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आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए देसी नस्ल के कुत्तों पर अनुसंधान शुरू, कल ही पीएम ने दिया था सुझाव

Janjwar Desk
31 Aug 2020 8:29 PM IST
आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए देसी नस्ल के कुत्तों पर अनुसंधान शुरू, कल ही पीएम ने दिया था सुझाव
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नई दिल्ली। मोदी सरकार के 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' के तहत देसी वस्तुओं के साथ-साथ देसी नस्ल के पशुओं की उपयोगिता को भी तवज्जो दिया जा रहा है। इस कड़ी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) देसी नस्ल के कुत्तों पर शोध कर रहा है, जिसका जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में किया था। आईसीएआर के वैज्ञानिक बताते हैं कि देश के चर्चित डॉग के ब्रीड की पहचान की गई है और उनके पोटेंशियल का किस प्रकार इस्तेमाल किया जा सकता है, इस पर शोध चल रहा है।

आईसीएआर के उपमहानिदेशक (पशुविज्ञान) डॉ. बी.एन. त्रिपाठी ने कहा कि डॉग के दो ब्रीड का कॉटेराइजेशन किया गया है। ये दोनों ब्रीड हैं-राजापलायम और चिप्पीपराई। उन्होंने कहा कि अब और भी ब्रीडों का कॉटेराइजेशन किया जाएगा।

डॉ. त्रिपाठी ने आईएएनएस से कहा कि देश में कुत्तों की अनेक चर्चित ब्रीड है, जिसके पोटेंशियल का इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा के निर्देशन में आईसीएआर के संस्थानों और अन्य विश्वविद्यालयों में देसी नस्ल के कुत्तों पर शोध चल रहा है और इसके लिए एक अलग रिसर्च इंस्टीट्यूट खोलने पर विचार किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि मुधोल हाउंड, हिमाचली हाउंड, राजापलायम, कन्नी, चिप्पीपराई, और कोम्बाई कुत्तों की चर्चित नस्लें हैं, जिनका जिक्र प्रधानमंत्री ने भी किया है। इसके अलावा रामपुर ग्रेहाउंड भी कुत्ते की एक अच्छी देसी नस्ल है। प्रधानमंत्री ने लोगों से देसी नस्ल के कुत्ते पालने की अपील करते हुए कहा कि इनको पालने में खर्च भी काफी कम आता है, क्योंकि ये भारतीय माहौल में ढले होते हैं।

देसी नस्ल के कुत्ते पालने में कम खर्च होने को लेकर पूछे गए सवाल पर डॉ. त्रिपाठी ने कहा, 'जाहिर है कि देसी नस्ल के जो पशु हैं, वे वातावरण के अनुकूल होते हैं, इसलिए उनमें बीमारी का भी खतरा कम रहता है। जहां तक कुत्तों के स्वास्थ्य का सवाल है तो इस दिशा में काफी प्रगति हो चुकी है और कुत्तों का भी अल्ट्रासाउंड होता है और इनकी सर्जरी की तकनीक भी काफी विकसित हो चुकी है।'

डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि ब्रीड पर रिसर्च का कार्य राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीएजीआर) कर रहा है, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी रिसर्च आईसीएआर के पशु विज्ञान विभाग के संस्थानों में चल रहा है।

प्रधानमंत्री ने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में कहा, "बीते दिनों, जब हम अपना स्वतंत्रता दिवस मना रहे थे, तब एक दिलचस्प खबर पर मेरा ध्यान गया। ये खबर है हमारे सुरक्षाबलों के दो जांबाज किरदारों की। एक है 'सोफी' और दूसरी 'विदा'। सोफी और विदा, इंडियन आर्मी के श्वान हैं। उन्हें चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कमेंडेशन कार्डस से सम्मानित किया गया है। सोफी और विदा को ये सम्मान इसलिए मिला, क्योंकि इन्होंने, अपने देश की रक्षा करते हुए, अपना कर्तव्य बखूबी निभाया है।"

प्रधानमंत्री ने कहा, 'हमारी सेनाओं में, हमारे सुरक्षाबलों के पास, ऐसे, कितने ही बहादुर श्वान हैं जो देश के लिए जीते हैं और देश के लिए अपना बलिदान भी देते हैं। कितने ही बम धमाकों को, कितनी ही आंतकी साजिशों को रोकने में ऐसे डॉग्स ने बहुत अहम भूमिका निभाई है।'

प्रधानमंत्री ने कहा, 'अब हमारी सुरक्षा एजेंसियां भी इन इंडियन ब्रीड के डॉग्स को अपने सुरक्षा दस्ते में शामिल कर रही हैं। आर्मी, सीआईएसएफ, एनएसजी ने मुधोल हाउंड डॉग्स को ट्रेन करके डॉग स्वयाड में शामिल किया है। सीआरपीएफ ने कोम्बाई डॉग्स को शामिल किया है।'

प्रघानमंत्री ने लोगों से भारतीय नस्ल के कुत्ते पालने की अपील करते हुए कहा, 'आप इंटरनेट पर इनके नाम सर्च करिए। इनके बारे में जानिए, आप इनकी खूबसूरती, इनकी क्वालिटीज देखकर हैरान हो जाएंगे। अगली बार जब भी आप, डॉग पालने की सोचें, आप जरूर इनमें से ही किसी इंडियन ब्रीड के डॉग को घर लाएं। आत्मनिर्भर भारत, जब जन-मन का मंत्र बन ही रहा है, तो कोई भी क्षेत्र इससे पीछे कैसे छूट सकता है।'

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