट अटैक और आत्महत्या का खतरा, हर 30वां भारतीय परेशान, ऐसे बचें

Janjwar Desk
17 Sept 2022 1:03 PM IST
Long Covid Syndrome: देश में लॉन्ग कोविड से बढ़ रहा हार्ट अटैक और आत्महत्या का खतरा, हर 30वां भारतीय परेशान, ऐसे बचें
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Long Covid Syndrome: पिछले 2 वर्षों से ज्यादा समय से पूरा विश्व कोविड नाम की महामारी से जूझ रहा है। इसी दौरान लंबे समय से कोविड को झेल रहे रोगियों में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति बढ़ी है। रिसर्च के मुताबिक, कोविड से ठीक हो चुके 5 में से 2 लोगों में लॉन्ग कोविड के लक्षण देखे जा रहे हैं।

मोना सिंह की रिपोर्ट

Long Covid Syndrome: पिछले 2 वर्षों से ज्यादा समय से पूरा विश्व कोविड नाम की महामारी से जूझ रहा है। इसी दौरान लंबे समय से कोविड को झेल रहे रोगियों में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति बढ़ी है। रिसर्च के मुताबिक, कोविड से ठीक हो चुके 5 में से 2 लोगों में लॉन्ग कोविड के लक्षण देखे जा रहे हैं। पूरी दुनिया में लॉन्ग कोविड की वजह से आत्महत्या करने वाले मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। सिर्फ कोरोना की वजह से आत्महत्या करने वालों के आधिकारिक डेटा अभी उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन एक्सपर्ट्स के अनुसार यह स्थिति चिंताजनक है। अगर इंडिया की बात करें तो यहां भी स्थिति भयावह है। एक्सपर्ट का कहना है कि हाल में कई स्टेज शो के दौरान या फिर डांस करते हुए जिन लोगों की अचानक हार्ट अटैक से मौत हुई उनमें भी पोस्ट कोविड यानी लॉन्ग कोविड का प्रभाव रहा होगा। यूनाइटेड किंग्डम के शोध और 204 देशों के ग्लोबल बर्डेन ऑफ़ डिजीज के आंकड़ों के अनुसार भारत में कोरोना संक्रमण के बाद लॉन्ग कोविड की वजह से लगभग 4 करोड़ लोग प्रभावित हैं। यानी देश की करीब 120 करोड़ आबादी मानी जाए तो हर 30वां भारतीय लॉन्ग कोविड से प्रभावित है।

क्या है लॉन्ग कोविड या पोस्ट कोविड सिंड्रोम?

ओपन फोरम ऑफ इनफेक्शियस डिजीज के अनुसार, लॉन्ग कोविड को जांचने के लिए कोई मेडिकल टेस्ट नहीं है, इसे केवल लक्षणों के आधार पर ही पहचाना जा सकता है। ये लक्षण 9 महीने से लेकर 2 साल तक भी टिके रह सकते हैं। कोरोना के ज्यादातर मरीज चार से पांच हफ्तों में पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। लेकिन कुछ मरीजों में चार पांच हफ्तों के बाद भी यानी की रिकवरी होने के बाद भी थकान, बुखार, गंध न आना, सिरदर्द जैसे 200 से ज्यादा लक्षण बने रहते हैं। यानी कि शरीर से वायरस निकल जाने के बाद भी कोरोना के लक्षण नहीं जाते और ऐसी स्थिति में कोरोना टेस्ट करवाने पर मरीज का कोरोना टेस्ट भी नेगेटिव ही आता है। लॉन्ग कोविड या पोस्ट कोविड सिंड्रोम के लक्षण महीनों या सालों तक बने रह सकते हैं।

