जेल में बंद प्रोफेसर साईंबाबा को हुआ कोरोना, परिजनों ने की प्राइवेट अस्पताल में शिफ्ट करने की मांग
जनज्वार। माओवादियों से संबंध के मामले में नागपुर केंद्रीय कारागार में आजीवन कारावास की सजा काट रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने की खबर है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में जेल अधिकारियों के हवाले से यह बात कही गई है।
यह भी कहा जा रहा है कि उनके परिवारी जनों ने उन्हें किसी अच्छे निजी अस्पताल में शिफ्ट करने की मांग की है और इस आशय के पत्र महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री को भेजा है। हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स में जेल अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि साईबाबा के साथ जेल के तीन अन्य कैदी भी संक्रमित पाए गए हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार जेल अधीक्षक अनूप कुमरे ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है, 'जीएन साईबाबा को हल्का बुखार और खांसी थी, जिसके बाद गुरुवार को उनका टेस्ट कराया गया। शुक्रवार को उनकी रिपोर्ट आई, जिसमें वह कोरोना संक्रमित पाए गए। उन्हें सीटी स्कैन एवं अन्य जांच के लिए ले जाया जाएगा, जिसके बाद चिकित्सक तय करेंगे कि उन्हें सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में आगे की चिकित्सा के लिए भेजा जाए या नहीं।'
वहीं इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह पूछने पर कि क्या उन्हें अन्य कैदियों से अलग रखा जाएगा? कुमरे ने कहा, 'वह पहले से ही अलग सेल में हैं। जेल के डॉक्टर द्वारा ही उनका उनकी सेल में इलाज किया जाएगा।'
कुमरे ने कहा कि मौजूदा समय में 10 कैदी हैं, जो कोरोना संक्रमित हैं और जेल में उनका इलाज चल रहा है। साईबाबा शारीरिक रूप से लगभग 90 फीसदी दिव्यांग हैं और व्हीलचेयर पर हैं।
मालूम हो कि महाराष्ट्र के गढ़चिरौली की एक अदालत ने 2017 में साईबाबा और चार अन्य को माओवादियों से संपर्क रखने और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसी गतिविधियों में संलिप्तता के लिए सजा सुनाई थी। तब से वह नागपुर जेल में बंद हैं।
उनकी पत्नी वसंता और परिजनों ने कहा है कि उनके द्वारा मांग की गई है कि चूंकि प्रोफेसर साईबाबा पहले से 19 गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं और 90 फीसदी दिव्यांग हैं, इसलिए उनकी चिकित्सा किसी ऐसे प्राइवेट अस्पताल में कराई जाए, जहां उच्चस्तरीय चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध हो।
साथ ही परिवार को उनके इलाज के मोनिटरिंग की इजाजत दी जाय। इस सम्बंध में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री को पत्र भेजकर अनुरोध किया गया है। यह भी अनुरोध किया गया है कि मेडिकल परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उन्हें पैरोल की सुविधा भी दी जाय।