8 लाख की आय EWS तो 2.5 लाख से ज्यादा आय वाले क्यों दें इनकम टैक्स, मद्रास HC ने कई केंद्रीय मंत्रालयों से मांगा जवाब
8 लाख की आय EWS तो 2.5 लाख से ज्यादा आय वाले क्यों दें इनकम टैक्स, मद्रास HC ने कई केंद्रीय मंत्रालयों से मांगा जवाब
Madras High court : मद्रास उच्च न्यायालय में एक दिन पहले एक याचिका पर सुनवाई के बाद केंद्र सरकार के कई मंत्रालयों से एक साथ हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने केंद्रीय मंत्रालयों से पूछा है कि जब आप आठ लाख रुपए से कम आय वाले को ईडब्लूएस मानते हैं तो फिर ढ़ाई लाख से ज्यादा आय वाले इंकम टैक्स क्यों दें।
दरअसल, मद्रास हाईकोर्ट में दायर एक याचिका के तहत पूछा गया है कि यदि सालाना 8 लाख रुपये से कम आय वाले लोग आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) हैं, तो 2.50 लाख रुपये से अधिक आय वाले लोगों को आयकर का भुगतान क्यों करना चाहिए? क्या यह कानून की नजरों में जाति के आधार पर असमान व्यवहार नहीं है।
इस मसले पर सोमवार को सुनवाई के बाद मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र के कानून और न्याय मंत्रालय, वित्त कार्मिक और लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय को नोटिस जारी कर केंद्र से जवाब मांगा है। अदालत ने संबंधित मंत्रालयों को चार सप्ताह अंदर जवाब दाखिल करने को कहा है।
मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै खंडपीठ ने 103वें संवैधानिक संशोधन की वैधता को बनाए रखने वाले उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले के आलोक में आयकर संग्रह के उद्देश्य से आधार आय के रूप में 2.5 लाख के निर्धारण को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति आर महादेवन और न्यायमूर्ति सत्य नारायण प्रसाद की पीठ ने सोमवार को केंद्रीय कानून और न्याय, वित्त कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालयों को नोटिस देने का आदेश दिया और मामले को 4 सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया।
कृषक और एसेट प्रोटेक्शन काउंसिल (DMK पार्टी) के सदस्य व याचिकाकर्ता कुन्नूर सेनिवासन ने आयकर की दर तय करने वाले वित्त अधिनियम 2022 की पहली अनुसूची भाग-I, पैराग्राफ-A को रद्द करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया। अनुसूची के मुताबिक कोई भी व्यक्ति जिसकी कुल आय रुपये से अधिक नहीं 7,99,999 उसे टैक्स देने की जरूरत नहीं है। याचिकाकर्ता ने जनहित अबियान बनाम भारत संघ में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर इस अनुसूची को चुनौती दी, जिसमें आर्थिक रूप से पृष्ठभूमि समाज के लिए 10% आरक्षण को बरकरार रखते हुए सर्वोच्च अदालत ने पुष्टि की कि एक सामाजिक रूप से अगड़े समुदाय का परिवार जिसकी आय 7,99,999 प्रति वर्ष की सीमा तक है, तो फिर ढ़ाई ालख रुपए आय वाले के लिए टैक्स भरना जरूरी क्यों?