लॉन्ग कोविड या पोस्ट कोविड सिंड्रोम के सामान्य लक्षण

लॉन्ग कोविड तीन प्रमुख लक्षण हैं। सांस लेने में दिक्कत होना। ध्यान केंद्रित करने में परेशानी या ब्रेन फॉग का होना। शरीर में थकान। जोड़ों में दर्द होना। इसमें क्वारंटाइन या आइसोलेट होने की जरूरत नहीं होती। इसके अलावा हरारत, थकान, स्वाद और गंध का ना आना, सांस लेने और बोलने में परेशानी होना, सीने में दर्द या दबाव महसूस होना, हार्टबीट अचानक बढ़ जाना, भूख न लगना, स्किन रैशेज होना, गले में खरास, बुखार, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द रहना, लड़कियों के पीरियड्स में बदलाव आना, मूड स्विंग होना। ये सब लॉन्ग कोविड के सामान्य लक्षणों में आते हैं। कोविड संक्रमण इम्यून सिस्टम को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर देता है। कोविड से रिकवर हुए लोगों के फेफड़े वायरस के संक्रमण की वजह से बहुत ज्यादा क्षतिग्रस्त हो चुके होते हैं। यहां तक कि 35- 40 की उम्र के जवान और फिट लोगों के फेफड़ों की स्थिति भी कोविड संक्रमण से जूझने के बाद गंभीर पाई गई है। ऐसे में मरीजों को लंबे समय तक फेफड़ों से संबंधित दिक्कत होना, पैर और फेफड़ों में क्लॉट्स के बनने जैसी तकलीफें भी सामने आ रही हैं। ब्लड क्लॉट्स बनने की वजह से हार्ट अटैक का खतरा भी बड़ा है।

हाल में ही अचानक डांस करते हुए या फिर भीड़-भाड़ वाली जगह पर एक्टिंग करते हुए लोगों की अचानक हार्ट अटैक होने से मौत की खबरें आईं। हालांकि, इनमें इस बात की पूरी तरह से पुष्टि नहीं हो पाई कि ये पोस्ट कोविड का ही असर था। लेकिन ये संकेत मिलते हैं कि लॉन्ग कोविड की वजह से उनके फेफेड़ों में परेशानी थी और मौत की वजह बन सकती है।

पुरुषों की तुलना में महिलाएं लॉन्ग कोविड की शिकार ज्यादा होती हैं

पियर रिव्यू जर्नल करंट मेडिकल रिसर्च एंड ओपिनियन में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार, महिलाओं में लॉन्ग कोविड होने की संभावना पुरुषों के मुकाबले 22 प्रतिशत ज्यादा होती है। इसके अलावा महिलाओं और पुरुषों में लॉन्ग कोविड के लक्षण भी अलग-अलग होते हैं।

महिलाओं में लॉन्ग कोविड के लक्षण

मूड ऑफ रहना, सिरदर्द, त्वचा संबंधी समस्याएं, थकान, पाचन और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर्स।

पुरुषों में लॉन्ग कोविड के लक्षण

डायबिटीज, किडनी डिसऑर्डर लंग्स से संबंधित दिक्कतें, बॉडी में सुन्नता, झुनझुनी, जोड़ों में दर्द और सीने में दर्द।

आत्महत्या कर रहे हैं लॉन्ग कोविड के मरीज

अमेरिकी जर्नल रायटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के डॉलास में रहने वाले 56 साल के स्कॉट टेलर 2020 में कोरोना से संक्रमित हुए थे। लेकिन संक्रमण मुक्त होने के 18 महीने बाद भी वह कोरोना के लक्षणों से उबर नहीं पाए। अंत में अपनी शारीरिक, मानसिक और आर्थिक स्थिति से परेशान टेलर ने आत्महत्या कर ली। दूसरा मामला है कसांस की हीडी टेलर का है। वह 50 वर्ष की थीं और संक्रमण मुक्त होने के बाद भी अनिद्रा, दर्द और झटके आने जैसी परेशानियों से जूझ रही थी। तंग आकर मई 2021 में उन्होंने आत्महत्या कर ली। लॉन्ग कोविड सपोर्ट ग्रुप बॉडी पॉलिटिक की बोर्ड मेंबर लॉरेन निकोल्स खुद भी लॉन्ग कोविड से 2 सालों से जूझ रही हैं और उनका कहना है कि कई बार आत्महत्या के विचार उनके मन में भी आ चुके हैं। वे कहती हैं कि लॉन्ग कोविड की वजह से उनकी जान पहचान के लगभग 50 से ज्यादा लोग आत्महत्या कर चुके हैं।

