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मोदी के किसान बिल का दिखने लगा असर, मंडी बंद होने से खुले बाजार में 4000 की जगह 2500 रुपये क्विंटल सोयाबीन बेच रहे किसान
मंदसौर। केंद्र की मोदी सरकार ने हाल ही में तीन कृषि विधेयकों के पारित किया है, इन विधेयकों राष्ट्रपति से मंजूरी भी दे दी गई। इसको लेकर विपक्षी राजनीतिक दलों और किसानों की ओर से हंगामा अब भी चल रहा है। लेकिन इन पारित विधेयकों का असर अब दिखने लगा है।
मध्यप्रदेश की कृषि उपज मंडियों में कर्मचारियों की हड़ताल से नीलामी प्रक्रिया बंद है। जिसके चलते व्यापारी किसानों के खेत पर जाकर यानि सड़क व गली-मोहल्लों में उपज की नीलामी कर रहा है। किसान 4 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक बिकने वाली सोयाबीन 2500 रुपए के दाम में बेच रहे हैं। अब किसानों की मजबूरी है कि उसे नई फसल की तैयारी करना है, वहीं बाजार से लिया कर्ज भी चुकाना है।
मंदसौर तहसील के कई गांवों से किसान उपज को लेकर कृषि उपज मंडी पहुंच रहे हैं। मंडी में अवकाश होने से किसान उपज कृषि मंडी के बाहर रेलवे स्टेशन रोड, गरोठ रोड, सुवासरा रोड पर लगी व्यापारियों की दुकानों पर जाकर बेच रहे हैं। यहां व्यापारी किसानों की मजबूरी का लाभ उठा रहे हैं। औने-पौने दामों पर सोयाबीन व मक्का उपज की खरीदी कर रहे हैं।
दूसरी ओर खेतों में सोयाबीन-मक्का की कटाई शुरू हो गई है। उपज की खरीदी के लिए व्यापारी किसानों के खेत एवं खलिहान तक पहुंच रहे हैं। मंडी बंद होने का असर यह हुआ कि किसानों को सोयाबीन एवं मक्का के दाम समर्थन मूल्य से 30% तक कम मिल रहे हैं। वहीं मंडी कर्मचारी व अधिकारी मंडी खुलने के इंतजार में हैं ताकि वह किसानों को नीलामी के माध्यम से उनकी उपज का उचित दाम दिला सकें।
खबरों के मुताबिक नए मंडी मॉडल एक्ट को लेकर मंडी कर्मचारी व अधिकारी हड़ताल पर हैं। सिर्फ मंडी में सब्जी और प्याज की नीलामी हो रही है। अन्य उपज की नीलामी मंडी गेट के बाहर हो रही है। प्रशासनिक शिकंजा नहीं होने से व्यापारी मनमाफिक दाम पर खरीदी कर रहे हैं।
मंडी सचिव अरविंदसिंह दीक्षित ने कहा, 'नए मॉडल एक्ट से व्यापारी स्वतंत्र हो गया है। इसकी वजह से वह मंडी नहीं खुलने के बाद भी मंडी से बाहर किसानों की उपज के दाम उनकी मर्जी के हिसाब से तय कर रहे हैं। इसका हम कुछ नहीं कर सकते, सरकार ने सभी अधिकार मंडी प्रशासन से छीन लिए हैं।'
मकड़ावन के रणजीतसिंह ने कहा, 'कोरोना वायरस के चलते सोयाबीन की फलियों में इल्लियां लग गई हैं। जब फसल कटने को आई तब बारिश से फलियों के दानों में अंकुरण आ गया। ऐसे में प्रति एकड़ 4 क्विंटल सोयाबीन की पैदावार हाे रही है।'
भेरूलाल राठौर ने बताया नए मॉडल एक्ट में खलिहान और खेत में एवं मंडी से बाहर भी उपज के लिए किसान स्वतंत्र है। उपज का अच्छा रेट एवं दाम मंडी के अंदर ही मिल सकता है। जहां हमारी फसल की सुरक्षा भी रहेगी, वही अच्छे दाम भी मिलेगी। जबकि शासन ने सोयाबीन का समर्थन मूल्य 3860 रुपए व मक्के का 1860 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित कर रखा है।
उन्होंने बताया कि व्यापारी सोयाबीन के साथ मक्का भी कम दामों में खरीद रहा है। वह किसानों को 700 रुपए क्विंटल तक के दाम दे रहा है, जबकि किसान इस भाव में बेचने को तैयार नहीं है।
नए मंडी एक्ट को लेकर मंडी कर्मचारी 6 दिन से हड़ताल पर हैं। कुछ दिन पूर्व भी कर्मचारियों ने हड़ताल की थी। आश्वासन के बाद स्थगित कर दी थी। वक्त पर मांगें नहीं मानने पर कर्मचारी दोबारा हड़ताल पर चले गए। भोपाल में लगातार बैठक के हो रही हैं लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल रहा है।