जग्गी वासुदेव ने मां के दूध पर फिर किया विवादास्पद दावा, जानकार डॉक्टरों ने कहा बंद होनी चाहिए बकवास
जग्गी वासुदेव ने मां के दूध पर फिर किया विवादास्पद दावा, जानकार डॉक्टरों ने कहा बंद होनी चाहिए बकवास
नई दिल्ली। मेल, फीमेल या ट्विन बेबी होने से मां के दूध की क्वालिटी ( Quality of mother milk ) में अंतर होता है। आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव ( Jaggi Vasudev ) के इस दावे को लेकर एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है। ट्विटर यूजर जग्गी वासुदेव ( Spiritual Guru Jaggi Vasudev ) के इस बयान को लेकर लोग तरह-तरह के कमेंट कर रहे हैं। लोग आध्यात्मिक गुरु से पूछ रहे हैं कि बताओ गुरु, फिर तो मां के दूध ( mother milk ) का स्वाद स्ट्राबेरी और ब्लूबेरी जैसा भी होता होगा। ट्विटर पर जारी इस बहस का सार्थक अंत नहीं होगा, लेकिन इसका नतीजा यह होगा कि बहुत से लोग जग्गी वासुदेव के बयान को ही सही मान लेंगे, जबकि मेडिकल साइंस के अभी तक के शोध में इस बात का दावा किसी भी देश के चिकित्सक ने नहीं किया है।
जग्गी वासुदेव ने क्या कहा?
आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव ( Jaggi Vasudev ) का कहना है कि अगर आप वास्तव में यह नहीं जानते हैं कि शरीर के इंटेलिजेंस का स्तर क्या है तो मैं आपको बता दूं कि अगर एक महिला मेल चाइल्ड को जन्म देती है तो उसके दूध का टेस्ट और क्वालिटी अलग होता है। अगर वो फीमेल बच्चे को जन्म देती है तो दूध का क्वालिटी अलग होता है। अगर वो जुड़वा बच्चे को जन्म देती है तो महिला के एक एक ब्रेस्ट के दूध का क्वालिटी दूसरे बेस्ट के क्वालिटी से अलग होता है। कुल मिलाकर उनका कहना है कि बेबी मेल, फीमेल और ट्विन होने पर मां के दूध का क्वालिटी अलग-अलग होता है।
फिर तो एक का स्वाद स्ट्राबेरी और दूसरे का ब्लूबेरी होगा - सही कहा न वासुदेव
"When a woman delivers twins, one male and one female, one breast will produce one type of milk and the other breast will produce another type of milk."
— Dr. Jonathan N. Stea (@jonathanstea) September 28, 2022
- Jaggi Vasudev, spiritual guru
Um. 😒
h/t @l_krishnan @theliverdr pic.twitter.com/q2O0Xkztk4
इस पर क्लिनिकल साइकॉलोजिस्ट जोनाथन एन स्टी ने जग्गी वासुदेव ( Jaggi Vasudev ) के बयान का हिस्सा उन्हीं के शब्दों में वीडियो क्लिप के साथ पोस्ट किया है। जोनाथन में अपने पोस्ट के अंत में वासुदेव का नाम - आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव लिखा है। उसके बाद से सोशल मीडिया पर लोग वासुदेव के ज्ञान पर तरह-तरह के तंज कस रहे हैं। इट्टी रफल ने जोनाथन, कृष्णन, डॉ लिवर व अन्य को रिप्लाई करते हुए तंजिया लहजे में पूछा है - अच्छा, ये बताओ - इसमें से एक एक का स्वाद स्थायी होगा दूसरे का चॉकलेट फ्लेवर में भी होता है क्या? एक अन्य ट्विटर यूजर सिल्की ने जग्गी सहित अन्य का मजा लेते हुए पूछा है - हां, सही कह रहे हो, एक का स्वाद स्ट्राबेरी और दूसरे का ब्लूबेरी फ्लेवर में होता है।
इस बहस को आगे बढ़ाते हुए सी लौरा ने लिखा है - दो गाल भी होते हैं। एक मीठा होता है और एक खट्टा। अगर आप एक तरफ झुकेंगे तो वो मीठा होगा दूसरी तरफ झुकेंगे तो वो खट्टा होगा। ऐसा ही है न गुरु वासुदेव।
बेबी से दूध की क्वालिटी में नहीं पड़ता फर्क : डॉ. मेघा जैन
ब्रेन जिम क्लिनिक मेरठ की आपरेटर व गायनी एक्सपर्ट डॉक्टर मेघा जैन ( Dr. Megha Jain ) का कहना है कि ऐसा कुछ नहीं होता है। बेबी मेल हो या फीमेल या ट्विन उससे दूध की क्वालिटी में फर्क नहीं पड़ता है। मां का हारमोन दोनों स्थिति में सेम होते हैं। दूध की क्वालिटी में बदलाव मेल या फीमेल बेबी की वजह से नहीं बल्कि मेल या फीमेल बॉडी के मशल्स स्ट्रक्चर होने की वजह से होता है। मेडिकल साइंस के शोध में अभी यह पता चला है कि बेबी फीमेल होने पर मां के दूध में वाटर और कैलसियम का कंटेट ज्यादा होता है। बेटी मेल होने पर दूध में प्रोटीन और फैट ज्यादा होता है। टिवंस होने की स्थिति में दूश में प्रोटीन और वाटर प्रचुर मात्रा में होता है। कुछ समय बाद फैट भी काफी ज्यादा हो जाता है। मेडिकल साइंस की अभी तक के रिसर्च में दूध की क्वालिटी में अंतर होने का दावा नहीं करता। मेघा जैन का कहना है कि यहां पर एक और बात का जिक्र करना जरूरी है कि अगर प्रेग्नेंसी के दौरान मां का खान-पान अच्छा है तो दूध की क्वालिट अच्छी होती है। अगर प्रेग्नेंसी के बाद भी महिलाएं खान-पान बेहतर कर लें तो दूध की क्वालिटी में सुधार हो जाता है।
वासुदेव को बताना चाहिए कि उनके दावे का आधार क्या है : डॉ. मौसमी सिंह
दूध के कंटेंट में वहीं दिल्ली की गायनी एक्सपर्ट डॉक्टर मौसमी सिंह ( Dr. mausmi Singh ) का कहना है कि इस मसले पर मेडिकल साइंस में दावे के साथ कुछ नहीं कहा गया है। बेबी मेल या फीमेल होने पर दूध के कंटेट में अंतर होता है। ऐसा मेल या फिमेल चाइल्ड के बॉडी स्ट्रक्चर की वजह से होता है। जहां तक जग्गी वासुदेव के तर्क की बात है तो यह जानना जरूरी है कि वो आध्यात्मिकता के आधार पर ऐसा कह रहे हैं या उनके पास कोई पुख्ता सबूत है। अगर है तो उन्हें स्पष्ट करना चाहिए। या फिर ये भी हो सकता है कि दूध में मौजूद कंटेंट को ही वो क्वालिटी बता रहे हों।
कहने का मतलब यह है कि आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव ( Jaggi Vasudev ) का दावा अभी वैज्ञानिक तरीके से प्रूवेन नहीं है। आम आदमी इतनी गहराई में नहीं जाता। लोग वासुदेव को उनके नाम और प्रभाव से जानते हैं, इसलिए उनका बयान वैज्ञानिक रूप से प्रूवेन न होने की कारण लोग कंफ्यूज हो सकते हैं। ऐसे में औसत समझ वाले लोग उनके कहे को ही सत्य मान लेने की गलती कर सकते हैं।