लॉन्ग कोविड से बचने के उपाय

अगर कोरोना से उबरने के बाद भी उसके लक्षण नहीं जा रहें हैं तो इससे बचने के लिए क्या किया जा सकता है। आइए देखते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, लॉन्ग कोविड के लिए 35 से 40 की उम्र के लोग ज्यादा संवेदनशील पाए गए हैं। इसलिए इस आयु वर्ग के लोग जो कोरोना से ठीक हो चुकें हैं, उनमें फेफड़ों से संबंधित बीमारियां ब्लड सरकुलेशन, हार्ट से संबंधित परेशानियां ज्यादा पाई जा रहीं हैं। इसलिए अगर कमजोरी वाले लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर को दिखाकर पूरा बॉडी चेकअप जरूर कराएं। खासतौर पर फेफड़ों की जांच भी जरूर कराकर समय पर इलाज कराएं।

दरअसल, लॉन्ग कोविड फेफड़ों के अलावा शरीर के अन्य अंगों जैसे लीवर, मस्तिष्क, किडनी और हार्ट को भी नुकसान पहुंचाता है। इस वायरस की वजह से शरीर में रक्त के थक्के बन जाते हैं। इस वजह से हार्ट अटैक जैसी समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है। कोरोना से ठीक होने वाले 30 वर्ष से कम उम्र के रोगियों में भी हार्टअटैक की समस्या देखी गई है।

लॉन्ग टर्म कोविड में ब्रेन फॉग की समस्या यानी सोचने विचारने की क्षमता प्रभावित होने की समस्या भी बेहद आम है। इन सब समस्याओं से बचने के लिए अच्छी डाइट लें। समय-समय पर पानी पिए। प्रोटीन का सही मात्रा में सेवन करें और अपने शरीर को हाइड्रेट रखें। आत्महत्या, इंजाइटी, डिप्रेशन जैसे नकारात्मक विचारों का बार बार आना, मन उदास होना यह ऐसी चीजें हैं जहां दवाइयों का रोल ज्यादा नहीं है। इसके लिए एक्सरसाइज, डाइट, योगा मेडिटेशन पर ध्यान देने से नकारात्मक विचारों से उबरा जा सकता है। स्टडी के अनुसार, कोविड के इलाज में स्टेरॉइड के इस्तेमाल से लॉन्ग कोविड की समस्या सामने आ रही है। इसीलिए कोविड के इलाज के लिए स्टेरॉइड का इस्तेमाल विशेष परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिए।

कोरोना के इस वैरिएंट की वजह से होता है लॉन्ग कोविड का खतरा ज्यादा

बीते 2 सालों में कोरोना वायरस के दर्जनों वेरिएंट्स सामने आ चुके हैं। और यह एक दूसरे से काफी अलग-अलग थे। इनमें सबसे ज्यादा खतरनाक ओमीक्रोन और डेल्टा वेरिएंट्स को माना गया है। अध्ययन के मुताबिक, ओमीक्रोन से संक्रमित 56000 लोगों में से 4.5% लोगों में लॉन्ग कोविड के लक्षण देखे गए। वहीं, शोध में शामिल डेल्टा वैरिएंट से प्रभावित 41,361 लोगों में से 4,469 यानी कि 10.8% लोगों में लॉन्ग कोविड के लक्षण देखने को मिले हैं। इसलिए लॉन्ग कोविड का खतरा खासतौर पर डेल्टा वैरिएंट के समय कोविड से पीड़ित लोगों में ज्यादा देखने को मिल रहा है। जबकि ओमीक्रोन के दौरान लॉन्ग कोविड का खतरा 50% कम था।

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