शिक्षक भर्ती के लिए राजस्थान के डूंगरपुर में तीखा आंदोलन, पुलिस की गोली से एक की मौत
जनज्वार। राजस्थान के डूंगरपुर में आदिवासियों का शिक्षक भर्ती को लेकर जारी आंदोलन तीसरे दिन भी जारी है। शनिवार रात को प्रदर्शनकारियों ने खेरवाड़ा इलाके को घेर कर प्रदशर्न किया और भीड़ ने कुछ मकानों व होटल में आग लगा दी। भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस की ओर से की गई फायरिंग में 17 साल के एक तरुण अहारी नाम के एक लड़के की मौत हो गई, वहीं पांच लोग घायल हो गए।
सामान्य वर्ग की खाली सीटों पर आदिवासी समाज के युवाओं की शिक्षक के रूप में भर्ती की मांग को लेकर आदिवासी आंदोलनकारियों ने 20 किलोमीटर के इलाके को अपने कब्जे में ले लिया है। भीड़ ने उदयपुर-अहमदाबाद हाइवे को जाम कर दिया है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलौत ने इस संकट को देखते हए रैपिड एक्शन फोर्स की तैनाती का निर्णय लिया है। साथ ही जयपुर से शनिवार की रात विशेष विमान से कई सीनियर अधिकारियों को उदयपुर भेजा गया है।
इलाके में इंटरनेट सेवा रोक दी गई है और डूंगरपुर, बांसवाड़ा व प्रतापगढ में धारा 144 लगायी गई है। कहा जा रहा है कि प्रदर्शनकारियों में कुछ बाहरी लोग घुस गए हैं जो बातचीत को नहीं होने दे रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि आंदोलन में शामिल होने के लिए कुछ लोग झारखंड और छत्तीसगढ से आए हैं और वे स्थानीय भाषा नहीं बोल पा रहे हैं।
नियुक्ति को लेकर क्या है विवाद?
राजस्थान में 12 अप्रैल 2018 को आदिवासी क्षेत्र के लिए 5431 शिक्षकों की भर्ती निकाली गई थी। यहां आदिवासी इलाकों को टीपीसी एरिया कहा जाता है, जिसमें अनुसूचित जनजाति वर्ग के अभ्यर्थियों को 45 प्रतिशत, अनुसूचित जाति वर्ग को पांच प्रतिशत आरक्षण मिलता है और शेष 50 प्रतिशत सीटें सामान्य वर्ग के लिए होती हैं।
इस भर्ती में सामान्य वर्ग के लिए 2721 सीटें थीं। नियम के अनुसार, एससी व एसटी वर्ग के छात्र 36 प्रतिशत अंक हासिल कर भी शिक्षक नियुक्ति के लिए क्वाइलीफाइ कर सकते हैं, लेकिन सामान्य वर्ग के लिए 60 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य है। पर, परीक्षा में सामानरू वर्ग से 1554 छात्र ही 60 प्रतिशत अंक हासिल कर पाए और 1167 सीटें रिक्त रह गईं।
ेऐसे में आदिवासी परीक्षार्थियों की यह मांग है कि 1167 पदों पर 36 प्रतिशत अंक लाने वाले आदिवासियों की बहाली कर दी जाए। हाइकोर्ट से इसकी अनुमति नहीं मिली है और अदालत ने कहा है कि सामान्य वर्ग के पदों पर भर्ती के लिए 60 प्रतिशत अंक हासिल करना किसी भी परीक्षार्थी के लिए अनिवार्य है।