Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

Nupur Sharma News : 'सुप्रीम कोर्ट ने 'लक्ष्मण रेखा' लांघी है', नूपुर शर्मा पर SC की सख्त टिप्पणी से नाराज 117 हस्तियों ने लिखा खुला खत

Janjwar Desk
5 July 2022 11:39 AM GMT
Prophet Mohammad Row : नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी का आदेश देने से इनकार, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
x

Prophet Mohammad Row : नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी का आदेश देने से इनकार, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

Nupur Sharma News : देश के 15 पूर्व जजों, अखिल भारतीय सेवा के 77 पूर्व अधिकारियों और 25 रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों ने खुला खत लिखकर सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाए हैं...

Nupur Sharma News : भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी पर शुरू हुआ विरोध थमा नहीं है। बता दें कि देश के 15 पूर्व जजों, अखिल भारतीय सेवा के 77 पूर्व अधिकारियों और 25 रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों ने खुला खत लिखकर सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाए हैं। पूर्व जजों और ब्यूरोक्रेट्स के समूह ने आज मंगलवार को SC की टिप्पणी की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि देश की सबसे बड़ी अदालत ने लक्ष्मण रेखा लांघी है। तत्काल सुधार के लिए कदम उठाने की मांग की गई है।

नूपुर शर्मा की बेकाबू जुबान का दोष

लेटर में कहा गया कि ये दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणियां ऐसा दाग हैं, जिसे मिटाया नहीं जा सकता है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने नूपुर शर्मा की विवादित टिप्पणी को लेकर उन्हें कड़ी फटकार लगाई थी। SC ने कहा था कि उनकी (नूपुर की) 'बेकाबू जुबान' ने पूरे देश को आग में झोंक दिया। देश में जो कुछ हो रहा है उसके लिए वह अकेले जिम्मेदार हैं। अब इस टिप्पणी के विरोध में खुला खत सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को भेजा गया है।

117 हस्तियों ने हस्ताक्षर के साथ जारी किया बयान

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा की विवादित टिप्पणी को लेकर कई राज्यों में दर्ज केस को एक साथ जोड़ने संबंधी अर्जी खारिज कर दी थी। साथ ही कहा था कि उन्होंने पैगंबर मोहम्मद के बारे में टिप्पणी सस्ता प्रचार पाने या किसी राजनीतिक एजेंडे के तहत या किसी घृणित गतिविधि के तहत की। अब 117 हस्तियों ने अपने हस्ताक्षर के साथ बयान जारी सुप्रीम कोर्ट को घेरा है।

न्याय प्रणाली पर लगा दाग मिटाया नहीं जा सकता

बता दें कि लेटर में कहा गया है कि 'न्यायपालिका के इतिहास में, यह दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणी या बेमेल है और सबसे बड़े लोकतंत्र की न्याय प्रणाली पर ऐसा दाग है, जिसे मिटाया नहीं जा सकता। इस मामले में तत्काल सुधारात्मक कदम उठाए जाने का आह्वान किया जाता है क्योंकि इसके लोकतांत्रिक मूल्यों और देश की सुरक्षा और संभावित गंभीर परिणाम हो सकते हैं।'

पूर्व जजों और रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों ने की हस्ताक्षर

बता दें कि इस बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में बॉम्बे हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश क्षितिज व्यास, गुजरात हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एस एम सोनी, राजस्थान हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति आर एस राठौर, न्यायमूर्ति प्रशांत अग्रवाल और दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एसएन ढींगरा शामिल हैं। पूर्व आईएएस अधिकारी आरएस गोपालन और एस. कृष्ण कुमार, राजदूत (सेवानिवृत्त) निरंजन देसाई, पूर्व पुलिस महानिदेशक एसपी वैद और बीएल वोहरा, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) वीके चतुर्वेदी और एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) एसपी सिंह ने भी बयान पर हस्ताक्षर किए हैं। बयान में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां न्यायिक लोकाचार से मेल नहीं खातीं। बयान में कहा गया है, 'ये टिप्पणियां न्यायिक आदेश का हिस्सा नहीं हैं। उन्हें न्यायिक औचित्य और निष्पक्षता के आधार पर किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता है।'

सुप्रीम कोर्ट के टिप्पणियों की निंदा

बता दें कि बयान में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों की निंदा करते हुए कहा गया है कि 'जिम्मेदार नागरिक के तौर पर यह मानते हैं कि किसी भी देश का लोकतंत्र तब तक ही बरकरार रहेगा, जब तक कि सभी संस्थाएं संविधान के अनुसार अपने कर्तव्यों का पालन करती रहेंगी। सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की हालिया टिप्पणियों ने लक्ष्मण रेखा पार कर दी है और हमें एक खुला बयान जारी करने के लिए मजबूर किया है। दुर्भाग्यपूर्ण और अप्रत्याशित टिप्पणियों के कारण देश और विदेश में लोग हतप्रभ हैं।'

Next Story

विविध