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मन की बात को लोगों ने कहा 'मन की बकवास', ट्रेंड कराया भाजपा हटाओ बिहार बचाओ

Janjwar Desk
25 Oct 2020 10:56 PM IST
मन की बात को लोगों ने कहा मन की बकवास, ट्रेंड कराया भाजपा हटाओ बिहार बचाओ
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Photo:social media

कुछ यूजर जहां कोरोना काल में बिहार के प्रवासी मजदूरों के पलायन के दौरान केंद्र की मोदी सरकार और बिहार की नीतीश सरकार की विफलता को लिख रहे हैं, वहीं कुछ यूजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात को बकवास बताते हुए बेरोजगारी पर सवाल पूछ रहे हैं....

जनज्वार। बिहार चुनावों के बीच सोशल मीडिया एकाउंट ट्विटर पर #भाजपा_हटाओ_बिहार_बचाओ हैशटैग ट्रेंड कर रहा है। ट्विटर पर यूजर बेरोजगारी जैसी गंभीर समस्याओं के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराते हुए इस हैशटैग को ट्रेंड करा रहे हैं।

कुछ यूजर जहां कोरोना काल में बिहार के प्रवासी मजदूरों के पलायन के दौरान केंद्र की मोदी सरकार और बिहार की नीतीश सरकार की विफलता को लिख रहे हैं, वहीं कुछ यूजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात को बकवास बताते हुए बेरोजगारी पर सवाल पूछ रहे हैं।

ट्विटर पर नीतीश गौर नाम के एक यूजर हैंडल ने लिखा 'बीजेपी:हमें वोट दो, बिहार:भागो यहां से।' इस यूजर ने कोरोना के समय के पलायन की तस्वीर भी लगाई है।


वहीं आर्यन कुमार नाम के एक अन्य हैंडल से लिखा गया है 'बीजेपी को वोट मांगने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है, क्योंकि उसने मजदूरों और गरीबों की कोई मदद नहीं की।'


द वरियर नाम के एक ट्विटर हैंडल से लिखा गया है 'हिप्पोक्रेसी की भी एक सीमा होती है। हम बिहार के लोग कोरोना काल के पलायन के दर्द को न भूलने वाले हैं, न छोड़ने वाले हैं।


वैसे तो बिहार चुनावों में इस बार बेरोजगारी एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना हुआ है। चूंकि कोरोना काल में किए गए लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की हालत देश-विदेश की मीडिया की सुर्खियां बना। बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हुए और वापस आए लोग अभी भी एक तरह से बेरोजगारी का दंश ही झेल रहे है।

दूसरे प्रदेशों से लाखों लोग उस दौर में बिहार वापस आए और उन्हें उम्मीद थी कि इस बार उन्हें यहां काम मिल जाएगा, पर ऐसा हुआ नहीं और बड़ी संख्या में ये प्रवासी फिर से दूसरे राज्यों को पलायन कर गए।

इस बार के चुनाव में राज्य के विपक्षी दलों ने बेरोजगारी को मुख्य मुद्दा बना लिया है। महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के उमीदवार तेजस्वी यादव ने अपनी पार्टी के घोषणा पत्र में कैबिनेट की पहली बैठक में 10 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देने का वादा कर इसे प्रमुख मुद्दा बना दिया है। बाद में बीजेपी ने भी अपने घोषणा पत्र में 19 लाख लोगों को 5 साल में रोजगार देने की बात कही।

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