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फसल खराब होने पर 2 किसानों ने की खुदकुशी, शिवराज के कैबिनेट मंत्री बोले दिमाग खराब था इसलिए की आत्महत्या
सीहोर। कोरोना महामारी के बीच आत्महत्याओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा मामला मध्यप्रदेश के सिहोर का है जहां एक ही दिन के भीतर दो आत्महत्याओं का मामला सामने आया है। सिहोर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह जनपद भी है।
जानकारी के मुताबिक ये जो दो आत्महत्या के मामले सामने आए हैं उनमें से एक गुड़भेला गांव की खबर है जबकि दूसरा जावर तहसील के कुर्लीकला गांव की है। यहां भी किसान रमेश गोपीलाल ने सोयाबीन की फसल खराब होने की वजह से अपने घर में ही फांसी लगाकर जान दे दी।
बताया जा रहा है कि किसान गोपीलाल के ऊपर करीब पांच लाख रूपये का कर्ज था जो उसने बैंक व अन्य संस्थाओं से लिया था। उनके परिजनों का कहना है कि वह पिछले कुछ दिनों से गुमसुम से रहते थे। उन्हें कर्ज चुकाने के लिए नोटिस भी दिया गया था।
रमेश गोपीलाल के परिवार में उसके बुजुर्ग माता-पिता, पत्नी और दो बच्चे हैं, पिता लकवाग्रस्त हैं। उनके बेटे ने बताया कि पिता सोयाबीन की फसल खराब होने और कर्ज की वजह से परेशान थे। पिता के इलाज में भी परेशानी आ रही थी। किसान के पास 5 बीघा जमीन थी। इसी खेती पर पूरा परिवार आश्रित था। किसान को कर्ज चुकाने के लिए लगातार नोटिस आ रहे थे जिसकी वजह से वह परेशान थे। इस परेशानी से पार पाने का उसे कोई रास्ता नहीं सूझा तो अपने घर पर ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
वहीं दूसरी घटना सीहोर जिले के गुडभेला गांव की है जहां किसान बाबूलाल वर्मा ने अपने खेत में पेड़ से लटक कर आत्महत्या कर ली। बाबूलाल भी अपनी फसल खराब हो जाने से दुखी थे। लेकिन इस पूरे मामले में सत्तानशीं बीजेपी की बेहद असंवेदनशील प्रतिक्रिया सामने आई है।
दरअसल विपक्ष के सवाल उठाने पर शिवराज सिंह कैबिनेट के एक मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि किसान का दिमाग खराब था इसलिए उसने आत्महत्या की। किसान और दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्या के मामले में देश में चौथे नंबर के राज्य में किसान फसल खराब होने और कर्ज से परेशान होकर आत्महत्याएं कर रहे हैं। विपक्ष सरकार की नीतियों को गलत बता रहा है तो सरकार इस आत्महत्याओं से पल्ला झाड़ने के लिए बीमारी, मानसिक हालत जैसे कारण खोज रही है। सरकार की बेरुखी और विपक्ष के तेवर के बीच किसानों की मौत का सिलसिला जारी है।